‘बिहारशरीफ नगर निगम कामगार यूनियन’’ द्वारा कन्वेंशन का आयोजन

28 जून को ‘‘बिहारशरीफ नगर निगम कामगार यूनियन’’ (संबद्ध ऐक्टू) द्वारा नालन्दा के टाउन हॉल में कन्वेंशन का आयोजन किया गया. यह कन्वेंशन निकाय कर्मियों के संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर मुख्यमंत्री के समक्ष बिहार के सफाईकर्मियों के 30 जुलाई को आहूत राज्यस्तरीय प्रदर्शन और 20 अगस्त से होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल की तैयारियों के क्रम में आयोजित किया गया था.  

कन्वेंशन में बिहारशरीफ, हिलसा, राजगीर और नवादा के सफाईकर्मियों और अन्य कर्मचारियों ने भागीदारी की. कन्वेंशन की शुरुआत में जून के महीने में सीवर की जहरीली गैस से सूरत में 7, कानपुर में 2 और रोहतक में 4 सफाईकर्मियों की मौत, बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत और झारखंड में तबरेज अंसारी की माबलिंचिंग से हुई मौत पर दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गई. कन्वेंशन में आये संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों का स्वागत बिहारशरीफ निगमकर्मियों के अध्यक्ष विक्की कुमार ने किया.

कन्वेंशन का उद्घाटन करते हुए संयुक्त मोर्चा के संयोजक और बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ (संबद्ध ऐक्टू) के महासचिव श्यामलाल प्रसाद ने कहा कि निकायों में काम कर रहे सफाईकर्मियों, संविदाकर्मियों, दैनिक वेतनभोगी, अनुबंध और कमीशन पर काम कर रहे कर्मचारियों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. निकाय कर्मचारियों के काम को आउटसोर्सिंग कर ठेकेदारों को दिया जा रहा है. बिहार की नीतीश सरकार दलित-महादलित के विकास का नारा देते नहीं थकती है पर जान खतरे में डाल शहर की सफाई करने वाले सफाईकर्मियों जो 20-25 वर्षों से काम कर रहे हैं उनको नियमित करने के बजाय आउटसोर्सिंग कर उनके काम को ठेकेदारों के हवाले कर खुले शोषण का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है. 

भाजपा की मोदी सरकार ने मजदूर वर्ग पर चौतरफा हमला बोल दिया है. मजदूर वर्ग पर मोदी सरकार काम की आउटसोर्सिंग, छंटनी, जबरिया सेवानिवृत्ति, श्रम कानूनों के खात्मे और निजीकरण के माध्यम से हमला बोल रही है. वहीं दूसरी तरफ सांप्रदायिक और नफरत की राजनीति कर मजदूर वर्ग को बांटने की कोशिश कर रही है ताकि मजदूरों के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाया जा सके. बिहार में नीतीश सरकार ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का अनुकरण करते हुए स्थानीय निकायों में चतुर्थ वर्गीय पद, अनुकंपा पर बहाली को बंद कर काम की आउटसोर्सिंग करने का आदेश दिया है. केंद्र की मोदी और राज्य की नीतीश सरकार के इस मजदूर-कर्मचारी विरोधी रवैए के खिलाफ निकाय कर्मियों के संयुक्त मोर्चा के गठन को वक्त की जरूरत बताते हुए निकायों में ठेकेदारी प्रथा बन्द करने, निकाय कर्मियों की सेवा को नियमित करने, न्यूनतम मानदेय 18,000 रु. करने, 7 वां वेतन पुनरीक्षण लागू करने आदि 11 सूत्री चिर-लंबित मांगों को लागू करवाने के लिए सफाईकर्मियों, कर्मचारियों की एकता को विस्तारित और मजबूत करते हुए संयुक्त आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है. इसके तहत 16 जुलाई को जिलाधिकारियों के समक्ष प्रदर्शन और 30 जुलाई को मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा. 11 सूत्री मांगों के पूरा न होने पर 20 अगस्त से सभी कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे. हड़ताल 19 अगस्त को मशाल जुलूस निकाल कर आधी रात से प्रारम्भ की जाएगी.              

कन्वेंशन को दरभंगा नगर निगम के अध्यक्ष शशिकांत मिश्र व महासचिव मोख्तार अहमद खान, नवादा नगर परिषद के भोला राम, ऐक्टू के राजकिशोर शर्मा, राजगीर नगर पंचायत के गिरेन्द्र प्रसाद, बिहारशरीफ निगम के अध्यक्ष और सचिव क्रमशः विक्की कुमार और मनोज दास ने संबोधित किया. कन्वेंशन का संचालन ऐक्टू राज्य उपाध्यक्ष मकसूदन शर्मा ने किया.       

कन्वेंशन के अंत में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये गयेः        

  • कन्वेंशन मजदूरों, किसानों, खेत-मजदूरों, युवाओं और अन्य हिस्सों के आंदोलनों और अन्याय के खिलाफ दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के प्रति एकजुटता जाहिर करते हुए झारखंड में मॉब लिंचिंग में मारे गए तबरेज अंसारी के परिजनों के साथ संवेदना व्यक्त करता है और सभी दोषियों यों को स्पीडी ट्रायल चला सजा देने की मांग करता है.          
  • बदहाल सार्वजनिक चिकित्सा और कुपोषण के कारण चमकी बुखार से मारे गए बच्चों और लू से मारे गए नागरिकों के परिजनों से संवेदना व्यक्त करते हुए बिहार के स्वास्थ मंत्री मंगल पांडे के इस्तीफे की मांग करता है.            
  • निकायों में ठेका प्रथा समाप्त करने, कर्मियों को नियमित करने, सफाईकर्मियों के लिए मुफ्त वास-आवास देने और सफाईकर्मियों व उनके आश्रितों को मुफ्त शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाएं देने समेत 11-सूत्री मांगों को सरकार द्वारा पूरा करने की मांग कन्वेंशन करता है.  
  • अभी तक जुलाई 2017 से 225 सफाईकर्मियों की मौतें सीवर और सैप्टिक टैंक साफ करते इस देश में हुई हैं. बिना सुरक्षा उपकरण के काम करवाना राज्य प्रायोजित अपराध है. ऐसी मौतों के लिए जिलाधिकारी को जिम्मेदार ठहरा उन पर भी प्राथमिकी दर्ज की जाय और उनके परिजनों को समुचित मुआवजा के साथ आश्रितों को तीन महीने के अंदर नौकरी दी जाय. संसद से पास मैनुअल स्केवेंजिंग ऐक्ट-2013 को पूरी तरह से लागू करने की मांग कन्वेंशन करता है.   
  • स्वच्छ भारत अभियान सेस के तहत सभी सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत कर लगाया गया. 2015 से जुलाई 2017 तक इस मद में 20,600 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार को मिले. कन्वेंशन इस राशि को सफाईकर्मियों के पुनर्वास पर खर्च करने और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करता है.  
  • कन्वेंशन मोदी सरकार द्वारा मजदूरों के वर्षों के संघर्ष के परिणाम से लागू श्रम कानूनों को समाप्त करने के प्रयासों की भर्त्सना करते हुए श्रम-कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांग करता है.  
  • कन्वेंशन न्यूनतम मानदेय 18,000 रुपया करने, ईपीएफ-ईएसआई की सुविधा, सातवें वेतन पुनरीक्षण को स्थानीय निकायों में लागू करने और वेतन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की मांग करता है.