बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ का दूसरा राज्य सम्मेलन संपन्न

बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ (संबद्ध ऐक्टू) का दूसरा राज्य सम्मेलन 20 अक्टूबर 2019 को पटना में संपन्न हुआ.

सम्मेलन में  24 जिलों से लगभग 300 से अधिक रसोइया (मिड-डे मील) प्रतिनिधियों ने भाग लिया 19- सूत्री मांगों पर आंदोलन करने का प्रस्ताव पारित किया गया. सम्मेलन से पारित प्रस्तावों में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर 8 जनवरी 2020 को मजदूरों की अखिल भारतीय हड़ताल को सफल करना, 8-9 फरवरी 2020 को ऐपवा का राष्ट्रीय सम्मेलन सफल करना और 2-4 मार्च 2020 को ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल करना शामिल थे.

रसोइयों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो, मानदेय साल में 12 महीने देना होगा, 18,000 मानदेय तय करो, एनजीओ से खाना बनवाना बंद करो, रसोइयों से खाना बनवाने के अलावा अन्य काम कराना बंद करो, साल में चार सूती साड़ी ड्रेस देना होगा, आदि मांगें जमकर बुलंद की गईं.

सम्मेलन का उद्घाटन ऐक्टू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजिका शशि यादव ने किया. मुख्य वक्ता के बतौर प. बंगाल रसोईया संघ सचिव जयश्री दासगुप्ता और पर्यवेक्षक गीता मंडल, झारखंड राज्य विद्यालय रसोईया संघ अध्यक्ष मौजूद थे. ऐक्टू राज्य महासचिव आरएन ठाकुर और भाकपा (माले) विधायक दल नेता महबूब आलम ने सम्मेलन को विशिष्ट अतिथि के तौर पर सम्बोधित किया.

सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों में रसोइयों का 1रु. भी मानदेय नहीं बढ़ाया, मोदी सरकार द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को रसातल में ले जाया जा रहा है, रिजर्व बैंक से 174,000 करोड़ रु. निकाल लिया गया जिसमें से 145,000 करोड़ रु. कॉरपोरेट घरानों को दे दिया गया.

जबकि 13वीं पंचवर्षीय योजना में मिड-डे मील योजना के लिए 90 हजार 115 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया था लेकिन इस सरकार ने 5 वर्ष में सिर्फ 43,658 करोड़ रु. ही आवंटित किया है. दूसरी तरफ नीतीश सरकार इस योजना को ही समाप्त करने पर ही तुली है. स्कूलों का मर्जर कर योजना को घटाया जा रहा है. मिड-डे मील योजना को एनजीओ के हवाले किया जा रहा जिसके खिलाफ आंदोलन तेज किया जाएगा.

सम्मेलन का समापन 77-सदस्यीय नई राज्य परिषद के चुनाव के साथ हुआ जिसमें 31-सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया गया. अध्यक्ष सोहिला गुप्ता और महासचिव सरोज चौबे चुनी गईं.