बजट के खिलाफ पूरे बिहार में त्रिदिवसीय विरोध दिवस जगह-जगह मोदी व जेटली के पुतले फूंके गये

मोदी सरकार के 2018-19 के बजट में ट्रेड यूनियनों द्वारा पेश की गई 12-सूत्री मांगों में से किसी को भी नहीं माना गया है. अतः बिहार की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ऐक्टू, एटक एआईयूटीयूसी, सीटू, इंटक, टीयूसीसी, यूटीयूसी, एएमयू आदि ने आम बजट को मजदूर व गरीब विरोधी एवं कॉरपोरेटों के हितों वाला बताते हुए दिन 1 फरवरी को शाम को पटना जंकशन के निकट स्थित बुद्ध स्मृति पार्क से जुलूस निकाला जो डाकबंगला चैक तक गया, जहां मोदी और वित्तमंत्री जेटली का पुतला फूंका गया.

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा पेश की गई मांगों में खासकर रोजगार के अवसर को बढ़ाते हुए बेरोजगारी दूर करने, सरकारी कार्यों में वर्षों से ठेका पर काम कर रहे कर्मियों को स्थाई करने, 18,000 मासिक वेतन व 3,000 पेंशन देने, 45 वें भारतीय श्रम सम्मेलन से स्वीकृत स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मी घोषित करने तथा केंद्रीय स्कीमों के बजट व सुविधाओं में उल्लेखनीय वृद्धि करने, रक्षा रेलवे, बीमा, बैंक आदि सार्वजनिक उद्यमों में 100 फीसदी विनिवेश वापस लेने, श्रम कानूनों में मालिक पक्षीय संशोधनों पर रोक तथा बिना किसी छूट के श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करने, आधुनिक गुलामी वाली ठेका प्रथा की समाप्ति, बढ़ती कीमतों पर काबू पाना आदि शामिल हैं और यूनियनें इन मांगों पर लगातार संघर्ष करती रही हैं.

जुलूस में शामिल प्रदर्शनकारी ‘राष्ट्रपति को 5 लाख और आशा-रसोइया को 5 हजार भी वेतन क्यों नहीं, मोदी जवाब दो!’, ‘सांसदों मंत्रियों के वेतन बढ़ाने के लिये बजट पेश करने का नाटक बन्द करो’, ‘40 करोड़ मजदूरों की मज़दूरी व अधिकारों में वृद्धि क्यों नहीं, ‘मोदी-जेटली जवाब दो’, आदि के जोरदार नारे लगा रहे थे. इस अवसर पर ऐक्टू के आर.एन. ठाकुर, रणविजय कुमार, रामबली प्रसाद, ऐटक के चक्रधर प्रसाद सिंह, गजनफर नवाब, डीपी यादव, सीटू के राजकुमार झा, टीयूसीसी के अनिल शर्मा, एआईयूटीयूसी के सुर्यकर जीतेंद्र, अनामिका, आशा कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष शशि यादव, विद्यालय रसोइया संघ नेत्री मीना, महासंघ गोप गुट के प्रेमचन्द कुमार सिन्हा आदि ने इस कार्यक्रम का नेतृत्व किया. ऐक्टू राज्य महासचिव आर.एन. ठाकुर की अध्यक्षता व राज्य सचिव रणविजय कुमार के संचालन में डाकबंगला चैक पर हुई सभा को उक्त नेताओं ने सम्बोधित किया.

ट्रेड यूनियन नेताओं ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो घोषणाएं हुई हैं, उससे आम लोगों को नुकसान और कम्पनियों को ज्यादा फायदा होगा, और यही काम पिछले समय से मोदी सरकार करते आ रही है. नेताओं ने मजदूरों-गरीबों से इस बजट का प्रखंड स्तर तक व्यापक रूप से विरोध करने का आहृान किया.  

भाकपा-माले की बिहार इकाई ने इस मजदूर-किसान विरोधी बजट के खिलाफ तीन दिवसीय विरोध का फैसला लिया. इसके तहत पूरे राज्य में 4 से 6 फरवरी तक बजट के जनविरोधी प्रावधानों को वापस लेने, किसानों के सभी कर्जों की अविलंब माफी, झांसा की बजाए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को ईमानदारी से लागू करने, आंदोलनरत स्कीम वर्करों-बेरोजगारों की बुनियादी मांगों का बजट में प्रावधान करने, शिक्षा बजट में की गई भारी कटौती वापस लेने आदि सवालों पर कार्यक्रम आयोजित किए. पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार लगभग 4 लाख ऐसे पद खत्म करने जा रही है, जो पिछले पांच सालों से खाली हैं. इसकी वजह से पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं का संकट और बढ़ेगा. बजट में शिक्षा की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 की तुलना में 6.15 प्रतिशत से गिरकर 3.48 प्रतिशत के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. जाहिर है मोदी सरकार अपने वादे के विपरीत शिक्षा व रोजगार के मद में लगातार कटौती कर रही है और छात्र-युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.

आशा कार्यकर्ता संघ ने बजट में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ आशा कार्यकर्ताओं के नियमितीकरण और न्यूनतम मजदूरी आधारित नियमित मासिक वेतन के सवाल को दबा दिये जाने के खिलाफ पूरे बिहार में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 5 फरवरी को एक दिवसीय उपवास किया. संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने बजट को देश के तकरीबन 10 लाख आशा के साथ नाइंसाफी बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में आशा की भूमिका को सराहने के बावजूद केंद्र सरकार बजट में उनके प्रति उदासीन बनी रही. अतः आशा कार्यकर्ता संघ केंद्र और राज्य सरकारों के बजट सत्र के दरम्यान अभियान चलाएगा. आंदोलन न्यायसंगत मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा. आशाकर्मियों की मांगों के सम्बंध में संघ जल्द ही प्रधानमंत्री के पास पत्र भेजेगा.
ऐक्टू सहित 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आहृान पर नौबतपुर में आशा कार्यकर्ताओं ने पीएचसी से जुलूस निकालकर नौबतपुर बाजार में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री व मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया. कार्यक्रम का नेतृत्व अनिता देवी, पूनम कुमारी, संगीता कुमारी, गीता देवी, ललिता देवी आदि आशा कार्यकर्ताओं ने किया.

पटना के कंकड़बाग क्षेत्र में 2 फरवरी को भाकपा-माले की कंकड़बाग एरिया कमिटी के तत्वावधान में टेम्पो स्टैंड पर पीएम मोदी का पुतला फूंका गया. इससे पहले निर्माण मजदूर यूनियन कार्यालय से घूमते हुए टेम्पो स्टैंड तक जुलूस निकाला गया. कार्यक्रम का नेतृत्व कंकड़बाग माले एरिया कमिटी सचिव अशोक कुमार, वार्ड 32 माले सचिव पन्नालाल सिंह, ऐपवा नेत्री अनुराधा देवी, निर्माण मज़दूर यूनियन नेता उपेंद्र प्रसाद ने किया. प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए ऐक्टू नेता रणविजय कुमार ने कहा कि सरकार ने बजट में करोड़ों मेहनतकश मजदूर किसानों की मांगों को अनदेखा किया है. वह शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक कल्याण के बुनियाद क्षेत्रों को निजी कम्पनियों, कॉरपोरेट-ठेकेदारों के हवाले कर रही है. सभी वक्ताओं ने मोदी के बजट को कॉरपोरेटों को फायदा पहुंचाने वाला तथा गरीबों, मजदूरों, किसानों, आशा, ममता, आंगनबाड़ी, रसोइया सहित देश के करोड़ों मज़दूरों, कामगारों व मध्यवर्ग का विरोधी बजट बताया.

पटना के अलावा राज्य के विभिन्न जिला केन्द्रों जैसे नालंदा, नवादा, जहानाबाद, बेगूसराय, गया, चम्पारण, मुजफ्रपफरपुर, समस्तीपुर, भोजपुर, सीवान, भागलपुर आदि में बजट विरोधी प्रदर्शन तथा मोदी-जेटली का पुतला दहन किया गया.
समस्तीपुर में जिला कार्यालय मालगोदाम चैक से असंगठित कामगार महासंघ एवं निर्माण मजदूर यूनियन के बैनर तले बजट-विरोधी जुलूस निकला जो बाजार क्षेत्र का भ्रमण करते हुए स्टेशन चैराहा पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता निर्माण मजदूर यूनियन के अध्यक्ष अशोक राय ने की. अंत में प्रधानमंत्री का पूतला फूंककर बजट का विरोध किया गया. शिक्षा-रोजगार विरोधी बजट से आक्रोशित छात्रा संगठन आइसा के छात्रों ने बड़ी भागीदारी वाला आक्रोशपूर्ण जुलूस दलित छात्रावास भोला टाकीज से निकाला जो मुख्य मार्गों का भ्रमण करते हुए ओवरब्रिज चैराहा पहुंचकर सड़क जाम में बदल गया. यहां हुई सभा को आइसा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार, सचिव चंदन कुमार बंटी, मनीष कुमार, मनीष यादव आदि ने संबोधित किया.

समस्तीपुर के ताजपुर में भी भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाला और पुतला फूंका. रेल बजट में कर्पूरीग्राम-ताजपुर-महुआ-हाजीपुर पूर्व प्रस्तावित एवं सर्वेक्षित नई रेल लाइन योजना को शामिल नहीं किये जाने से नाराज भाकपा-माले के कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने हाथों में झंडे, बैनर, नारे लिखे कार्डबोर्ड एवं रेलमंत्री का पुतला लेकर जुलूस निकाला और गांधी चैक पर सभा की और पुतला फूंका. सभा को सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, किसान नेता ब्रहमदेव प्रसाद सिंह, माले नेता प्रभात रंजन गुप्ता, मुकेश मेहता, मो. नसीम आदि ने संबोधित किया.

राजव्यापी आहृान के तहत पश्चिमी चम्पारण के सिकटा में भाकपा-माले ने गरीब व किसान विरोधी बजट के विरोध में प्रदर्शन करते हुए पुतला दहन किया. अंचल सचिव रामप्रताप पासवान ने कहा कि मोदी सरकार के 2018 के बजट में देश के कर्णधार किसानों के लिए छलावा के सिवा कुछ नहीं है. मजदूरों के लिए धोखा व किसानों की लागत के डेढ़ गुना दाम देने की सिर्फ बातें की गई हैं किंतु बजट में राशि ही नहीं है. कहने के लिए सब गरीबों का पक्का मकान बनेगा, किंतु बजट में राशि का खुलासा नहीं किया गया है. कॉरपोरेटों के लिए तमाम तरह की छूट दी गई है जिसमें राशि बजट द्वारा पास कर दिया गया है. संजय राम ने कहा कि बजट मात्र लोकलुभावन है. बजट में गरीबों को कोई तरजीह नहीं है. अध्यक्षता वीरेंद्र पासवान ने की.