ऐक्टू द्वारा मजदूर वर्ग कार्यकर्ताओं की अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन

ऐक्टू ने 31 अगस्त-1 सितंबर, 2019 को नागभूषण भवन, भुवनेश्वर (उड़ीसा) में नये, उभरते हुए मजदूर वर्ग कार्यकर्ताओं की एक अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में 19 राज्यों (कश्मीर से कन्याकुमारी तक) और विभिन्न सेक्टरों - सरकारी क्षेत्र के रेलवे, रोडवेज, आदि से लेकर असंगठित क्षेत्र के स्कीम, निर्माण, सफाई, ठेका, औद्योगिक, आदि हिस्सों तक में कार्यरत लगभग 140 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. 

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की शुरूआत ऐक्टू की उड़ीसा इकाई के महासचिव महेंद्र परिदा द्वारा प्रतिभागियों के स्वागत करने से हुई. तत्पश्चात ऐक्टू महासचिव राजीव डिमरी ने मजदूर वर्ग और देश के समूचे लोकतंत्र पर कॉरपोरेट, सांप्रदायिक फासीवादी हमलों की मौजूदा परिस्थिति में कार्यशाला के उद्देश्य और चर्चा के विभिन्न विषयों के महत्व पर रोशनी डाली. 

पहले सत्र में ‘‘भारतीय मजदूर वर्ग आंदोलन का इतिहास - आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण पड़ाव’’; और ‘‘वैचारिक और राजनीतिक संघर्षों का इतिहास और एक क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन केंद्र के बतौर एआईसीसीटीयू का उदय’’ विषयों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रभु महापात्रा और ऐक्टू की ओर से राजीव डिमरी ने वक्तव्य रखे. 

दूसरे सत्र में ‘‘मौजूदा दौर में मजदूर वर्ग आंदोलन केे समक्ष चुनौतियां- बदलती संरचना, उभरती चुनौतियां और हमारा दृष्टिकोण’’ विषय पर ऐक्टू की ओर से विद्यासागर और एमआईडीएस, चेन्नई से विशेषज्ञ विजय भास्कर ने पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से वक्तव्य रखे.

पहले दिन के अंतिम सत्र में ‘‘श्रम कानूनों का कोडीकरण’’ विषय पर ऐक्टू की ओर से क्लिफ्टन ‘डी रोजारियो ने पेपर प्रस्तुत किया.

दूसरे दिन के पहले सत्र में ‘‘मजदूर वर्ग की सामाजिक भूमिका और राजनीतिकरण’’ विषय पर ऐक्टू की ओर से वी. शंकर ने पेपर प्रस्तुत किया. 

इन सभी विषयों के प्रस्तुतिकरण के बाद इन पर विभिन्न समूहों में चर्चा का आयोजन किया गया. अंत में, वी. शंकर द्वारा चारों विषयों पर दो दिन चले अध्ययन और चर्चाओं का सार प्रस्तुत करने के साथ कार्यशाला का समापन हुआ. 

(प्रस्तुत है ‘‘श्रम कानूनों का कोडीकरण’’ विषय पर पेपर और ‘‘वेतन कोड’’ पर विस्तारित टिप्पणी. अगले अंक में हम बाकी विषयों पर पेपर प्रस्तुत करेंगे.)