मजदूर-किसानों का विधानसभा मार्च

18 फरवरी को बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले राज्य के तकरीबन 40 मजदूर-किसान संगठनों के नेतृत्व में बीसियों हजार मजदूर-किसानों ने विधानसभा मार्च किया. पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ मजदूर-किसानों की ऐतिहासिक जुटान का गवाह बना. गांधी मैदान से लेकर डाकंबगला चौराहा का पूरा इलाका मजदूर-किसानों की मांगों व नारों से गुंजायमान था.

पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवानों की शहादत को अपनी सांप्रदायिक नफरत और उन्माद-उत्पात की राजनीति को नया उभार देते हुए संघी-भाजपाई ताकतों द्वारा देश के कई शहरों में कश्मीरी छात्रों, व्यापारियों व नागरिकों पर हमला करने, अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदायों को डराने-धमकाने तथा पाकिस्तान के साथ युद्धोन्माद पैदा करने में इस्तेमाल करने के घिनौने प्रयासों को धता बताते हुए मजदूर-किसानों ने विधानसभा मार्च के जरिए किसानों के सभी प्रकार के कर्जों की माफी, फसल बीमा, फसलों की अनिवार्य खरीद, बिना वैकल्पिक व्यवस्था के दलित-गरीबों को उजाड़ने पर रोक, नया बटाईदार कानून लागू करने, नया आवास कानून बनाने, चीनी-कागज-जूट-सूत आदि मिलों को चालू करने, जमीन-आवास की गारंटी करने, मनरेगा समेत सभी स्कीम वर्करों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी, वृद्धावस्था पेंशन की राशि न्यूनतम 3000रू. करने सहित 25 सूत्री मांगों के साथ देश की जनता के असली मुद्दों को सामने लाने का साहसिक प्रयास किया.

सुबह होते-होते गांधी मैदान में कई हजार मजदूर-किसान जिनमें महिलाओं की तादाद भी काफी थी, जमा हो चुके थे. अखिल भारतीय ग्रामीण खेत मजदूर सभा, अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय किसान सभा समेत कई संगठनों के बैनर तले ये मजदूर-किसान जुटे थे.

डाकबंगला चौराहे पर मजदूर-किसानों के जनसैलाब को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने कहा कि अंबानी-अडानी परस्त मोदी सरकार में किसान और जवान सुरक्षित नहीं है. 2019 में इन्हें भगाकर ही दम लेना होगा. तभी देश सुरक्षित रहेगा. आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी और किसानों को अपने ही देश में कर्ज माफी, फसल बीमा, लाभकारी मूल्य और अनिवार्य फसल खरीद की गारंटी होगी. उन्होंने कहा कि नीतीश राज में किसानी की हालत चौपट हो गई है. कृषि आधारित सारे उद्योग बंद पड़े हुए हैं और फसलों की खरीद में यह सरकार फिसड्डी साबित हुई है. किसान-मजदूरों का यह ऐतिहासिक मार्च इसका ऐलान कर रहा है कि मोदी को भगायेंगे और पलटू राम नीतीश कुमार को कड़वा सबक सिखायेंगे.

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि मोदी सरकार उन्माद की खेती कर चुनाव की वैतरणी पार करना चाहती है. जवानों की शहादत के बाद देश में मौजूद गम व गुस्से के बीच हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति व चुनाव दौरे पर निकल जाना देश व सेना का अपमान है. आगे कहा कि 10 लाख दलित-गरीबों को नीतीश सरकार ने उजाड़ने की ठान ली है. बिहार सहित देश के दलित-आदिवासी-गरीब-मजदूर वास-आवास को मौलिक अधिकार में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. दलित-गरीबों को जो सरकार उजाड़ेगी, वैकल्पिक आवास की व्यवस्था नहीं करेगी, उस सरकार को जनता उखाड़ फेंककर बदला लेगी.

बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग को उठाते हुए भाकपा-माले के तीनों विधायकों ने मजदूर-किसानों की एकजुटता रैली में हिस्सा लिया. डाकबंगला पर सभा को संबोधित करते हुए माले विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि जीएसटी को लेकर आधी रात में बैठक होती है लेकिन किसानों-मजदूरों की बदहाली पर सदन में कोई चर्चा नहीं होती है. करोड़पतियों-अरबपतियों को नीतीश सरकार महिमामंडित कर रही है और दलित-गरीबों को उजाड़ने में लगी है.  राजेन्द्र पटेल