बंगलौर नगर निगम के ठेका सफाई कर्मियों ने निगम कार्यालय का घेराव किया

बंगलौर नगर निगम के हजारों ठेका सफाई कर्मियों ने ऐक्टू से संबद्ध ‘बीबीएमपी गुट्टिका पोवराकार्मिका संगठन’ के नेतृत्व में 5 जून 2018 को पिछले पांच महीने के वेतन के भुगतान की मांग पर और छंटनी की धमकी के खिलाफ निगम कार्यालय पर घेरा डाल दिया.

विश्व पर्यावरण दिवस पर, जब कई आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे, 2000 से ज्यादा मजदूरों ने, जिनकी कड़ी मेहनत और पसीने के बल पर बंगलौर का पर्यावरण स्वच्छ और सुरक्षित रहता है, काम रोक दिया और अपने बच्चों के साथ, कंबल और बिस्तर लेकर बीबीएमपी कार्यालय पर जमा हो गए, ये घेराबंदी बीबीएमपी के मजदूर विरोधी रवैये और गैरकानूनी तौर-तरीकों के खिलाफ की गई थी. बीबीएमपी का यह मजदूर विरोधी रवैया इस बात से जाहिर है कि बीबीएमपी के कमिश्नर ने मीडिया को यह कहा कि प्रदर्शनकारी बोगस कर्मचारी हैं. कमिश्नर का यह वक्तव्य इसी बात से झूठा साबित हो गया कि मेयर ने वक्तव्य दिया कि 4000 मजदूरों को वेतन नहीं दिया गया है और उनका भुगतान किया जाएगा.

एक सफाई मजदूर ने कहा कि, ”वो कमिश्नर जिसमें इतनी शालीनता नहीं है कि वो आकर हमसे बात करे, हमें बोगस कहता है! यह निंदनीय है. हमें उसे चुनौती देते हैं कि वो झाडू उठाए और एक दिन हमारे साथ सड़कों की सफाई करके और कूड़ा उठा कर, उसे हमारी तरह हाथ से अलग-अलग करके दिखाए, ताकि उसे हमारी जिंदगी के बारे में पता तो चले.”

दूसरे मजदूर ने कहा कि, ”न्यूनतम वेतन के भुगतान में देरी कानून के खिलाफ है, लेकिन यहां बीबीएमपी ने मजदूरों को महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया है! हमने इसी के खिलाफ मई में भी प्रदर्शन किया था और हमें तीन दिनों में इस पर कार्यवाही का यकीन दिलाया गया था लेकिन पालिका द्वारा वेतन के भुगतान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है.”

तीसरे ने कहा कि, ”हमें दस्ताने और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के बात तो छोड़ ही दीजिए, पालिका हमें हमारी झाडुओं और यूनिफोर्म तक के लिए भुगतान नहीं करती. और जब वो हमें वेतन का भुगतान भी नहीं करते तो हमारे लिए भोजन, किराया, स्कूल की फीस और अन्य आवश्यकताओं का पैसा देना भी मुश्किल हो जाता है.”

इसके अलावा, वो पालिका जिसने खुद बंगलौर के बढ़ते हुए कचरे की समस्या के प्रबंधन के लिए अतिरिक्त मजदूरों को नियुक्त किया है, ने उन्हें एक बेकार के और अवैज्ञानिक नियम के तहत काम से हटाने का निश्चय किया, जो यह कहता है कि 700 की जनसंख्या पर एक ही मजदूर होगा. इस नियम के अनुसार चलें तो ना सिर्फ हजारों मजदूरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि बाकी बचे मजदूरों पर जो पहले ही क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं उन पर काम का बोझ बढ़ जाएगा. इस प्रदर्शन में एक मांग यह भी थी कि किसी मजदूर को काम से नहीं हटाया जाएगा.

केनगेरी, यशवंतपुर, हेरोहल्ली, पीन्या, उल्सूर, बनासवाड़ी, इंदिरानगर, के.आर. पुरम, और अन्य कई इलाकों से आए मजदूर सुबह 11 बजे प्रदर्शन में हिस्सेदारी के लिए बीबीएमपी कार्यालय पर जमा हो गए थे. इस प्रदर्शन को मेयर और ज्वांइट कमिश्नर, (हेल्थ एंड एस डब्ल्यू एम) ने आकर सम्बोधित भी किया.  

सभा को ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष एस. बालन, बीबीएमपी गुट्टिगे पोराकार्मिक संगटन की महासचिव निर्मला, ऐक्टू की राज्य महासचिव मैत्रेयी कृष्णन और भाकपा-माले लिबरेशन के राज्य सचिव क्लिफ्टन डी’ रोजारियो ने सम्बोधित किया.

प्रशासन द्वारा बकाया वेतन के तीन दिन के भीतर भुगतान करने, किसी मजदूर की छंटनी ना करने, हफ्तावारी और त्यौहार पर छुट्टी देने, एक हफ्ते में यूनीफॉर्म और सुरक्षा उपकरणों को उपलब्ध करवाने, ईएसआई और पीएफ कार्ड जारी करने और मजदूरों की शिकायतों के निवारण के लिए चीफ इंजीनियर (एसडब्लूएम) और असिस्टेंट कमिश्नर (एसडब्लूएम) को शुमार करके एक शिकायत निवारण सेल बनाने का यकीन दिलाने वाले सर्कुलर को जारी करने के बाद ही इस हड़ताल को वापस लिया गया.

मजदूरों ने घोषणा की कि अगर सर्कुलर में दिए गए आश्वासनों को पूरा नहीं किया गया तो वे फिर से हड़ताल पर चले जाएंगे. उनकी यह भी मांग थी कि ठेका मजदूरों को नियमित किया जाए, जैसा कि पिछली सकार ने वादा किया था और जिसकी सिफारिश कई आधिकारिक कमेटियां भी कर चुकी हैं.

यूनियन ने सभी बंगलौर निवासियों का अपने निगम के चुने हुए प्रतिनिधियों और बीबीएमपी के अधिकारियों पर यह दबाव बनाने का आहृान किया है कि वे मजदूरों को उनका उचित भुगतान करवायें और उनके वेतन, सुविधाओं और अवकाश के संबंध में सभी कानूनों का पालन किया जाए. ु