रिपोर्ट

चाय बागान मजदूरों के समक्ष चुनौतियां और  26 नवंबर की हड़ताल की तैयारियां

उत्तरी बंगालः इस बहु-प्रचारित लॉकडाउन के दौर में देश में सबसे पहले, करीबन मई महीने के बीच में खुलने वाले चाय बागान, शायद लॉकडाउन के दौरान उत्पादन शुरु करने वाले पहले उद्यम थे. केन्द्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों की कड़ियों में ये कहा गया था कि जुलाई के अंत तक 5 प्रतिशत के सीमित ऑपरेशन से लेकर 50 प्रतिशत मजदूरों को कुछ चरणों में काम पर लिया जाए, लेकिन असल में शुरु से ही शत-प्रतिशत मजदूरों को काम पर लगा दिया गया था.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक मजदूर) में श्रमिक विरोधी बदलाव  औद्योगिक मजदूरों के महंगाई भत्ता पर केंद्र सरकार का हमला

(मजदूरों पर हमलों की कड़ी में, यह कोरोना दौर में मोदी सरकार का एक और बड़ा हमला है यानी औद्योगिक मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना के वास्ते आधार वर्ष को मौजूदा 2001 से बदल कर 2016 करना और इसमें मजदूर विरोधी प्रावधान करना. यह औद्योगिक मजदूरों के महंगाई भत्ता पर केंद्र सरकार का सीधा हमला है. सरकार द्वारा इस संबंध में भेजे गए पत्र एवं दस्तावेजों और उन पर मांगे गए सुझावों का केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा दिया गया जवाब, नीचे प्रस्तुत है.)

बाबरी मस्जिद तोड़ने वाले षडयंत्राकारियों को बरी करना भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधन और सामाजिक ढांचे पर एक और हमला है

06 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद को तोड़ने के षड्यंत्र में शामिल सभी अभियुक्तों को सीबीआई की एक अदालत ने बरी कर दिया है. मस्जिद की जगह को राम मंदिर ट्रस्ट को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आये इस फैसले से घृणा-अपराधों से पीड़ित लोगों के लिए न्याय की आखिरी आशा भी समाप्त हो गयी है. ये फैसले घृणा-अपराधियों को प्रेरित करते हैं और उन्हें यकीन दिलाते हैं कि वे इन अपराधों के राजनीतिक और भौतिक लाभ बगैर किसी डर-भय के उठा सकते हैं. 

मोदी सरकार के पास कोई जवाब नहीं एक हृदयहीन और निर्मम बहाना

इस बात की काफी चर्चा है कि संसद में मोदी सरकार ने कहा कि उसे लॉकडाउन के चलते मरने वाले मजदूरों की संख्या की जानकारी नहीं है. मोदी सरकार के श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने 14 सितंबर को लोकसभा में एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में कहा कि लॉकडाउन के दौरान मरने वाले मजदूरों का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है. श्रम और रोजगार मंत्री ने यह भी कहा कि चूंकि मरने वाले मजदूरों का कोई डाटा नहीं रखा गया, इसलिए उनके मरने पर मुआवजा देने का प्रश्न ही नहीं उठता.  

कोरोनो संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों और गोता खाते जीडीपी के बीच अनवरत जारी विध्वंस का नाम है मोदी सरकार

वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही का सरकारी आर्थिक रिपोर्ट कार्ड अब हमारे सामने है. सकल घरेलू उत्पाद भहराकर 23.9 प्रतिशत गिर चुका है, जो भारत के साथ तुलनीय किसी भी देश की अपेक्षा दुनिया में सबसे खराब प्रदर्शन है. पिछले चार दशकों में इससे पहले कभी भी भारतीय अर्थतंत्र ने नकारात्मक वृद्धि दर नहीं रिकार्ड की थी. ये अनमुान शुरूआती हैं, और अर्थशास्त्रियों का ऐसा यकीन है कि वास्तविक अंतिम आंकड़े़ इससे कहीं ज्यादा खराब हो सकते हैं.

संविधन बचाओ, नागरिकता बचाओ, लोकतंत्र बचाओ! सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध् करो!

भाजपा सरकार ने दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून पास कर दिया. पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है. लोगों ने सही समझा है कि नागरिकता कानून संविधान के खिलाफ है और सांप्रदायिक है. इसके साथ जब एनआरसी भी मिल जायेगा तो यह मुसलमान नागरिकों को ‘‘घुसपैठिया’’ और बाकी नागरिकों को ‘‘शरणार्थी’’ में तबदील कर देगा.

अयोध्या पर फैसलाः साम्प्रदायिक विध्वंसों को प्रोत्साहित किया जा रहा है

1949 में बाबरी मस्जिद के भीतर चोरी-छिपे ‘राम लला’ की मूर्ति रख दिये जाने को प्रस्थान-बिंदु बनाकर 1990 के दशक के एकदम शुरूआती वर्षों की राजनीति की रचना हुई थी, जिसके बाद एक हिंसक अभियान चला जिसका परिणाम भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के नेतृत्व में एक फासीवादी भीड़ द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस में हुआ. इस अभियान के दौरान और मस्जिद के विध्वंस के तुरंत बाद समूचे उत्तर भारत में साम्प्रदायिक भीड़-गिरोहों द्वारा मुसलमानों का जनसंहार हुआ.

महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावों के संदेश

महाराष्ट्र और हरियाणा के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिये जीत की राह बिल्कुल आसान मानी जा रही थी. तमाम एक्जिट पोलों ने भी कॉरपोरेट मीडिया द्वारा किये गये इसी प्रचलित राजनीतिक आकलन को प्रतिबिम्बित किया था. हरियाणा में भविष्यवाणी की गई थी कि भाजपा भारी बहुमत से जीत हासिल करेगी और एक एक्जिट पोल ने तो 90-सदस्यीय विधानसभा में 83 सीटें तक भाजपा की झोली में दे डाली थीं. महाराष्ट्र में भविष्यवाणी यह थी कि भाजपा अकेले दम पर बहुमत हासिल कर ले जायेगी. मगर अंतिम नतीजों ने वास्तविकता को सामने ला दिया है जो यकीनन सुखद आश्चर्य है.

कोलकाता में मिड-डे मील कर्मियों की जोरदार दावेदारी

भारी बारिश और खराब मौसम की परवाह न करते हुए हजारों मिड-डे मील कर्मियों ने 29 अगस्त को सियालदाह और हावड़ा रेलवे स्टेशनों से रैली निकालते हुए कोलकाता नगर निगम के भवन के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में ‘मिड-डे मील कर्मियों को श्रमिक का दर्जा दो’, ‘1500रू. मानदेय नहीं, 18,000रू. न्यूनतम मजदूरी दो और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करो’, ‘मिड-डे मील कर्मियों के साथ अन्यायपूर्ण व अपमानजनक व्यवहार बंद करो’, ‘सब को त्यौहार का बोनस दो’ - नारे हवा में गूंज रहे थे. 

सोनभद्र जनसंहार में सीधा योगी सरकार का हाथ है

19 जुलाई को पूर्वी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त भुर्तिया बंदूकधारियों को साथ लेकर कई ट्रैक्टरों में भरकर उम्भा गांव पहुंचा और उसने अपनी जमीन जोत रहे गोंड आदिवासियों पर गोली चलाना शुरू कर दिया. इस जनसंहार में 10 आदिवासी मारे गये. 

सोनभद्र का जनसंहार एक बार फिर इस तथ्य को रेखांकित करता है कि योगी आदित्यनाथ के राज में उत्तर प्रदेश न्याय और मानवीय अधिकारों की कब्रगाह बन चुका है जहां दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी और महिलाएं हमलावरों के रहमोकरम पर जी रहे हैं और आये दिन जनसंहारों तथा गैर-न्यायिक हत्याओं के शिकार बन रहे हैं.