RYA

Revolutionary Youth Association (RYA)

मोदी राज के पांच साल पुलवामा के नाम पर समाज में सांप्रदायिक नफरत और हिंसा फैलाने की घिनौनी चालों को नाकाम करें! ‘‘मोदी हटाओ - रोजी-रोटी, अधिकार बचाओ’’! ‘‘मोदी हटाओ - लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ’’! जन संघर्षों के मुद्दों को बुलंद करो!

(ऐक्टू के ‘‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’’ अभियान (1 मार्च-31 मार्च) के माध्यम से देश के मेहनतकश अवाम के बीच ले जाया गया संदेश.)

लोकसभा चुनाव 2019 की उलटी गिनती शुरू हो गई है. मोदी सरकार के पांच साल का शासनकाल लूट, झूठ, बांटो और मेहनतकशों के जीवन में तबाही मचाने वाला राज साबित हुआ. अपने अंतिम बजट में भी मोदी सरकार ने मेहनतकशों और आम अवाम के सवालों को ठुकरा दिया, सिवाय कुछ झुनझुने पकड़ाने के.

पुलवामा को मोदी के सत्ता के खेल का मोहरा न बनने दें! नफरत और जंगखोरी के संघी अभियान का प्रतिरोध करें!

जम्मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ के रक्षक-दल पर उस भयावह हमले के बाद समूचा देश पुलवामा त्रासदी और उसके बाद की घटनाओं से उबरने की कोशिश अभी भी कर रहा है. इस हमले में मृतकों की संख्या 50 के करीब पहुंच चुकी है, और कई जवान अपने गंभीर जख्मों से अभी तक जूझ रहे हैं. इस हमले का दुस्साहस - लगभग तीन सौ किलोग्राम विस्फोटकों से लदी एक कार 78 वाहनों के रक्षा दल का रास्ता काट कर सीआरपीएफ जवानों से भरी एक बस से जा टकराती है - और, इस त्रासदी का बड़ा पैमाना जिसने आज तक के इतिहास में इस घाटी में सबसे ज्यादा सुरक्षा बलों की जान ली है, सचमुच सर चकराने वाला है.

‘हमारे श्रमिकों को वापस लाओ’ - अगवा मजदूरों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय से मांग

हाल ही में अफगानिस्तान में रोजगार की तलाश में गये 7 भारतीय मजदूरों का 6 मई को अज्ञात बंदूकधारियों ने अपहरण कर लिया, जिनमें 4 मजदूर झारखंड से हैं, और इनमें से भी 3 गिरिडीह जिले के बगोदर के हैं, जबकि चैथा हजारीबाग जिले के टाटीझरिया का निवासी है. अन्य 3 मजदूरों में बिहार के मंटू सिंह और केरल के राजन कौशिक व मुरलीधरन हैं. इन मजदूरों के परिजनों का बुरा हाल है, मगर भाजपा सरकारें और उसके मंत्री-विधायक-सांसद संवेदनहीन बने हुए हैं और इन परिवारों के लिये कुछ भी नहीं कर रहे हैं. सरकारी स्तर पर कोई गंभीर कोशिश नजर नहीं आ रही.

लाल किला पर डालमिया - नहीं मानेगा इंडिया

मोदी सरकार ने डालमिया इंडिया ग्रुप के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर दस्तखत किया है जिसके जरिए यह ग्रुप 25 करोड़ रुपये का भुगतान करके प्रतिष्ठित लाल किले को पॉच वर्षों के लिए ‘गोद’ लेगा. मोदी सरकार इस समझौते को वाणिज्यिक रूप से लाभकारी कदम कहकर उचित ठहरा रही है. सरकार के मुताबिक इस कदम से उसे कुछ राजस्व प्राप्त हो जाएगा, जबकि सरकार की ‘धरोहर को गोद लेने’ या ‘स्मारक मित्र’ योजना के तहत संबंधित कंपनी अपनी ‘कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी’ के अंग के बतौर उस स्मारक के रखरखाव का काम करेगी.

गरीब - मज़दूरों की रोजी - रोटी छीन, उनके पेट पर लात मारकर बालूघाट नहीं चलने दिया जाएगा

 किरकिरी बालूघाट पर बालू माफियाओं के राज नही चलेगा, भाकपा - माले ने किया किरकिरी बालूघाट को अनिश्चितकालीन जाम!

आज सुबह से क्षेत्र के अनेक गांवों से बालू घाट के मजदूरों अपने हाथों में लाल झंडा लिए अजीमाबाद पहुंचे और वहां से बड़ी संख्या में मार्च निकालते हुए किरकिरी बालूघाट को जाम कर दिया. मार्च में अपने मांगों के समर्थन में बालू घाट से पोकलेन मशीन घटाव, मज़दूरों से बालू उठाव, मशीनीकरण के नाम पर गरीब - मज़दूरों की रोजी - रोटी छीनना बंद करो, बालूघाट से माफियाओ का राज समाप्त करों आदि नारे लगा रहे थे .