सामाजिक सुरक्षा कोड पर सरकार द्वारा बुलाई गई बैठकों का केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बहिष्कार किया

ऐक्टू समेत दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (बीएमएस छोड़कर) ने सामाजिक सुरक्षा कोड पर सरकार द्वारा बुलाई गई जोनल स्तर की बैठकों का संयुक्त रूप से बहिष्कार किया. सामाजिक सुरक्षा कोड पर मोदी सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठकों का यह तीसरा दौर है जिसके तहत इसी माह यानी जुलाई में दो जोनों - उत्तरी और पूर्वी - की बैठकें रखी गईं. 27 जुलाई को भुवनेश्वर स्थित मेफेयर होटल जहां पूर्वी जोन की बैठक रखी गई थी, के समक्ष केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन कर बैठक का बहिष्कार किया.

श्रम मंत्री के नाम 22 जुलाई 2018 को भेजे गए पत्र में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कहा कि ‘‘इससे पहले भी इस विषय पर दो बैठकें बुलाई गई थीं जिनमें हमारे द्वारा सुझाव दिये गये थे लेकिन सरकार द्वारा जारी किये गये दूसरे मसौदे में भी इन सुझावों में किसी को कोई जगह नहीं दी गई, जिसने पहली सलाह-मशविरा बैठक को एक मजाक बना दिया. यही अनुभव हमारा दो अन्य प्रस्तावित कोडों - औद्योगिक संबंध (आईआर) और वेज कोड- के बारे में रहा जहां हमारे सुझावों को नकार दिया गया और इन कोडों के संबंध में सरकार द्वारा प्रस्तावित मसौदों को ही पास करने के लिये संसद में पेश कर दिया गया. यही नहीं फिक्स्ड टर्म इंप्लॉयमेंट पर इंडस्ट्रीयल इंप्लॉयमेंट स्टैंडिंग ऑर्डर (एमेंडमेंट) रूल्स् 2018 संबन्धी संशोधन का केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा श्रम मंत्री के साथ बैठक से ‘‘उठ कर चले जाने’’ के रूप में किये गये विरोध को दरकिनार करते हुए और यहां तक कि बिना संसद में बहस कराये और यह सफेद झूठ बोलकर कि यूनियनों ने संशोधन को स्वीकृति दे दी है, इस संशोधन को वित्तीय बिल में शामिल कर लागू करा दिया गया.’’  

पत्र में कहा गया कि ‘‘यह साफ है कि ये सलाह-मशविरा एक ड्रामेबाजी, दिखावा है. सामाजिक सुरक्षा कोड को लाने के जरिये सरकार का असल मकसद मौजूदा सामाजिक सुरक्षा देने वाले 15 कानूनों को खत्म करना है और जिस फंड पर विभिन्न स्कीमों के सदस्य मजदूरों का अधिकार है उसे हड़पना है.’’  

अंत में संयुक्त पत्र में यह बात दुहराई गई कि ‘‘सरकार मौजूदा 15 सामाजिक सुरक्षा कानूनों को खत्म करने के मकसद से उनके साथ छेड़छाड़ करने से बाज आये, बल्कि जरूरत इस बात है कि इन कानूनों को ज्यादा मजबूत बनाया जाय. तमाम असंगठित मजदूरों के लिये पहले से ही ‘‘असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा कानून 2008’’ मौजूद है जो कि फंड के अभाव में निष्क्रिय पड़ा है. इसलिये सरकार को इसे कारगर बनाने के लिये जरूरी फंड दिया जाय.