बिहार राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ ने नाको महानिदेशक से मिलकर सौंपा 7-सूत्री मांगपत्र - वेतन फार्मूला बनाने पर बनी सहमति

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ (संबद्ध ऐक्टू) ने अपने लंबे संघर्ष में तब एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की जब 18 मार्च 2019 को महानिदेशक, नाको ने एड्स नियंत्रण कर्मचारियों के सवालों पर संघ को दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में वार्ता के लिये आमंत्रित किया. नाको के बुलावे पर उप महानिदेशक (प्रशासन) के साथ संघ के पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता में शिरकत की जिसमें शामिल थे- ऐक्टू नेता रणविजय कुमार व संघ के मुख्य संरक्षक रामबली प्रसाद, संघ के नेता फखरे आलम, मीरा कुमारी व ऑल इंडिया हेल्थ इंप्लाइज एंड वर्कर्स कन्फेडरेशन के महासचिव रामकिशन. समान काम का समान वेतन लागू करने, सेवा 60 साल करने, वेतन विसंगति दूर करने सहित एड्स कर्मियों की समस्याओं से संबंधित 7 सूत्री मांग पत्र वार्ता में पेश किया गया. प्रतिनिधिमंडल ने आश्चर्य जताया कि देश में नाको द्वारा पिछले 20 वर्षों से संचालित एड्स नियंत्रण प्रोग्राम में कार्यरत कर्मियों का वेतन निर्धारण का कोई फार्मूला ही निर्धारित नहीं है, बल्कि अधिकारियों द्वारा पीएचडी, एम.ए. पास कर्मियों को मनमाने तरीके से बहुत मामूली मानदेय का निर्धारण कर बंधुआ मजदूरी पर खटाया जा रहा है. तत्पश्चात उपमहानिदेशक, नाको ने संघ की मांग पर 2020 से शुरू होने वाले पांचवें फेज प्रोग्राम से कर्मियों के लिए वेतन का फार्मूला निर्धारित करने की घोषणा की, जो एड्स नियंत्रण कर्मचारियों और खासकर बिहार संघ की एक बड़ी उपलब्धि है.

ऐक्टू राज्य सचिव सह बिहार राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ अध्यक्ष रणविजय कुमार ने नीतीश सरकार व एड्स नियंत्रण समिति पर बिहार के एड्स कर्मियों के साथ भेदभाव कर समान काम समान वेतन व कर्मियों की मेहनत की कमाई का 25 महीने से भी अधिक समय का मानदेय बकाया का भुगतान आबंटन उपलब्ध रहने के बावजूद भी नहीं करने का गम्भीर आरोप लगाया. उन्होंने वार्ता में कहा कि एड्स नियंत्रण समिति द्वारा दिनांक 03.10.2013 से 31.10.2015 तक 25 माह का तथा 01.04.2017 व 01.04.2018 से देय वार्षिक मानदेय वृद्धि बकाया का भुगतान कर्मियों को तंग तबाह करने की नियत से नहीं किया जा रहा है, जबकि 19 करोड़ 26 लाख का आबंटन उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि इसी तरह 4 लाख का अनुग्रह अनुदान का भुगतान पिछले कुछ वर्षों में मृत 6 कर्मियों को जानबूझकर अबतक नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी योजना में से एक एड्स नियंत्रण समिति के कर्मियों के वेतन व अन्य सुविधाओं में पिछले 15 वर्षों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं किया जाना बिहार सरकार और एड्स नियंत्रण समिति का अपने ही कर्मियों के प्रति घोर भेदभाव व लापरवाही को दर्शाता है.

ज्ञात हो, एड्स नियंत्रण कर्मियों के बकाया के भुगतान की मांग को भाकपा-माले पार्टी विधायक दल के नेता महबूब आलम ने 26 मार्च को बिहार सरकार के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य को पत्र लिखकर उठाया था. साथ ही, यह भी याद दिलाया कि उनके द्वारा विधान सभा में 2017 में पूछे गये तारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने 60 दिनों के अंदर एड्स नियंत्रण कर्मियों के मानदेय मद के सभी बकाया का भुगतान कर देने का आश्वासन दिए जाने के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी और 19 करोड़ का फंड उपलब्ध रहते हुए भी भुगतान क्यों नहीं किया गया, क्या ऐसा कर्मियों को तंग तबाह करने की नियत से किया जा रहा है?