डीटीसी ठेका कर्मचारियों की ऐतिहासिक हड़ताल

वापस लेना पड़ा वेतन कटौती का सर्कुलर एस्मा को दरकिनार कर हज़ारों कर्मचारी हड़ताल में उतरे

ऐक्टू से सम्बद्ध ‘डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर’ द्वारा बुलाई गई और डीटीसी वर्कर्स यूनियन (एटक) एवं डीटीसी एम्प्लाइज कांग्रेस (इंटक) द्वारा समर्थित 29 अक्टूबर, 2018 को एक दिवसीय हड़ताल ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के पहियों को बुरी तरीके से जाम कर दिया. डीटीसी के ग्यारह हज़ार से ज्यादा ठेका कर्मचारियों और कई स्थाई कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया. यह हड़ताल खासकर इस मायने में ऐतिहासिक थी कि 30 वर्ष बाद डीटीसी में यह हड़ताल हुई जो कि पूरी तरह ठेका कर्मियों की थी (इससे पहले आखिरी हड़ताल 1988 में हुई थी जो यहां के स्थाई कर्मियों की थी). इस हड़ताल की एक विशेषता यह रही कि पहली बार, हड़ताल बुलाने से एक महीना पहले यानी 25-28 सितंबर को यहां स्ट्राइक बैलट का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 12 हज़ार में से 10 हज़ार से अधिक ठेका कर्मियों यानी 92.2 प्रतिशत ने हड़ताल के पक्ष में डाल कर संघर्ष का बिगुल बजाया. हड़ताल की मुख्य मांगों में से एक मांग को हड़ताल के ठीक एक दिन पहले डीटीसी प्रबंधन द्वारा मान लिए जाने व एस्मा लगाए जाने के बावजूद डीटीसी के कर्मचारी पूरी ताकत से हड़ताल में उतरे. हड़ताल के दबाव में वेतन कटौती का सर्कुलर वापस लिए जाने से मजदूरों को कुछ राहत ज़रूर मिली है, परन्तु अभी भी प्रबंधन और सरकार ठेका कर्मचारियों के लिए समान काम का समान वेतन देने, पक्का करने व डीटीसी में बसों कि संख्या बढ़ाने पर चुप हैं. ऐक्टू का मानना है कि सरकार को अब अपना घमंडी रवैया छोड़कर कर्मचारियों की मांगों पर बात करके ठोस कदम उठाना चाहिए.

राजेश चोपड़ा, महासचिव, डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर ने हड़ताल के दौरान कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार एस्मा लगाकर भी हमारे संघर्षों को नहीं रोक सकती. बल्कि एस्मा लगाकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने ये साबित कर दिया है कि नीतिगत मामलों में हरियाणा में रोडवेज कर्मचारियों पर एस्मा लगाने वाली भाजपा सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार में कोई फर्क नहीं है. चाहे एस्मा लागू हो या नहीं, हम हर अन्याय के विरुद्ध लड़ाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

केन्द्रीय श्रम संगठनों ने दिया हड़ताल को ज़बरदस्त समर्थन

सभी केन्द्रीय श्रम संगठनों (भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर) ने डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर द्वारा बुलाई गई हड़ताल का समर्थन किया. विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने हड़ताल में भाग लेते हुए  गिरफ्तारी भी दी. डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के प्रेमपाल चौटेला, श्रीरमन व राजेश समेत सीटू के छोटेलाल व हीरालाल को हड़ताल में शामिल होने के चलते दिल्ली पुलिस ने हिरासत में भी लिया. डीटीसी वर्कर्स यूनियन (एटक) के राजाराम त्यागी, महावीर त्यागी व सीटू के एच.सी. पन्त व हिन्द मजदूर सभा के दिल्ली राज्य सचिव राजेंदर ने भी हड़ताल में अहम भूमिका निभाई. हड़ताल की तैयारियों के क्रम में सांस्कृतिक संगठन ‘संगवारी’ ने कर्मचारियों की हौसला अफजाई में विशेष भूमिका निभाई.

संतोष राय, अध्यक्ष, ऐक्टू दिल्ली ने हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी यूनियनों का धन्यवाद दिया और कहा कि आगे की तैयारी सभी संगठनों से परामर्श के बाद की जाएगी. ज्ञात हो कि डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर द्वारा 22 अक्टूबर को डीटीसी मुख्यालय (आई.पी. डिपो) पर ‘नमक-मिर्च-रोटी धरना’ किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में डीटीसी कमर्चारियों ने भागीदारी की. डीटीसी के ठेका कर्मियों के संघर्ष को समर्थन देते हुए केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों- ऐक्टू, सीटू, एटक और इंटक के राष्ट्रीय नेताओं ने संबोधित किया. ऐक्टू की ओर से महासचिव राजीव डिमरी ने धरने को संबोधित किया.

कर्मचारियों की ललकार: एस्मा के बावजूद जारी रहेगा संघर्ष

हड़ताल का समर्थन करते हुए हरियाणा रोडवेज के संघर्षरत कर्मचारियों ने डीटीसी डिपो के बाहर हडताली कर्मचारियों की सभा को संबोधित किया. दिल्ली में आप सरकार द्वारा लगाए गए एस्मा की तरह ही हरियाणा में निजीकरण के खिलाफ लड़ने वाले कर्मचारियों पर वहां की भाजपा सरकार ने एस्मा लगाया है. संतोष राय, अध्यक्ष, ऐक्टू दिल्ली ने अपने संबोधन में बताया कि डीटीसी कर्मचारियों की स्थिति काफी खराब है, सार्वजनिक परिवहन में कमी के चलते दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ते ही जा रहा है. दिल्ली सरकार को यह साफ़ तौर पर समझ लेना चाहिए कि ये मांगे सिर्फ डीटीसी कर्मचारियों की नहीं बल्कि दिल्ली की जनता की भी हैं.

ऐक्टू ने डीटीसी के सभी संघर्षरत कर्मचारियों और दिल्ली की आम जनता को हड़ताल को सफल बनाने के लिए बधाई दी. अभिषेक