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All India Construction Workers Federation (AICWF)

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हरियाणा में बंधुआ भट्ठा मजदूरों को रिहा करवाया गया

हरियाणा प्रदेश लाल झंडा भट्ठा मजदूर यूनियन (संबद्ध ऐक्टू) के नेतृत्व में चले लंबे संघर्ष की बदौलत किठाना स्थित ओम शांति ईंट भट्ठा कम्पनी, सैंडिल रोड़ में पिछले 10 दिन से बन्धित भट्ठा मजदूरों, जो अधिकतर दलित समुदाय से आते हैं, को 27 जून 2019 को रिहा करवाया गया. साथ ही, किठाना के एक भट्ठे तथा जींद जिले के छातर गाँव के भट्ठे पर से मजदूरों की 3 लाख 16 हजार रूपये की बकाया राशि को दिलवाया गया. इस दौरान तहसीलदार सुभाष चंद, एएलसी विश्वप्रीत हुड्डा और एसएचओ, किठाना समेत प्रशासनिक दल मौजूद था. ऐक्टू की ओर से विनोद धड़ौली, ओमप्रकाश आर्या और सुखविंदर सिंह मौजूद थे.

प. बंगाल में निर्माण मजदूर यूनियन का तीसरा राज्य सम्मेलन संपन्न

ऐक्टू से संबद्ध ‘‘पश्चिम बंगा गृहो-अन्यन्य निर्माण श्रमिक कर्मचारी यूनियन’’ का तीसरा राज्य सम्मेलन 1 मार्च को कोलकाता में संपन्न हुआ.

सम्मेलन से पूर्व कोलकाता (डीपी बक्शी नगर) के सियालदहा रेलवे स्टेशन से सम्मेलन हॉल (जफर हुसैन सभागार) तक रैली का आयोजन हुआ जिसमें निर्माण मजदूरों की मांगों और युद्ध-विरोधी नारों को बुलंद किया गया. तत्पश्चात, मंजू उराओं ने झंडोत्तोलन किया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

मोदी राज के पांच साल पुलवामा के नाम पर समाज में सांप्रदायिक नफरत और हिंसा फैलाने की घिनौनी चालों को नाकाम करें! ‘‘मोदी हटाओ - रोजी-रोटी, अधिकार बचाओ’’! ‘‘मोदी हटाओ - लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ’’! जन संघर्षों के मुद्दों को बुलंद करो!

(ऐक्टू के ‘‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’’ अभियान (1 मार्च-31 मार्च) के माध्यम से देश के मेहनतकश अवाम के बीच ले जाया गया संदेश.)

लोकसभा चुनाव 2019 की उलटी गिनती शुरू हो गई है. मोदी सरकार के पांच साल का शासनकाल लूट, झूठ, बांटो और मेहनतकशों के जीवन में तबाही मचाने वाला राज साबित हुआ. अपने अंतिम बजट में भी मोदी सरकार ने मेहनतकशों और आम अवाम के सवालों को ठुकरा दिया, सिवाय कुछ झुनझुने पकड़ाने के.

पुलवामा को मोदी के सत्ता के खेल का मोहरा न बनने दें! नफरत और जंगखोरी के संघी अभियान का प्रतिरोध करें!

जम्मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ के रक्षक-दल पर उस भयावह हमले के बाद समूचा देश पुलवामा त्रासदी और उसके बाद की घटनाओं से उबरने की कोशिश अभी भी कर रहा है. इस हमले में मृतकों की संख्या 50 के करीब पहुंच चुकी है, और कई जवान अपने गंभीर जख्मों से अभी तक जूझ रहे हैं. इस हमले का दुस्साहस - लगभग तीन सौ किलोग्राम विस्फोटकों से लदी एक कार 78 वाहनों के रक्षा दल का रास्ता काट कर सीआरपीएफ जवानों से भरी एक बस से जा टकराती है - और, इस त्रासदी का बड़ा पैमाना जिसने आज तक के इतिहास में इस घाटी में सबसे ज्यादा सुरक्षा बलों की जान ली है, सचमुच सर चकराने वाला है.

बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन का प्रथम सहरसा जिला सम्मेलन

मजदूर अधिकारों में कटौती व सुरक्षा-सम्मान के सवाल पर बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन (सम्बद्ध ऐक्टू एवं एआईसीडब्लूएफ) का प्रथम सहरसा जिला सम्मेलन 31 दिसम्बर 2018 को स्थानीय ऐक्टू जिला कार्यालय परिसर में सम्पन्न हुआ. सम्मेलन की शुरुआत लाल झंडा फहराने और शहीद वेदी पर पुष्प अर्पण व दो मिनट का मौन रखकर मजदूर आंदोलन के सभी शहीदों-मृतकों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई.

प्रदूषण के लिए सब ज़िम्मेदार, लेकिन मार सिर्फ निर्माण मज़दूरों पर, कामबंदी से रोज़ी-रोटी का संकट

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकार के साथ हम सब ज़िम्मेदार हैं लेकिन इसकी सबसे ज़्यादा मार पड़ी है निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले दिहाड़ी मज़दूरों पर। प्रदूषण की परवाह किए बिना हम ‘धूमधड़ाम’ से त्योहार मना रहे हैं, लेकिन कामबंदी से मज़दूरों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

विस्तार में पढ़ें रिपोर्ट साभार न्यूज क्लिक.........

निर्माण मजदूरों का भागलपुर, बिहार में विशाल प्रदर्शन

बिहार की नितीश और केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों व मजदूरों के कल्याण योजना को लूट खाने की सरकारी साजिश के खिलाफ एवं मजदूरों के ऑनलाइन निबंधन करने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने, ऑनलाइन के लिए जिला श्रम कार्यालय को तत्काल केंद्र बनाने, सभी निबंधित मजदूरों को बिना शर्त अनुदान राशि का भुगतान करने, सभी मजदूरों का निबंधन करने, श्रम कार्यालय में मजदूरों के साथ सम्मानजनक व्यवहार की गारंटी करने एवं मजदूरों के वाजिब काम में होने वाले विलम्ब के एवज में प्रत्येक दिन के लिए न्यूनतम मजदूरी के बराबर मुआवजे का भुगतान करने, आदि मांगों को लेकर 26 नवंबर को बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन (संबद

दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष भवन-निर्माण मजदूरों का प्रदर्शन

8 नवंबर 2018 को ऐक्टू से संबद्ध भवन-निर्माण मजदूर यूनियन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय के समक्ष प्रतिवाद किया और निर्माण क्षेत्र के सभी मजदूरों के लिए बेरोजगारी भत्ते की मांग की. इस प्रतिवाद में दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से श्रमिकों ने शिरकत की. दिल्ली में प्रदूषण के बारे में चल रहे शोर-शराबे के बीच दिल्ली के सबसे गरीब मजदूर - निर्माण क्षेत्र के दैनिक भोगी श्रमिक - पूरी तरह उपेक्षा के शिकार बन गए हैं. प्रदूषण के समाधान के लिए कदम उठाना जरूरी है, लेकिन सरकार और प्रशासन को इन कदमों से प्रभावित होने वाले कामगारों की बड़ी तादाद का भी जरूर खयाल रखना चाहिए.

एआईसीडब्लूएफ के आहृान पर 5 सितंबर को हुए निर्माण मजदूरों के देशव्यापी प्रदर्शन

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों को खत्म करने, कल्याण बोर्ड कोष की राशि को हड़पने व कॉरपोरेटों के हवाले करने तथा जीएसटी के नाम पर कल्याण कोष के लिये सेस वसूली पर रोक लगाने की साजिश के खिलाफ और निर्माण मज़दूरों के लिये 1996 में बने कानून के तहत राज्यों में बनी नियमावली व कल्याण योजनाओं को पूरे देश में समान रूप से लागू करने, बालू मज़दूरों को निर्माण मजदूर की श्रेणी में शामिल करने, मजदूरों को शहरों में आवासीय कालोनी देने तथा गाँवों में आवासीय जमीन का पट्टा देने, कई राज्यों में बंद हो चुके अनुदान वितरण व निबंधन को फिर चालू करने, मृत्यु हित लाभ अनुदान मुहैया कराने, पारिवारिक पेंशन चालू करने

बेरोजगारी और मजबूरी में पलायन के खिलाफ गढ़वा में मार्च

झारखंड राज्य में रोजगार के अभाव में पलायन के कारण आंध्र प्रदेश के पत्थर क्रैशर प्लांट में रेजो और बाना गांव के नौजवान मजदूर मुनिप पासवान व कंचन पासवान के मारे जाने के खिलाफ ऐक्टू से संबद्ध झारखंड जनरल मजदूर यूनियन व भाकपा-माले के बैनर तले गत 7 अगस्त 2018 को गढ़वा जिला के मेराल हाई स्कूल के मैदान से मुख्य सड़क होते हुए प्रखंड कार्यालय तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया. बाद में प्रदर्शनकारियों की ओर से झारखंड के राज्यपाल के नाम 7 सूत्री मांगपत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी, मेराल को सौंपा गया. तत्पश्चात प्रखंड कार्यालय और मेराल डंडई चैक पर प्रतिवाद सभा की गई.