वेतन कटौती समेत अन्य हमलों के खिलाफ डीटीसी के ठेका श्रमिकों का प्रतिवाद

29 अक्टूबर को एक दिन की हड़ताल का ऐलान

न्यूनतम वेतन में कटौती के खिलाफ और समान काम के लिये समान वेतन एवं नियमितीकरण के लिये ऐक्टू से संबद्ध डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के आहृान पर डीटीसी के ठेका कर्मियों ने 25-28 सितंबर को 40 से ज्यादा डीटीसी डिपो में सुबह 6 से शाम 6 बजे तक स्ट्राइक बैलट में हिस्सा लिया और लगभग 12 हज़ार में से 10 हज़ार से अधिक ठेका कर्मियों यानी 92.2 प्रतिशत ने हड़ताल के पक्ष में डाल कर संघर्ष का बिगुल बजा दिया. बाद में हुई बैठक में 29 अक्टूबर को एक दिन की हड़ताल का ऐलान किया गया. इससे  पहले 1989 में डीटीसी में हड़ताल हुई थी जब यहां स्थाई कर्मचारी ही हुआ करते थे.

ज्ञात हो कि लंबे संघर्ष के बाद हासिल न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना को हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. इस दुर्भाग्यपूर्ण फैसले से दिल्ली के लाखों श्रमिकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. कारखाना मालिकों की सनक और सरकारी उपेक्षा के चलते पहले से ही उत्पीड़ित मजदूरों के लिए यह फैसला एक बड़ा आघात है.

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी), जो दिल्ली सरकार के तहत आता है, ने कोर्ट के इस फैसले से भी कई कदम आगे बढ़कर सभी ठेका श्रमिकों की मजदूरी में कटौती वाला एक सर्कुलर जारी कर दिया. कानूनी तौर पर, न्यूनतम मजदूरी से एक रुपया भी कम मजदूरी नहीं होनी चाहिए, लेकिन डीटीसी प्रबंधन कह रहा है कि पिछले महीने तक जितनी मजदूरी दी जा रही थी, उसमें अब कमी कर दी जाएगी, जबकि हाई कोर्ट ने मौजूदा मजदूरी में कटौती करने का कोई निर्देश नहीं दिया है. इस सर्कुलर के चलते एक झटके में डीटीसी के ठेका कर्मचारियों के वेतन में 4000 से 5000 रुपए तक की कटौती हो गई है. मजदूरी में कटौती करने वाला यह सर्कुलर कानून के दायरे से बाहर चला गया है और यह मजदूरों के अधिकार पर हमला है. पंजाब बनाम जगजीत सिंह मुकदमा (2017) में सर्वोच्च न्यायालय ने साफ-साफ कहा है कि ‘समान काम के लिए समान वेतन’ हर मजदूर का अधिकार है. लेकिन इस फैसले के आए इतने दिन बीत जाने के बावजूद डीटीसी जैसे सरकारी विभागों/संस्थानों में समान काम के लिए समान वेतन का यह फैसला लागू नहीं किया गया है.

ऐक्टू से संबद्ध डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर ने इस मजदूर-विरोधी कदम का विरोध करते हुए सरकार और डीटीसी प्रबंधन के तानाशाहपूर्ण आचरण के खिलाफ अनेक डीटीसी डिपो के बाहर इस सर्कुलर की प्रतियां जलाईं. इन प्रतिवादों में ठेका श्रमिकों ने बड़ी संख्या में शिरकत की. इस संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए 26 अगस्त 2018 को लगभग 10,000 ठेका मजदूर छुट्टी पर चले गए - यह डीटीसी प्रबंधन और दिल्ली सरकार के खिलाफ डीटीसी श्रमिकों द्वारा उठाया गया अब तक का सबसे बढ़ा कदम है. डीटीसी प्रबंधन को बाध्य होकर सुबह की शिफ्ट में दोनों शिफ्टों के नियमित मजदूरों को बुलाना पड़ा; फिर भी दिल्ली की सड़कों पर बसें ठीक से नहीं चल पाईं. प्रतिवाद को तीखा बनाते हुए डीटीसी के श्रमिकों ने 5 सितंबर को प्रतिवाद दिवस के तौर पर मनाते हुए काली पट्टी लगाकर काम किया. यह गौरतलब है कि अपनी मांगें उठाने के साथ-साथ डीटीसी श्रमिकों ने 5 सितंबर को हरियाणा रोडवेज मजदूरों द्वारा की जाने वाली हड़ताल का भी समर्थन किया. ु