कॉमरेड संध्या तलवारे को लाल सलाम!

15 सितंबर को पुणे में कॉमरेड संध्या तलावरे का निधन हो गया. उनका जन्म 7 जुलाई 1958 को नागपुर में हुआ था.

वे कुशाग्र बुद्धि की छात्रा थीं. उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया था. उन्होंने दो वर्ष तक कानून का भी अध्ययन किया. वे कवयित्री और चित्रकार भी थीं. वे एनसीसी बटालियन की सबसे अच्छी कैडेट थीं. वे पर्वतारोही और पैराट्रूपर भी थीं. वे कॉलेज के दिनों से ही अनेक युवा आंदोलनों में शामिल होती रहीं. जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ‘जीरो बजट’ की धारणा लागू की, तो रोजगार के अवसर खत्म हो गए. तब उन्होंने महाराष्ट्र में ‘रोजगार गारंटी योजना’ के तहत रोजगार की मांग पर नौजवानों का आंदोलन संगठित किया.

उन्होंने 1980 में भोजपुर में चल रहे क्रांतिकारी कम्युनिस्ट आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया और उन्होंने वहां आइपीएफ को संगठित करने में जोशीली भूमिका निभाई. फिर वे भाकपा-माले से जुड़ गईं. भोजपुर में महिला संघर्षों और अन्य आंदोलनों में शिरकत की और उन्हें संगठित किया. भोजपुर के ही का. हरेंद्र श्रीवास्तव के साथ उनका विवाह हुआ. यह शादी उनके पिता को मंजूर न थी, इसीलिए उन्होंने अपनी पसंद की शादी करने के अधिकार से इस पितृसत्तात्मक इन्कार के खिलाफ विद्रोह कर दिया. उनकी दोनों बेटियों - आकांक्षा (जो अब नहीं रहीं), और अभिलाषा - ने उनकी राजनीतिक विरासत को थाम लिया. वे नागपुर, मुंबई और पालघर में कई आंदोलनों में काम करती रहीं. अपने बिगड़े स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने पालघर में चुनावी मुहिम को संगठित किया. ऐपवा की नेता के बतौर उन्होंने महिला अधिकारों से संबंधित कई संघर्षों का नेतृत्व किया.

उनकी छोटी बेटी आकांक्षा की दुर्भाग्यपूर्ण मौत से का. संध्या को गहरा सदमा पहुंचा. उसके बाद से ही वे मधुमेह और इससे जुड़ी अन्य दिक्कतों से जूझने लगीं. मधुमेह की जटिलता के चलते उनकी दोनों आंखें खराब हो गईं और अपनी मृत्यु के कुछ महीने पहले उनकी किडनी में भी खराबी आ गई. पार्टी के साथ उनकी प्रतिबद्धता का एक खास पहलू यह था कि उन्होंने पार्टी में शामिल होने के बाद आयोजित सभी पार्टी महाधिवेशनों में हिस्सा लिया. किडनी की बीमारी का पता लगने के बाद भी वे मानसा में आयोजित पार्टी के दसवें महाधिवेशन (2018) में शामिल रहीं.

भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने का. संध्या का योगदान और साथ ही उनकी अदम्य संघर्षशील भावना को व्यक्त करते हुए कहा, ‘कॉमरेड संध्या को लाल सलाम! मैं पिछले महीने पुणे जाते हुए उनसे मिला था. वे उठ बैठीं और उन्होंने हमलोगों के साथ कुछ समय तक पूरी गर्मजोशी और हंसी-खुशी के साथ बातचीत की, और कई कॉमरेडों के बारे में हमसे पूछा. अगर कोई उनसे फोन पर बात करे, तो वह उनकी पीड़ा को कत्तई महसूस नहीं कर सकता. संध्या जैसे कॉमरेडों के प्रचंड उत्साह और प्रतिबद्धता के चलते ही महाराष्ट्र में हमारी पार्टी तमाम मुश्किलों के बावजूद आगे बढ़ी है.’

उनकी बेटी अभिलाषा ने उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहाः ‘वे बहादुर और जुझारू महिला थीं. वे लगातार घर में पितृसत्ता के खिलाफ लड़ती रहीं, उन्होंने सभी चुनौतियों का मुकाबला किया - उनमें कुछ तो बहुत भारी चुनौतियां भी थीं - और वे साहस के साथ अपनी बीमारियों से भी जूझती रहीं. लड़ो, और लड़ते रहो ..... यही उनके जीवन का ध्येय था. मुश्किलों और बाधाओं का मुकाबला करने के लिए उन्होंने हमेशा कठोर प्रयास किया. मार्क्सवाद और लेनिनवाद में उनका दृढ़ विश्वास था और इसीलिए उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने घर को समाज से अलग करके कभी नहीं देखा. उनकी कॉमरेड और बेटी होने के नाते मैं उनके संघर्षशील जज्बे को सलाम करती हूं.’

ऐक्टू कॉमरेड संध्या को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है.