ठेका सफाई मजदूरों का बंगलूरू में विरोध् प्रदर्शन

बंगलूरू के आर.आर. नगर ज़ोन में 16 अप्रैल को पैराकार्मिकों (ठेका सफाई मजदूर) ने अपने वेतन को लेकर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इन पैराकर्मिकों को तीन महीने से ज्यादा से वेतन नहीं मिला है.

बृहत बंगलूरू महानगर पालिके (बी.बी.एम.पी) ने जनवरी 2018 में, ठेकेदारी व्यवस्था को खत्म करके पैराकर्मिकों को नियमित किया था. वर्तमान व्यवस्था में, कामगारों को सीधा सरकार भुगतान करती है लेकिन लंबे समय से ये भुगतान नहीं किया गया है, और उनके पास सड़कों पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.

कामगारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली, ऐक्टू से संबंद्ध संस्था, ‘‘बी.बी.एम.पी गुट्टिगे पैराकार्मिकारा संघ’’, ने इस प्रतिरोध का आयोजन किया. इस संस्था में काम करने वाले विनय ने बताया कि, ”आज के प्रतिरोध प्रदर्शन में आर.आर. नगर ज़ोन के वार्ड 40, 70 और 72 के पैराकर्मिकों ने भाग लिया. इन तीन वार्डों के मजदूर वेतन के भुगतान न किए जाने से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और अन्य वार्डों के मजदूर भी इससे प्रभावित हुए हैं. अकेले इस ज़ोन में ही हज़ारों मजदूर कार्यरत हैं. बी.बी.एम.पी ने यह घोषणा की है कि साल 2017 के दिसम्बर महीने में ठेकेदार को भुगतान करना था, लेकिन ठेकेदार का कहना है कि बी.बी.एम.पी ने उसे भुगतान नहीं किया है और इसलिए वो कुल रकम का केवल 70 प्रतिशत ही दे सकता है. जनवरी 2018 के महीने में पुराने मजदूरों को तो भुगतान किया गया लेकिन बी.बी.एम.पी. को नहीं पता कि नये मजदूरों को कब भुगतान करना है. फरवरी महीने के लिए पुराने मजदूरों को 19 अप्रैल तक भुगतान मिल जाएगा लेकिन बी.बी.एम.पी. को नहीं पता कि नये मजदूरों को कब भुगतान किया जाएगा. मार्च महीने के लिए बी.बी.एम.पी. के हेड ऑफिस ने कोई राशि स्वीकृत नहीं की, इसलिए इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं है कि पुराने और नये मजदूरों को कब भुगतान किया जाएगा.

जनवरी 2018 से ही सभी मजदूरों को सीधे सरकार से भुगतान मिलना था. इस महीने की शुरुआत में जब राहुल गांधी पैराकर्मिकों से मिले थे, तो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि कामगारों को स्थाई कर्मचारी बनाया जाएगा, और इन्हें वैतनिक अवकाश, बीमारी का अवकाश और ई.एस.आई. का लाभ मिलेगा, लेकिन लंबे समय से कामगारो के प्रतिरोध प्रदर्शनों के बावजूद इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है. कामगारों को आधारभूत सामग्री जैसे दस्ताने, जैकेट, जूते तक नहीं मिलें हैं जबकि इस मामले में विभिन्न मंत्रियों और अधिकारियों द्वारा कई बार आश्वासन और वादे किए जा चुके हैं.

पैराकर्मिकों के मामले में उनकी वकील मैत्रेयी रमेश ने टी.एन.एम. (द न्यूज मिनट) को बताया, ”इस शहर के हर ज़ोन में पैराकर्मिकों को अपने वेतन को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऑटो चालक, लॉरी चालक, जो कचरा उठाने और प्रबंधन के लिए निगम कर्मियों के तौर पर भी काम करते हैं, आज भी पुरानी ठेका व्यवस्था में ही काम कर रहे हैं और उन्हें कई महीनों से भुगतान नहीं हुआ है.” ये पूछे जाने पर कि अपनी मांगे मनवाने के लिए उनकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं, उन्होंने कहा, ”हम कुछ योजना तो बना रहे हैं लेकिन अभी उसकी कोई तारीख निश्चित नहीं है.”

पूरे शहर में, शहर को साफ-सुथरा बनाए रखने की इस बेमुरव्वत नौकरी में लगे हुए पैराकार्मिक अपने स्वास्थ्य, स्वच्छता, नौकरी की सुरक्षा को लेकर कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों से किसी को कोई फर्क पड़ता नहीं लग रहा.