Railways

नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन (एनसीआरडब्लूयू)

North Central Railway Workers Union (NCRWU)

National Monetisation Pipeline Dismantling Indian Railways

In 2014, the Modi-led BJP government decided to dissolve the Planning Commission (which was constituted in 1951 along the lines of a socialist model of centralised planning) along with the National Development Council formed to monitor the development of sectors like agriculture, education, health and also national transport systems like Railways, Roadways and Airways. Finally, on the conclusion of the 12th Five Year Plan in 2017, the Planning Commission was dissolved and was replaced by the NITI Ayog (National Institution of Transforming India).

Codified discrimination: the Gangmen in Indian Railways

History of the Indian Railways gangmen dates back to the days of British imperialism when the first railway track was laid between Boribunder (Mumbai) and Thane in 1853. Poor Peasants having been uprooted from the land, left their villages for livelihood and got themselves engaged as labourers by a private railway company under the East India Company in laying railway tracks. Even in plague-affected areas they were forced to work hard without medical aid.

1968 के रेलवे शहीदों को ‘नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे’ की तरफ से 19 सितंबर को दी गई देश भर में श्रद्धांजलि

रेलवे के निजीकरण/निगमीकरण के खिलाफ जुझारू संघर्ष खड़ा करने का लिया संकल्प

इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन (आईआरईएफ) की तरफ से लगातार यह कोशिश रही है कि रेलवे को सार्वजनिक क्षेत्र में बचाए रखने के लिए जो भी संघर्ष की ताकते हैं या फिर आज के समय में संघर्ष को अपना प्रमुख उद्देश्य मानती हैं, वे एक मंच पर आएं और संयुक्त रूप से, योजनाबद्ध तरीके से संघर्ष की अगुवाई करें.

रेलवे कर्मचारियों का राष्ट्रीय कन्वेंशन

8 दिसम्बर 2019 को नई दिल्ली स्थित मावलंकर हॉल में उत्पादन इकाईयों में नियोजित रेलवे कर्मचारियों का कन्वेंशन आयोजित हुआ. यह प्रभावशाली कन्वेंशन रेलवे के निजीकरण के खिलाफ़ एक राष्ट्रीय मंच के निर्माण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था.

ईसीआरईयू का जोनल कन्वेंशन संपन्न

ईस्ट सेंट्रल रेलवे इंप्लाइज यूनियन (संबद्ध ऐक्टू और आईआरईएफ) की समस्तीपुर मंडल शाखा ने रेलवे के निजीकरण-निगमीकरण एवं एनपीएस के विरोध में 7 नवम्बर 2019 को सदर अस्पताल चौक, समस्तीपुर के पास स्थित हॉल में एक कन्वेंशन का आयोजन किया. इसमें सरकार द्वारा रेलवे को खंड-खंड कर प्राइवेट, ठेका प्रथा लागू करने की नीति का पुरजोर विरोध किया गया. सभा की अध्यक्षता संयुक्त सचिव संजय मिश्रा ने की और मुख्य अतिथि के बतौर ऐक्टू नेता जितेंद्र कुमार एवं मुख्य वक्ता के बतौर अशोक रावत ने सभा को सम्बोधित किया. 

रेल मजदूरों का धनबाद मंडल सम्मेलन

न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) और निजीकरण के खिलाफ संघर्ष खड़ा करने के संकल्प के साथ विगत 22 अक्टूबर 2019 को झारखंड के रामगढ़ जिले के बरकाकाना में ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाईज यूनियन (सम्बद्ध आईआरईएफ व ऐक्टू) के धनबाद मंडल का सम्मेलन संपन्न हुआ. सम्मेलन को आईआरईएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पांडे, लोको रनिंग स्टाफ एशोसियेशन के राष्ट्रीय महासचिव एमएन प्रसाद, ‘फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरीक सिंह, आल इंडिया गार्ड काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीआर सिंह, आईआरईएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा.

निजीकरण, नई पेंशन स्कीम व श्रम कानूनों में संशोधन के खिलाफ लखनऊ और खुर्दा में जन कन्वेंशन

आईआरईएफ (इंडियन रेलवे इंप्लाईज फेडरेशन) से संबद्ध पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) वर्कर्स यूनियन तथा ऐक्टू की उत्तर प्रदेश इकाई के तत्वावधान में 15 सितंबर 2019 को लखनऊ में और ईस्ट कोस्ट रेलवे इंप्लाइज यूनियन तथा ऐक्टू की उड़ीसा इकाई के तत्वावधान में खुर्दा जंक्शन में 24 सितंबर को जन कन्वेंशनों का आयोजन किया गया. लखनऊ मे आयोजित कन्वेंशन के मुख्य वक्ता आईआरईएफ नेता व ‘फ्रंट अगेंस्ट न्यू पेंशन स्कीम इन रेलवे’ (एफएएनपीएसआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरीक सिंह ने कहा कि रेलवे, रक्षा, बैंक, बीमा, तेल सहित सार्वजनिक क्षेत्र के तमाम उपक्रमों को मोदी सरकार कॉरपोरेट घरानों के हवाले करना चाहती है.

रेल के निगमीकरण के खिलाफ रायबरेली में धरना

रायबरेली (उ.प्र.) स्थित माडर्न रेल कोच कारखाना, लालगंज सहित सभी उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण, रेल, बीएसएनएल, एनटीपीसी सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों एवं विभागों का निजीकरण करने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ रायबरेली जिला संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले जिले की ट्रेड यूनियनों ने 31 अगस्त 2019 को विकास भवन के सामने धरना-प्रदर्शन कर जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर निजीकरण/निगमीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग की.