27 दिसम्बर को रांची, झारखंड में गिरफ्तारी के विरोध में ऐक्टू और महासंघ ने प्रदर्शन किया

बिहार के मुख्यमंत्री के नाम केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त ज्ञापन

मजदूर-कर्मचारी नेता रामबली प्रसाद सहित गिरफ्तार नेताओं पर से मनगढ़ंत व फर्जी मुकदमा वापस लेते हुए रिहा करने तथा एएनएम (आर) की न्यायोचित मांगों की पूत्र्ति के संबंध में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त ज्ञापन।

महोदय,

उपर्युक्त विषय के संबंध में कहना है कि राज्य में संविदा पर वर्ष 2007 से बहाल कुल 6869 एनएनएम (आर) अपनी न्यायोचित मांगों की पूत्र्ति को लेकर पिछले 2 नवंबर से 22 दिसम्बर 2017 तक कार्य बहिष्कार कर पटना में लगातार धरने पर थीं.

यह कि एएनएम (आर) की न्यायोचित मांगों की पूत्र्ति की दिशा में सरकार व संबंधित स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गयी और न ही वार्ता की गयी. 18 दिसम्बर, 2017 को स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता कराने के स्वास्थ्य विभाग के आश्वासन के बाद लोकप्रिय मजदूर व कर्मचारी नेता रामबली प्रसाद के नेतृत्व में वार्ता करने गये बिहार राज्य एनएनएम (आर) संविदा कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ-साथ अन्य लोगों को जिनमें राहगीर व दूसरे यूनियन/संघ के लोग शामिल है के उपर मनगढं़त व फर्जी मुकदमे थोपते हुए बगैर वार्ता के धोखे से गिरफ्तार कर विभिन्न धाराओं के तहत तुरंत जेल भेज दिया गया. सरकार द्वारा राज्य के महिला स्वास्थ्य कर्मी एएनएम (आर) की लोकतांत्रिक व न्यायोचित मांगों को अनसुनी करते हुए आंदोलन को बलपूर्वक समाप्त कराने के इस कार्रवाई की हम तीखी भर्त्सना करते हैं, सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम एएनएम (आर) सहित अन्य सभी संविदा कर्मियों की मांगों व लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति घोर नकारात्मक रवैया दर्शाने वाला है, जिसकी हम कड़ी निन्दा करते हैं और सरकार से लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति और अधिक जिम्मेवारी के साथ पेश आने व संविदाकर्मियों के न्यायोचित मांगों के प्रति सकारात्मक पहल की उम्मीद रखते हुए हम निम्नलिखित मांग करते हैंः-

(1) लोकप्रिय मजदूर-कर्मचारी नेता रामबली प्रसाद सहित अन्य सभी गिरफ्तार लोगों पर से मनगढ़ंत व फर्जी मुकदमे सचिवालय थाना कांड संख्या-194/17 तथा 198/17 को समाप्त करते हुए अविलम्ब रिहा किया जाए.

(2) एएनएम (आर) की न्यायोचित मांगों पर सम्मानजनक वार्ता आयोजित कर मांगें पूरा कराने की दिशा में सकारात्मक व असरकारी पहल की जाए.

(3) राज्य में संघर्षरत एएनएम (आर) सहित अन्य सभी अनुबंध-मादनेय कर्मियों के खिलाफ सरकार पक्ष से तमाम दमनात्मक कार्रवाईयों पर रोक लगाई जाए व संघ तथा यूनियनों द्वारा प्रस्तुत मांग-पत्र पर संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रतिनिधिमंडल से वार्ता को अनिवार्य बनाया जाए.

इंटक, एटक, ऐक्टू, सीटू, एआईयूटीयूसी, यूटीयूसी, टीयूसीसी