न्यूनतम वेतन में वृद्धि के लिए असम में चाय बागान मजदूरों की हड़ताल

20 अगस्त 2018 को, ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑफ टी वर्कर्स वेज (जेएसीटीडब्लूडब्लू) ने चाय बागान मजदूरों के लिए 351.33रु. दिहाड़ी की मांग के लिए एक दिवसीय हड़ताल (बागिसा बंद) का आहृान किया. ये असम के चाय बागान मजदूरों की लंबे समय से चली आ रही मांग है, और जेएसीटीडब्लूडब्लू ने इसी मांग के आधार पर यह संघर्ष खड़ा किया है. जेएसीटीडब्लूडब्लू वाम ट्रेड यूनियनों और चाय जातियों के संगठनों का एक साझा मंच है, जिसमें ऐक्टू से संबद्ध असम संग्रामी चा श्रमिक संघ, अखिल भारतीय चा मजदूर संघ, असम माजुरी श्रमिक यूनियन, चा मुक्ति संग्राम समिति, असम मजदूर यूनियन, ऑल असम आदिवासी छात्र संघ, ऑल असम आदिवासी महिला समिति आदि शामिल हैं. असम के हर इलाके में, चाय बागान मजदूरों की हड़ताल पूरी तरह सफल रहीः ब्रम्हपुत्र घाटी के इलाके में ज्यादा बड़े चाय बागान हड़ताल की वजह से बंद रहे. चाय फैक्टरियां भी बंद रहीं. 6 लाख से ज्यादा चाय बागान मजदूरों ने हड़ताल में हिस्सेदारी की. एक जिले का उदाहरण देखिएः बिस्वनाथ जिले में 16 चाय बागान हैं, जिनमें से 15 हड़ताल की वजह से बंद रहे.

हड़ताल से पहले, हड़ताल के समर्थन में गुवाहाटी में एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें भाकपा-माले, माकपा, भाकपा, एएपी, एलडीपी ने हिस्सेदारी की. दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनियन एसीएमएस असम चा मजदूर संघ ने हर संभव तरीके से हड़ताल को असफल करने की कोशिश की, लेकिन चाय बागान मजदूरों ने उसकी चलने नहीं दी, और इस बात का पर्दाफाश कर दिया कि एसीएमएस मजदूरों के अधिकारों का दमन करने में किस तरह भाजपा सरकार का साथ दे रही है.
चाय बागाान मजदूरों की मांगों के समर्थन में 20 अगस्त को डिब्रूगढ़ में श्रम मंत्री का पुतला दहन किया गया.