फासीवाद हराओ! जनता का भारत बनाओ!

भाकपा-माले का दसवां महाधिवेशन  

भाकपा (माले)-लिबरेशन के 10वें महाधिवेशन की शुरूआत के मौके पर 23 मार्च 2018 को शहीद-ए- आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस के अवसर पर पंजाब के बाबा बुझा सिंह नगर (मानसा) के बाबा जीवन सिंह पार्क में शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की प्रतिमाओं का अनावरण किया गया और देश-विदेश से आये वामपंथी व प्रगतिशील पार्टियों के अतिथियों समेत भाकपा-माले के हजारों कार्यकर्ताओं ने एक बड़ी जनसभा की. पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, शहीद भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह, नाट्यकार सैमुअल जॉन, प्रो. बावा सिंह, प्रो. अजायब टिवाना एवं स्वागत समिति के अन्य सदस्यों की उपस्थिति में इन शहीदों की कांस्य प्रतिमाओं का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर बाबा जीवन सिंह पार्क में ही एक संक्षिप्त सभा भी की गई जिसको दीपंकर भट्टाचार्य, प्रो. जगमोहन सिंह, अजायब सिंह आदि ने सम्बोधित किया.

इसके बाद वहीं से ‘इन्कलाब रैली’ निकाली गई जो अनाज मंडी में आकर आम सभा में तब्दील हो गई. इस सभा में पंजाब के विभिन्न जिलों से आए हजारों लोग शामिल हुए. इस मौके पर उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज जब फासीवादी ताकतें लेनिन के बुतों पर हमले कर इन्कलाब को मिटा देना चाहतीं हैं, उसी दौर में पंजाब में मजदूर, किसान और नौजवान मिल कर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की प्रतिमाएं लगा कर उन्हें जवाब दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज देश की राजनीति एक बड़ी तबदीली की मांग कर रही है. देश की जनता ने 2014 में और पंजाब की जनता ने 2016 में खेती, रोजगार और जीविका के संसाधनों को बचाने के लिए जनादेश दिया था; लेकिन उनके जनादेश का इस्तेमाल कारपोरेट घरानों को फायदे पहुंचाने और देश की जनता को धर्म के नाम पर बांटने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जनता को जहां अपने हकों पर हर हमले के खिलाफ लड़ना होगा, वहीं लोक सभा चुनाव में फासीवादी ताकतों को भी सत्ता से बाहर करना होगा. उन्होंने जनता का भारत बनाने का नारा दिया. उन्होंने आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो केजरीवाल द्वारा मजीठिया, गडकरी से माफी मांग लेने पर भी टिप्पणी की और कहा कि हमें नशे व भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने की लड़ाई जारी रखनी होगी. उन्होंने कहा कि देश में वामपंथ की ताकत को चुनावी हार-जीत से नहीं, बल्कि हाथ में लाल झंडा ले कर लाखों की संख्या में आन्दोलन में उतर रहे किसानों और मजदूरों के संघर्षों में देखा जा सकता है.

प्रो. जगमोहन सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि फासीवादी ताकतें देश के संविधान में से समाजवाद और सेकुलरिज्म को हटा देना चाहतीं हैं. उन्होंने शहीद बाबा जीवन सिंह पार्क में आजादी के शहीदों की प्रतिमाओं की स्थापना को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘लिबरेशन’ का यह महाधिवेशन देश की जनता के सामने एक नयी उम्मीद और नया जोश ले कर आयेगा.

रैली को आल इंडिया किसान महासभा के महासचिव राजा राम सिंह, पोलिट ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की अध्यक्ष सुचेता डे, मजदूर मुक्ति मोर्चा (पंजाब) के भगवंत सिंह समाओ, भाकपा-माले के केन्द्रीय कमेटी सदस्य मुहम्मद सलीम, राजविंदर राणा और कंवलजीत सिंह ने भी सम्बोधित किया.

शाम में यहीं पर एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया जो लगभग चार घंटे तक चला. इसमें जन संस्कृति मंच की इकाइयां ‘हिरावल’ और ‘कोरस’ (बिहार) तथा ‘प्रेरणा’ (झारखंड) के साथ-साथ पश्चिमबंग गणसंस्कृतिक परिषद, आंध्र प्रदेश की गीत-नाट्य टीम और पंजाब की दो टीमों ने गीत, नाटक और नृत्य-गीत पेश किए जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा.

24 मार्च को खुले सत्र की शुरूआत से पहले सदन से बाहर शहीद वेदी के निकट भाकपा-माले के पंजाब के वरिष्ठ नेता नछत्तर सिंह खीवा ने पार्टी का झंडा फहराया और देशी-विदेशी अतिथियों एवं भाकपा-माले के प्रमुख नेताओं समेत सभी प्रतिनिधियों ने क्रांतिकारी शहीदों को समर्पित शहीद वेदी पर पुष्पांजलि अर्पित करके श्रद्धांजलि दी. इसके बाद प्रतिनिधियों, पर्यवेक्षकों एवं अतिथियों आदि ने कामरेड स्वपन-गणेशन हॉल में प्रवेश किया. मंच का नाम कामरेड श्रीलता-जीता मंच था. सर्वप्रथम पिछले महाधिवेशन से लेकर अब तक हमको छोड़ चले कामरेडों एवं प्रगतिशील हस्तियों की स्मृति में एक प्रस्ताव का पाठ किया गया. प्रस्ताव का पाठ अंग्रेजी में अभिजित मजुमदार ने किया.

इसके बाद भारतीय इतिहास की इन्द्रधनुषी सामाजिक सांस्कृतिक धरोहर के बतौर यहां की तर्कवादी, भौतिकवादी, सूफी, भक्ति और गंगा जमुनी तहजीब, समाज सुधार एवं जातिवाद विरोध समेत तमाम विविधतापूर्ण परम्पराओं को बुलंद करने के प्रस्ताव का हिंदी में पाठ राजाराम सिंह ने किया.

महाधिवेशन के खुले सत्र की शुरूआत सभी वामपंथी दलों के नेताओं के शुभकामना भाषणों व संदेशों के साथ हुई. खुले सत्र में सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बिनोय विश्वम, सीपीआई-एम के पोलिट ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम, फारवर्ड ब्लाक के जी देवराजन, एसयूसीआई-सी के सत्यवान, लाल निशान पार्टी-लेनिनवादी के उदय भट्ट, आरएमपीआई के मंगत राम पासला और सीपीआरएम के आर.बी. राई ने सम्बोधित किया.

अपने भाषणों के दौरान सभी नेताओं ने देश में बढ़ते फासीवादी विचारधारा के खतरों का जिक्र किया और इससे भारतीय समाज व राजनीति को बचाने के लिए वामपंथ की एकता पर जोर दिया. सभी वामपंथी नेताओं ने अपने मतभेदों को व्यावहारिक एकता के आड़े न आने देने पर बल दिया. खुले सत्र में महाराष्ट्र के किसानों के नासिक से मुम्बई लाल झंडा लेकर किये गए लांग मार्च की गूंज भी सुनाई देती रही. इस दौरान भारत की बिरादराना वाम पार्टियों के प्रतिनिधियों को पार्टी की ओर से सम्मानित भी किया गया.

उद्घाटन भाषण में भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है भाजपा दोबारा सत्ता में आकर आरएसएस के फासीवादी एजेंडा की तर्ज पर भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य को तोड़-मरोड़ देना चाहती है. जब भाजपा ‘हिन्दू-हिंदी-हिंदुस्तान’ की अपनी संकीर्ण अवधारणा पर भारत और भारतीय राष्ट्रवाद को परिभाषित करना चाहती है तो हमें भी इसे साम्राज्यवाद विरोधी एकता और ‘पहले जनता’ के ध्वज को बुलंद करते हुए जनता के पलटवार के जरिये टक्कर देनी होगी. भाजपा की चुनावी हार को उन्होंने महत्वपूर्ण लेकिन सीमित उपलब्धि के बतौर चिन्हित किया. उन्होंने आहृान किया कि वामपंथ को छात्र-नौजवानों के शिक्षा और रोजगार के लिए, मजदूरों-किसानों की जीविका के लिए और दलितों, अल्पसंख्यकों एवं महिलाओं के उत्पीड़न-विरोधी जारी आंदोलनों का चैम्पियन बन कर उभरना होगा - इसी से भारत की राजनीति में वह बदलाव आ सकता है जिससे फासीवाद को निर्णायक हार दी जा सकती है.

इसी दिन शाम में प्रतिनिधि सत्र की शुरूआत हुई. सर्वप्रथम सदन के समक्ष ‘अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति पर प्रस्ताव’ पेश किया गया और इस पर विदेशी मेहमानों ने अपने वक्तव्य भी रखे. इस सत्र में विदेश से आये अतिथियों को सम्मानित किया गया. इनमें ऑस्ट्रेलिया की सूजन प्राइस (सोशलिस्ट अलायंस) व टोनी इल्टिस; बंगलादेश के मो. अंसार अली, शेख मो. शिमुल और महासचिव सैफुल हक (सभी रिवोल्युशनरी वर्कर्स पार्टी ऑफ बंगलादेश के), खलीकुज्जमां व बजलुर रशीद फिरोज (दोनों सोशलिस्ट पार्टी ऑफ बंगलादेश के) तथा साउथ एशिया सॉलिडैरिटी ग्रुप (लंदन) की अमृत विल्सन, कल्पना विल्सन, अनन्या विल्सन, आर. निर्मला और सरबजीत जोहल शामिल थे. विदेश से इन अतिथियों ने प्रतिनिधि सत्र के विभिन्न हिस्सों में महाधिवेशन को संबोधित किया. पाकिस्तान की अवामी वर्कर्स पार्टी के फारूक तारिक और मजदूर किसान पार्टी के तैमूर रहमान को भारत सरकार द्वारा वीजा नहीं दिये जाने के चलते वे महाधिवेशन में शामिल नहीं हो पाये मगर उन्होंने एकजुटता के वीडियो संदेश भेजे. सोशलिस्ट पार्टी ऑफ मलयेशिया, क्यूबा राजदूतावास, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ स्विट्जरलैंड, पैट्रियॉटिक पार्टी ऑफ टर्की की युवा शाखा ‘वैनगार्ड यूथ’ ने शुभकामना एवं एकजुटता संदेश भेजे.

25 मार्च को सुबह के सत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव पर प्रतिनिधियों द्वारा वक्तव्य रखना जारी रहा. अंत में महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य द्वारा स्पष्टीकरण व व्याख्या पेश करने के बाद सदन ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव तालियों की गड़गड़ाहट और हाथ उठाकर पारित कर दिया.

इसी दिन शाम में ‘राष्ट्रीय राजनीतिक परिस्थिति’ पर प्रस्ताव पेश किया गया और प्रतिनिधियों के वक्तव्य भी शुरू हुए. महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने राष्ट्रीय परिस्थिति पर प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार द्वारा उन्मादी भीड़ों को मिले प्रोत्साहन के चलते देश में बेहद खतरनाक हालत बना दी गई है. जनता के रोजगार, जमीन व रोजी-रोटी से जुड़े मुद्दों को न सिर्फ साम्प्रदायिक तनाव व राष्ट्रभक्ति की उन्मादी परिभाषा के शोरगुल में डुबो देने की कोशिश की जा रही है; बल्कि इन बुनियादी मुद्दों पर होने वाले तमाम किस्म के संघर्षों व आन्दोलनों तथा विरोध में उठने वाली हर आवाज को कुचलने की कोशिशें की जा रही हैं. यह फासीवाद के उभार का स्पष्ट लक्षण है. ऐसे में जनता को न सिर्फ अपने बुनियादी आंदोलनों की एकता और ताकत को बनाए रखना होगा बल्कि भीड़तंत्र के खिलाफ एक असरदार सुरक्षा तंत्र भी बनाना होगा. धार्मिक समागमों को हिंदुत्व की विचारधारा के प्रसार प्रचार का अड्डा बनने से रोकना होगा. भाजपा के चुनावी विजय के रथ को भी रोकने की भरसक कोशिश करनी होगी, ताकि सरकारी धन से आरएसएस का प्रचार चलाने के बड़े अभियान पर रोक लगाई जा सके.

देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने की साजिशों को चिन्हित करते हुए उन्होंने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’, ‘वन नेशन-वन टैक्स’ आदि जुमलों को भाजपा के हिंदी-हिन्दू-हिंदुस्तान के संकीर्ण फ्रेमवर्क की पैदाइश के तौर पर लक्षित किया और कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश की जनता की तमाम आकांक्षाओं एवं विकास की विशेष जरूरतों को सम्बोधित करने के लिए संघीय ढांचे और संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करने पर बल देना होगा. पंजाब, उत्तर-पूर्व, दक्षिण और कश्मीर समेत तमाम भाषाई, आंचलिक विविधताओं को सम्मान एवं बराबरी दिलानी होगी और इनकी समस्याओं को लाठी गोली से दबाने की बजाय बहुआयामी राजनीतिक समाधान निकालने होंगे.

महाधिवेशन के चौथे दिन 26 मार्च 2018 को राष्ट्रीय परिस्थिति की समीक्षा और उसमें वामपंथ की भूमिका पर जोर-शोर से चर्चा हुई. संविधान, लोकतंत्र एवं सामाजिक बराबरी के अलावा देश भर में जारी किसानों, खेत मजदूरों, छात्र-नौजवानों एवं दलितों-आदिवासियों के आन्दोलनों के जमीनी स्तर के नेताओं ने अपने अनुभव साझा किये. चर्चा में यह भी उभर कर आया कि फासीवाद के बढ़ते खतरे की टक्कर में जन आंदोलनों में बनी एकता एक बड़ी प्रतिरोधक शक्ति बन कर उभर सकती है.

विचार चर्चा में 30 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सौ से अधिक लिखित सुझाव भी आए. जीवन्त चर्चा के बाद दीपंकर ने पुनः राष्ट्रीय परिस्थिति पर विस्तार से अपनी बात रखी और तब सदन ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को भी पारित कर दिया.

इसके बाद 28 तारीख को भोजनावकाश के पहले तक सांगठनिक रिपोर्ट (कृषि व ग्रामीण कामकाज, मजदूर वर्ग मोर्चा, शहरी कामकाज, महिला मोर्चा, छात्र-युवा मोर्चा, सांस्कृतिक मोर्चा, पार्टी प्रकाशन व पार्टी शिक्षा), प्रगतिशील संस्कृति और आधुनिक मीडिया तथा जलवायु परिवर्तन से संबंधित मसविदा प्रस्तावों और संविधान संशोधन पर बहसें हुई और इन्हें स्वीकृत किया गया.

महाधिवेशन के आखिरी दिन गुजरात से विधायक और दलित आन्दोलन के नौजवान चेहरे जिग्नेश मेवानी विशेष तौर पर पहुंचे. उन्होंने सदन को सम्बोधित करते हुए कहा कि वे अपने आप को लिबरेशन की विचारधारा के काफी करीब मानते हैं. उन्होंने आने वाले दिन में व्यापक जनवादी, प्रगतिशील एवं वाम शक्तियों की एकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल लूट, भ्रष्टाचार, झूठ और साजिशों पर टिका हुआ है. गुजरात की जनता अब इस मॉडल को रद्द कर रही है. उन्होंने कहा की वे वडगाम क्षेत्र में से चुने गए हैं, इसलिए वे मोदी के गुजरात मॉडल की जगह समाजवादी और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित वडगाम मॉडल बनाने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं. उन्होंने मोदी सरकार की कार्यनीति पर वार करते हुए कहा कि युवा चाहते हैं रोजगार, मोदी दे रहे लव जिहाद और गौ रक्षा.

आने वाले चुनाव में भाजपा को हराने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि देश के ऊपर जो फासीवादी हमला जारी है उसे शिकस्त देने के लिये भिन्न विचार रखने वालों से भी समझौता करना होगा. वैकल्पिक राजनीति में भरोसा रखने वाले तमाम दलों को एक मंच पर लाकर भाजपा को हराना होगा.

इसके बाद संजय शर्मा ने क्रेडेन्शियल कमेटी की रिपोर्ट सदन के समक्ष पेश की. फिर विदायी केन्द्रीय कंट्रोल कमीशन की ओर से अध्यक्ष रामजतन शर्मा ने कमीशन की रिपोर्ट पेश की. इसके बाद पांच-सदस्यीय चुनाव आयोग का गठन किया गया जिसकी देखरेख में सात-सदस्यीय केन्द्रीय कंट्रोल कमीशन और 77-सदस्यीय केन्द्रीय कमेटी का चुनाव हुआ.

अंत में नवनिर्वाचित महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सदन को सम्बोधित किया और आयोजकों को दसवें महाधिवेशन को सफल बनाने के लिये धन्यवाद ज्ञापन किया.

मानसा में हुए पार्टी के दसवें महाधिवेशन की सबसे खास बात यह थी कि इसको मानसा वासियों ने अपना उत्सव बना लिया था. नगर के सभी तबकों के लोगों ने महाधिवेशन के आयोजन में धन से लेकर साधन तक हर किस्म की भरपूर सहायता की और रैली में शामिल लोगों व प्रतिनिधियों को भोजन भी कराया. बाहर से आये प्रतिनिधियों के साथ मानसा वासियों का व्यवहार ऐसा था मानों वे उनके नगर में अतिथि के बतौर आये हों.