आंदोलन की राह पर बिहार के बीड़ी मजदूर 

बीड़ी मजदूरों के प्रति सरकार के उदासीन रवैये को लेकर जमुई जिला में चकाई प्रखंड के कियाजोरी पंचायत के घाघरा जलाशय मैदान में 1 सितंबर को बीड़ी मजदूरों की एक सभा आयोजित हुई जिसमें सैकड़ों की संख्या में महिला बीड़ी मजदूरों ने भाग लिया. 

बिहार राज्य जनवादी बीड़ी मजदूर यूनियन (संबद्ध ऐक्टू) के महासचिव मकसूदन शर्मा ने महिला बीडी मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन राज में बीड़ी मजदूरों का न तो श्रमिक परिचय पत्र बना है और न ही पीएफ में नाम दर्ज हुआ है. इस वजह से बीड़ी मजदूर श्रम संसाधन विभाग की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित हैं. जमुई जिला में चार लाख बीड़ी मजदूर हैं जिसमें से सिर्फ एक लाख बीड़ी मजदूरों का ही परिचय पत्र बनाया गया है. परिचय पत्र के अभाव में इन्हें चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है. इनके बच्चों को छात्रवृत्ति की योजना से वंचित किया जाता है, आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाता है, पीएफ से वंचित होने के कारण पेंशन आदि की सुविधा नहीं मिल पाती है. बिहार सरकार साल में दो बार न्यूनतम मजदूरी बढ़ोतरी के लिए अधिसूचना जारी करती है परंतु आज तक कभी भी न्यूनतम मजदूरी दिलाई नहीं जा सकी है. 

यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष बासुदेव राय ने कहा कि एक हजार बीड़ी बनाने पर केवल 80 रुपया मजदूरी मिलती है जो इस महंगाई के दौर में नाकाफी है. जमुई जिला में 200 से अधिक ऐसी बीड़ी कंपनियां हैं जिनका निबंधन नहीं है. जिला श्रम कार्यालय की मिलीभगत से सरकारी राजस्व की चोरी हो रही है. बीड़ी मजदूरों की मजदूरी बढ़ोतरी के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में त्रिपक्षीय वार्ता हुई. मजदूरी 80 रुपया प्रति हजार बीड़ी से बढ़ाकर 112 रुपये करने पर स्वीकृति पत्र जारी किया गया. न तो बीड़ी कंपनियों ने इसे लागू किया और न ही श्रम अधीक्षक एवं जिलाधिकारी ने इस मामले में संज्ञान लिया. बीड़ी मजदूरों को मजदूरी मांगने पर धमकी मिलती है. इससे मजदूरों की स्थिति बद से बदतर होती जायेगी. इन नीतियों के खिलाफ जिले में बीड़ी मजदूरों का आन्दोलन जारी रहेगा. 

सभा को समर्थन में भाकपा-माले के प्रखंड सचिव मनोज कुमार पांडे ने भी संबोधित किया.