खेग्रामस का 6ठा बिहार राज्य सम्मेलन

विगत 8-9 नवंबर 2019 को पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी मैदान में अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) का 6ठा बिहार राज्य सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. सम्मेलन के पहले दिन राज्य के विभिन्न इलाकों से खेत-ग्रामीण व मनरेगा मजदूरों का भारी जुटान हुआ. विदित हो कि इसी दिन अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर फैसला आया था, और उसको लेकर पूरे बिहार में हाईअलर्ट किया गया था. जगह-जगह प्रशासन ने रैली को बाधित करने का भी प्रयास किया. पटना में भी आयोजन को लेकर प्रशासन द्वारा समस्याएं उत्पन्न की गईं, फिर भी रैली में हजारों की तादाद में गरीब-गुरबे शामिल हुए और उन्होंने मंदिर-मस्जिद के बजाए शिक्षा-रोजगार, भूमि-आवास की मांगों को बुलंद किया. सम्मेलन में महिलाओं की भी बड़ी संख्या शामिल हुई. ‘नफरत नहीं रोजगार चाहिए, बराबरी का अधिकार चाहिए’ और ‘मनरेगा में कम से कम 200 दिन काम व प्रति दिन 500 रु. प्रति दिन न्यूनतम मजदूरी’ की केंद्रीय मांगों के साथ-साथ भूमिहीनों व गृहविहीनों के लिए नया रजिस्टर तैयार करने की भी मांग उठाई गई. पूरा गर्दनीबाग इलाका लाल झंडों से पट गया था. रैली में मुख्य वक्ता के बतौर भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य शामिल हुए. उनके साथ भाकपा-माले, खेग्रामस व अन्य जनसंगठनों के वरिष्ठ नेता भी मंच पर उपस्थित थे. मंच का नामांकरण खेग्रामस व सीमांचल के लोकप्रिय नेता शहीद का. सत्यनारायण यादव-का. कमलेश्वरी ऋषिदेव और वैशाली में संस्थागत हत्या की शिकार हुई महादलित छात्रा डीका के नाम पर किया गया था. दिन के 12 बजे लाइब्रेरी मैदान में सभा आरंभ हुई. सभा की शुरूआत में शहीद साथियों को श्रद्धांजलि दी गई और जनकवि निर्मोही जी ने शहीद गीत प्रस्तुत किया. 

खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा ने स्वागत वक्तव्य दिया. सभा को संगठन के सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, विधायक सत्यदेव राम, विधायक सुदामा प्रसाद, आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष एवं ऐक्टू की उपाध्यक्षा शशि यादव, रसोइया संघ की नेता सरोज चौबे, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी आदि नेताओं ने भी संबोधित किया. सभा की अध्यक्षता खेग्रामस के बिहार राज्य अध्यक्ष वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता व संचालन राज्य सचिव गोपाल रविदास ने किया. 

8 नवंबर की शाम से संगठन का प्रतिनिधि सत्र आरंभ हुआ. प्रतिनिधि सत्र को भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य और बिहार राज्य सचिव कुणाल ने संबोधित किया. सम्मेलन में लगभग एक हजार प्रतिनिधि शामिल हुए और खेग्रामस को अगले सम्मेलन तक बिहार के समस्त ग्रामीण मजदूरों का प्रतिनिधि संगठन बनाने का लक्ष्य लिया. इस सम्मेलन की खासियत यह रही कि इसमें अलग से मनरेगा मजदूर सभा का गठन किया गया. सम्मेलन ने 145 सदस्यों की राज्य परिषद और 45 सदस्यों की कार्यकारिणी का चुनाव किया. विधायक सत्यदेव राम संगठन के सम्मानित अध्यक्ष, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता राज्य अध्यक्ष और गोपाल रविदास सचिव के बतौर चुने गए. 

सम्मेलन से पारित कुछ प्रस्ताव 

सम्मेलन ने भाजपा-आरएसस द्वारा पूरे देश में एनआरसी थोपने के प्रयासों के जोरदार विरोध में भूमिहीनों-गृहविहीनों के राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने का विरोध किया तथा आवास के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल करने, भूमि व वनाधिकार कानून के तहत वनवासियों के अधिकार को सुनिश्चित करने, अंबानी-अडानी परस्त मोदी सरकार द्वारा मालिकों के पक्ष में किए गए श्रम कानूनों में संशोधनों को खारिज करते हुए 8 जनवरी 2020 को मजदूर वर्ग की साझी हड़ताल को सफल बनाने, सरकार से वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करने, दलित-गरीाबों को उजाड़ने वाले तमाम नोटिस अविलंब वापस लेने तथा नदी-तालाब-पईन-नहर आदि जल निकायों के संरक्षण को लेकर कानून बनाने की मांग संबंधी प्रस्ताव पारित किए.

सम्मेलन ने बिहार में खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन में विफलता के मद्देनजर दलित-गरीब परिवारों के नाम छूटने के लिए सीओ को दोषी ठहराने व दंडित करने की मांग की और गरीबों के बच्चे-बच्चियों के शिक्षा अधिकार के साथ राज्य सरकार की अनदेखी और अवहेलना के प्रति सम्मेलन ने रोष जाहिर किया. समान स्कूल प्रणाली लागू करने और शिक्षा के निजीकरण-बाजारीकरण पर उठ रही आवाज के प्रति सम्मेलन ने एकजुटता प्रदर्शित किया.

सम्मेलन ने मनरेगा में मजदूर के बदले मशीन से काम करवाने व मनरेगा राशि की फर्जी निकासी पर रोक लगाने, मनरेगा मजदूरों को राज्य में तय न्यूनतम मजदूरी 277 रुपये तत्काल देने और गरीब हितैषी योजनाओं के क्रियान्वयन में व्याप्त लूट व अनियमितता पर विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने, बिहार के बुजुर्गों, विकलांगों को लंबित पेंशन का भुगतान करने व इस योजना का लाभ सभी को देने, कृषि मजदूरों समेत तमाम कर्मियों के लिए न्यूनतम मजदूरी कानून लागू करने और आशा, कुरियर, रसोइया, शिक्षा उत्प्रेरक आदि ठेका-नियोजन-प्रोत्साहन में लगे तमाम कर्मियों को नियमित करने तथा न्यूनतम मजदूरी आधारित वेतन देने की मांग की.

खेग्रामस के 6ठे राज्य सम्मेनल से संगठन को राज्य के समस्त ग्रामीण गरीबों का प्रतिनिधि संगठन बनाने के लिए मनरेगा मजदूर सभा का गठन 

खेग्रामस के 6ठे राज्य सम्मेलन से मनरेगा मजदूरों के लिए अलग से मनरेगा मजदूर सभा का गठन किया गया. संगठन की संबद्धता खेग्रामस व ऐक्टू दोनों से होगी. गांव से लेकर राज्य स्तर तक इसके ढांचे का निर्माण किया जाएगा. इसके प्रमुख उद्देश्यों में हैः        

  1. मनरेगा कानून ग्रामीण मजदूरों का संवैधानिक अधिकार है. इसको लेकर मजदूरों को जागरूक बनाना और इस कानून की रक्षा व क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण मजदूरों को एकताबद्ध करना
  2. मनरेगा में दैनिक मजदूरी न्यूनतम 500 रु. करने और 200 दिन कार्यदिवस के लिए संघर्ष करना
  3. मनरेगा मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा, पेंशन और आवास अधिकार के लिए संघर्ष करना
  4. महिला मनरेगा मजदूरों की सुरक्षा, सम्मान एवं अन्य स्त्री अधिकारों के लिए संघर्ष करना
  5. कार्यस्थल पर पानी और अन्य सुविधाओं को अनिवार्य बनाने के लिए आवाज उठाना
  6. मजदूरों के व्यापक संघर्ष के साथ एकताबद्ध होना, मजदूर विरोधी सत्ता-सरकार के खिलाफ संघर्ष में हिस्सा लेना. मनरेगा मजदूरों का पंचायत, प्रखंड, जिला और राज्य स्तर पर श्रम विभागों में आधिकारिक भागीदारी की गारंटी के लिए संघर्ष करना.