लखनऊ में ऐक्टू का प्रदर्शन

बैटरी चालित रिक्शा (ई-रिक्शा) चालकों के उत्पीड़न एवं रेहड़ी पटरी दुकानदारों को उजाड़े जाने के विरोध में 28 दिसम्बर 2018 को ऐक्टू ने परिवर्तन चौक से जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाल कर प्रदर्शन किया और राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा. ज्ञापन में ई-रिक्शा चालकों का उत्पीड़न बन्द करने, उनके लिये रुट तय किये करने व स्टैंड बनाने और पटरी दुकानदारों को उजाड़ना बन्द करके उन्हें रोजगार की सुरक्षा देने की मांग की गई.

जुलूस परिवर्तन चौक से जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच कर सभा में बदल गया. वक्ताओं ने आरोप लगाया कि जिस तरह मोदी राज में वालमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिये न केवल पटरी दुकानदारों को उजाड़ने के जरिए पूरे खुदरा व्यापार को तबाह करने की साजिश की जा रही है उसी तर्ज पर योगी सरकर ओला, उबेर जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के इशारे पर ई-रिक्शा चालकों का उत्पीड़न कर रही है और जन परिवहन को तबाह करने पर आमादा है. इसके खिलाफ मजदूरों को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा.

वक्ताओं ने 8-9 जनवरी की ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने की अपील की। ऐक्टू जिला संयोजक के.एम.एस. मगन, भाकपा-माले के जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर, ई-रिक्शा चालक एकता मंच के वीरेंद्र कुमार व नेपाल सिंह यादव और निर्माण मजदूर यूनियन के नेता सुग्रीव सरोज ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सरकार को चेतावनी दी कि अगर रिक्शा चालकों और पटरी दुकानदारों का उत्पीड़न बन्द नहीं किया गया तो इस लड़ाई को और बड़े पैमाने पर लड़ा जाएगा. 