एन.डी.ए. सरकार की जन-विरोधी, मजदूर-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ केन्द्रीय ट्रेड़ यूनियनों एवं स्वतंत्र फेडरेशनों के आहृान पर 9-10-11 नवम्बर, 2017 को संसद पर मजदूरों का 3 दिवसीय महाधरना

देश के मजदूरों से अपील

सभी केन्द्रीय ट्रेड़ यूनियनों (बीएमएस को छोड़कर) और कर्मचारियों एवं मजदूरों के स्वतंत्र फेड़रेशनों द्वारा संयुक्त रुप से ताल कटोरा इनडोर स्टेडियम, नई दिल्ली में 8 अगस्त, 2017 को आयोजित मजदूरों के विशाल राष्ट्रीय कन्वेंशन में तय किया गया कि 9-10-11 नवम्बर, 2017 को लगातार 3 दिवसीय विशाल क्रमिक धरना दिया जाएगा. यह कदम आने वाले दिनों में राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल सहित संयुक्त संघर्षों के अगले उच्च चरण की तैयारी के लिए है. इस राष्ट्रीय कन्वेंशन ने पूरे देश में किसानों और खेत मजदूरों के उभरते हुए संघर्षों के साथ पूर्ण एकजुटता का इजहार किया.

केंद्र सरकार की जन-विरोधी और मजदूर-विरोधी नीतियां जनता के हर तबके के करोड़ों लोगों पर भयावह दुःख और कठिनाइयां बरपा कर रही हैं. कारखानों की बन्दी, बढ़ती बेरोजगारी और आजीविका का विनाश, आज आम हो गया है. सरकार की नोटबन्दी ने आमदनी को और अधिक गिरा दिया और उद्योगों को बंद कर दिया. वेतन में कटौती और सामाजिक सुरक्षा से नकार, श्रमशक्ति का बड़े पैमाने पर ठेकाकरण तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकार द्वारा प्रायोजित योजना (स्कीम/मानदेय) कर्मियों को, मजदूर के दर्जे और अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. खेती में गहराते संकट के चलते किसानों द्वारा आत्महत्या और भुखमरी से मौतों में बढ़ोत्तरी ने स्थिति को और अधिक बिगाड़ दिया़ है. उतावलेपन के साथ जीएसटी लागू करने से लगातार बढ़ती कीमतों में और तेजी आई है.

इन सभी प्रतिगामी उपायों को, ‘‘सबका विकास’’, ‘‘अच्छे दिन’’, ‘‘मेक इन इंडिया’’ आदि भ्रामक और धोखेबाजी भरी मुद्राओं एवं नारों और राष्ट्रवादी भावनाओं की आड़ में, शोर-शराबे से भरे मीडिया अभियान की मदद से जनता को बेवकूफ बनाकर लागू किया गया है. सरकार की नीतियां देश की अर्थव्यवस्था के आत्मनिर्भर, समानतापूर्ण विकास को खतरे में डाल रही हैं और समाज में भयानक असमानता को बढ़ावा दे रही हैं. सरकार की पूरी नीति की बनावट ही ‘‘व्यापार करने में आसानी’’ की आड़ में देशी-विदेशी निजी बड़ी कंपनियों और बड़े जमींदारों के असीमित लाभ के लालच के लिए बनाई गई है.

सरकार न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा, योजना कर्मचारियों को मजदूर की मान्यता और भुगतान एवं सुविधाओं, के लिये और निजीकरण तथा बड़े पैमाने पर ठेकाकरण के खिलाफ सहित 12 सूत्रीय मांग पत्र की, पूरी उद्दंडता के साथ उपेक्षा करती आ रही है. सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्णय के बावजूद ठेका मजदूरों को ‘‘समान काम के लिए समान वेतन एवं सुविधाऐं’’ सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधान करने को, पूरी ढ़ीठता के साथ नकारा जा रहा है. सार्वजनिक उपयोगिता की सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, भारतीय रेल, वित्तीय सेवाओं, बिजली, पानी आदि के प्रत्येक हिस्से को सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से अधिकाधिक आउटसोर्सिंग, निजीकरण और व्यावसायीकरण की ओर धकेला जा रहा है, ताकि आम जनता की कीमत पर निजी कंपनियों के लिए बड़े मुनाफों को सुनिश्चित किया जा सके. रक्षा उत्पादन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा और सभी प्रकार के सार्वजनिक परिवहन, तेल, खनिज, बंदरगाह, बिजली आदि के विनिवेश व स्ट्रेटेजिक (रणनीतिक) सेल, और निजी क्षेत्र के पक्ष में आउटसोर्सिंग, 100 प्रतिशत एफडीआई को बढ़ावा देने सहित सभी सामरिक महत्व के सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के मामले में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. इसके अलावा, नकदी से सम्पन्न सभी सार्वजनिक उपक्रमों पर अपने आरक्षित नकद से निवेश करने पर बन्दिश लगा दी गयी है.

देश में विभिन्न सम्बद्धताओं की सभी ट्रेड यूनियनों द्वारा विरोध के बावजूद भी, सरकार अपने मालिक-परस्त और पूरी तरह से मजदूर-विरोधी श्रम-कानून सुधारों पर आगे बढ़ रही है, जिसका उद्देश्य मजदूरों पर गुलामी थोपना है. इन घातक हमलों का तात्कालिक प्रतिकूल असर देश के मजदूरों की भारी संख्या पर है, यहां तक कि संगठित क्षेत्र को भी सभी बुनियादी श्रम कानूनों को लागू करने की बाध्यता से बाहर कर दिया जाएगा. इस प्रकार मजदूरों के शोषण को और अधिक तेज करने के लिए मालिकों को सशक्त बना दिया जाएगा.

संगठित होने के अधिकार, सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार पर हमला दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है. श्रम कानूनों को लेकर चार कोड इसी दिशा में तैयार किए गए हैं. ताजा हमला, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, कर्मचारी राज्य बीमा निगम और कई अन्य कल्याणकारी कानूनों के तहत मौजूदा वैधानिक सामाजिक सुरक्षा ढांचे को नष्ट करके और सेस से जुड़ी मजदूरों की कल्याणकारी योजनाओं को समाप्त करके ‘सामाजिक सुरक्षा कोड’ तैयार करने का है. इसमें सदस्य मजदूरों के योगदान से तैयार 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के विशाल सामाजिक सुरक्षा फण्ड को शेयर बाजार में सट्टेबाजी के लिए उपलब्ध कराने की तैयारी है. और यह क्रूर कदम ‘सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकीकरण’ की सबसे भ्रामक और धोखेबाजी पूर्ण अवधारणा के तहत लिया जा रहा है. वेज बिल 2017 पर तैयार किये गये कोड को संसद में पेश किया जा चुका है, जो काम करने के बाद भी मजदूरों को वेतन भुगतान के मामले में मनमाने ढ़ंग के लचीलेपन के साथ मालिकों को सशक्त बनाता है.

प्रतिरक्षा क्षेत्र पर हमला, पिछले 65 वर्षों के दौरान देश द्वारा विकसित विनिर्माण क्षमता और अनुसंधान की पहल को बर्बाद करना है. सबसे खराब और सबसे ज्यादा संदिग्ध गेम प्लान, लम्बे अरसे से आॅर्डीनेन्स फैक्ट्रियों द्वारा मुहैया कराए जाने वाले हथियारों और महत्वपूर्ण उपकरणों आदि के 50 प्रतिशत से अधिक उत्पादों को आउटसोर्स करना है.

रेलवे का पूरा निजीकरण करने के लिए, कदम दर कदम जोर दिया जा रहा है. रेलवे द्वारा बनाए गए मौजूदा ट्रैकों पर निजी रेलगाड़ियाँ चलाने, 407 रेलवे स्टेशनों के निजीकरण का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है. रेलवे के निजीकरण की इस विनाशकारी योजना को अंजाम देने के लिए रेलवे विकास प्राधिकरण का गठन किया जा चुका है. पिछले तीन सालों में रेलवे के किराए दोगुने कर दिए गए और अब रेलवे के किराए को पूरी तरह से लागत आधारित करने का अर्थ है, यात्री किरायों को आगे और कम से कम दुगना करना, जो आम जनता के लिए बेहद तकलीफदेह और निजी मुनाफाखोरों को लाभ पहुँचाने वाला ही होगा.

लगातार बढ़ती बेरोजगारी, अपर्याप्त रोजगार और सार्वजनिक उपयोगिताओं के निजीकरण ने महिला मजदूरों  पर बोझ बढ़ा दिया है. महिलाओं के वस्तुकरण के साथ दकियानूसी विचारों के प्रचार के कारण, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि हो रही है.

वर्तमान सरकार के खुले संरक्षण में और सत्तारूढ़ राजनीति की साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा विभाजनकारी अभियान, दुष्प्रप्रचार, के माध्यम से नफरत फैलाने के साथ निर्दोष लोगों की हत्याऐं की जा रही हैं.  मेहनतकशों की उस एकता को तोड़ने की साजिशें की जा रही है, जो हमारे 12 सूत्रीय मांगपत्र पर चलने वाले संघर्षों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. सामाजिक सद्भाव, राष्ट्रीय अखंडता और मेहनतकशों की शक्तिशाली एकता की रक्षा के लिए इस तरह के राष्ट्र-विरोधी कृत्यों का हर कीमत पर और हर तरह से विरोध किया जाना चाहिए.

महत्वपूर्ण कार्यभार है - हम देश के हर कोने व जगह पर मेहनतकशों को एकजुट करें, जिलों, तालुकों, ब्लॉकों और विभिन्न सेक्टरों के स्तर पर संयुक्त सम्मेलनों, रैलियों आदि का आयोजन करें, ताकि 9-10-11 नवम्बर 2017 को संसद पर होने वाले तीन दिवसीय क्रमिक धरने में मेहनतकशों की बड़े पैमाने पर लामबन्दी सुनिश्चित की जा सके.

उद्देश्य है - विदेशी पूंजी और उसके पिछलग्गू बड़े भारतीय कॉरपोरेट के हित में संपूर्ण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की नीलामी और बंधक बना देने वाली राष्ट्र-विरोधी साजिशों को पराजित करना. इसके अलावा वर्तमान केंद्र सरकार के पूरी तरह से जन-विरोधी, मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी चेहरे का पर्दाफाश करना और संसद पर होने वाले धरने में लाखों मजदूरों को लामबन्द करना.

केन्द्र बिन्दु है - अन्य मुद्दों के साथ, 18,000रू. न्यूनतम मजदूरी, समान काम के लिए समान वेतन एवं हितलाभ, स्कीम कर्मियों को मजदूरों का दर्जा और मौजूदा सामाजिक सुरक्षा ढांचे को छेड़े बिना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा हासिल होनी चाहिए. बारहमासी प्रकृति के काम में ठेकेदारी और कैजुलीकरण, सभी प्रकार की निजीकरण की चालों को निर्णायक रूप से रोकने के लिए एक दृढ़ संघर्ष.

हमारी अपील है - ट्रेड़ यूनियन की सम्बद्धता चाहे किसी भी संगठन से हो, केंद्र सरकार के जन-विरोधी, मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी चेहरे का पर्दाफाश करने के सघन अभियान को हर मजदूर तक लेकर जाना; और उन्हें नवंबर 2017 में तीन दिन के धरने में दसियों हजारों की संख्या में शामिल होने तथा आने वाले दिनों में अनिश्चितकालीन हड़ताल सहित देशव्यापी कार्रवाइयों को आगे बढ़ाने के मार्ग को प्रशस्त करना. हम, तमाम मजदूरों से अपील करते हैं कि एनडीए सरकार की जन-विरोधी, मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों व कदमों के खिलाफ संयुक्त अभियान और संघर्ष में सामूहिक रूप से भारी तादाद में शामिल हों.

                इन्टक एटक  एच.एम.एस.

                सीटू   ए.आई.यू.टी.यू.सी.     टी.यू.सी.सी.   

                सेवा   ए.आई.सी.सी.टी.यू.    एल.पी.एफ.

यू.टी.यू.सी. एवं मजदूरों और कर्मचारियों के स्वतंत्र फेडरेशन