थूथुकुडी जनसंहार: पलानीस्वामी और मोदी के हाथ खून से रंगे हैं!

देशव्यापी आक्रोश और जनांदोलन ने पलानीस्वामी सरकार को स्टरलाइट कंपनी पर प्रतिबंध् लगाने को मजबूर किया, लेकिन न्याय के लिये संघर्ष जारी रखना होगा

तमिलनाडु के थूथुकुडी (तुतीकोरीन) में जनता वेदांता के स्टरलाइट काॅपर स्मेल्टर (कच्ची धातु गलाने का संयंत्र) का विरोध कर रहे थे, जो पर्यावरण ओर लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया था. 100 दिनों तक शांतिपूर्ण प्रतिरोध प्रदर्शन के बावजूद लोगांे को सरकार से कोई जवाब नहीं मिला, इसके बाद 22 मई 2018 को प्रतिरोध ने जुझारू रुख इख्तियार कर लिया. बजाय इसके कि तमिलनाडु सरकार यह घोषणा करती कि वो प्रदर्शनकारियों से मिलेगी और उनके मुद्दों पर ध्यान देगी, सरकार ने पुलिस को जनसंहार के निर्देश दिए जिसमें एक युवती समेत 13 लोगों की जान गई और कई लोग जख्मी हुए.

मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी, जो अपने उप-मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के साथ मोदी और भाजपा के प्रति चापलूसी दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते, (यहां तक कि मोदी को कर्नाटक में जीत के लिए नतीजों की घोषणा होने और सरकार बनने से पहले की बधाई दे देते हैं) इस जनसंहार को न्यायोचित ठहरा रहे हैं. भाजपा के प्रवक्ता भी टीवी पर इस जनसंहार के प्रति अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं, उन्होंने कहा कि, ”अगर हम तमिलनाडु के प्रदर्शनकारियों पर गोली नहीं चलाते तो वे भी कश्मीरी बन जाते.”

वेदांता भाजपा और साथ ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा चंदा देती है - और दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इन चंदो को ग़ैरकानूनी ठहराया था. वेदांता को बहादुराना जन संघर्ष ने नियमगिरी से भगाया था. अब भाजपा ने वो कानून लागू किया है जिसके द्वारा वेदांता और अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा दिया गया चंदा गुप्त रखा जाएगा. यही वेदांता मोदी का ब्रिटेन में स्वागत करने और उसके ”मेक इन इंडिया” विज़न का महिमामंडन करने वाने विज्ञापन देता है. मोदी का मेक इन इंडिया दरअसल वेदांता जैसे कॉरपोरेट घरानों को भारत में लूट करने की आजादी देने के अलावा और कुछ नहीं है - और यही कारण है कि प्रधानमंत्री थूथुकुडी जनसंहार पर खामोश हैं.

मोदी सरकार और तमिलनाडु की पलानीस्वामी सरकार के हाथ खून से रंगे हैं. ये दोनों लोगों का दमन करने और उनके तमाम अधिकारों और संसाधनों को छीनने के लिये काॅरपोरेटों की निजी सेना की तरह बर्ताव कर रहे हैं.

‘कंपनी राज का प्रतिरोध करो’, ‘स्टरलाइट को बैन करो’, ‘पलानीस्वामी सरकार इस्तीफा दो’ के नारों को बुलंद करते हुए ऐक्टू और भाकपा-माले ने 22 मई से ही पूरे सप्ताह देशभर में विरोध प्रदर्शन संगठित किये और कई स्थानों पर दोनों सरकारों के पुतले दहन किये. तमिलनाडु में अलग-अलग दिन काॅयम्बटुर (प्रिकाॅल मजदूरों द्वारा), चेन्नै स्थित अम्बातुर, कुम्बाकोनम, पुदुकोट्टाई समेत कई स्थानों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गये और 26 मई को मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया गया जिसमें दर्जनों साथियों को गिरफ्तार किया गया. बंगलौर में 24 मई को वेदांता के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया और इसी दिन मैसूर में भी प्रदर्शन किया गया. पुदुचेरी में लगातार विरोध जारी रहा और 25 मई को आहूत बंद को सफल करते हुये एक जुझारू प्रदर्शन संगठित किया गया. साथ ही दिल्ली; छत्तीसगढ़ में भिलाई, एवं कोरबा में बालको (यह एल्यूमिनियम का सरकारी प्लांट वाजपेयी सरकार ने वेदांता को बेच दिया था); राजस्थान में उदयपुर, झारखंड में रांची, बोकारो, उ. प्रदेश में इलाहाबाद व अन्य स्थानों, बिहार के पटना, भागलपुर आदि; उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर; आदि विभिन्न राज्यों के शहरों में
विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गये. 23 मई को मोदी सरकार के चार साल के अवसर पर जेजा (जन एकता, जन अधिकार आंदोलन) के बैनर तले आयोजित देशव्यापी ‘‘पोल खोल, हल्ला बोल’’ कार्यक्रमों में इस जनसंहार की कड़ी भत्र्सना की गई और मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. इन कार्यक्रमों में ऐक्टू ने जोरदार ढंग से पलानीस्वामी सरकार के इस्तीफे और स्टरलाइट कंपनी को बंद करने की मांग उठाई. पीयूसीएल जैसे नागरिक अधिकार संगठन ने इस जनसंहार की तुलना जलियांवाला बाग जनसंहार से की. देशभर के विभिन्न लोकतांत्रिक और नागरिक एवं मानवाधिकार संगठनों ने इस जनसंहार के खिलाफ आवाज उठाई. इस बीच  27 मई को एआईपीएफ (ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम) के जांच दल ने घटना स्थल का दौरा किया और तुतीकोरीन शहर के जनरल अस्पताल में भर्ती घायल लोगों से मिला.

इस जनसंहार की प्रतिक्रिया में, इंग्लैंड की राजधानी लंदन में इंडिया हाउस के समक्ष वेदांता बहुराष्ट्रीय कंपनी, जो इस देश से अपना कारोबार चलाती है, के खिलाफ यहां की सरकार द्वारा जांच बिठाने की मांग को लेकर साउथ एशिया सॉलिडैरिटी ग्रुप समेत करीब एक दर्जन संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया. इस देश की मुख्य विपक्षी पार्टी लेबर ने इस कंपनी को लंदन स्टॉक एक्सचेंज से बाहर करने की मांग उठाई. साथ ही एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने वेदांता पर भारत समेत दुनिया के कई देशों में मानवाधिकार हनन और पर्यावरण को नष्ट करने का आरोप लगाया.