Agricultural Workers-Peasants-farmers

All India Agricultural Labour Association (AIALA)

State of Working India 2021: One Year of Covid-19

This is a well-documented report that has analysed the impact of one year of Covid-19 in India, on jobs, incomes, inequality, and poverty. The rising inequality and loss of wages is really alarming. It says, “our analysis shows that the pandemic has further increased informality and led to a severe decline in earnings for the majority of workers resulting in a sudden increase in poverty. Women and younger workers have been disproportionately affected. Households have coped by reducing food intake, borrowing, and selling assets.

भारतीय किसानों के साथ एकजुटता में  ऑस्ट्रेलिया का ‘अडानी रोको’ अभियान

ऑस्ट्रेलिया के ‘अडानी रोको’ अभियान ने एक जन आंदोलन के रूप में पिछले दस वर्षों से अदानी कंपनी के देश के पर्यावरण को नष्ट करने वाले कोयला खदान खोदने के प्रोजेक्ट को रोका हुआ है. ‘अदानी रोको’ अभियान भारत के प्रधानमंत्री और गौतम अडानी के कृषि कानूनों के खिलाफ भारतीय किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ खड़ा है.

दिल्ली बार्डर से वर्ष 2021 के लिए संदेश: फासीवाद से संघर्ष करो,  कंपनी राज को खारिज करो!

बीसवीं सदी के प्रथमार्ध में विश्व युद्धों के महाविनाश के बाद वर्ष 2020 से अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण साल दुनिया ने संभवतः नहीं देखा होगा. असाधारण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातस्थिति ने पूरी दुनिया में 10 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली है और सामान्य सामाजिक जीवन तथा आर्थिक क्रियाकलाप ठप हो गये, क्योंकि एक के बाद दूसरे देश ने हफ्तों और महीनों तक विभिन्न स्तरों पर लॉकडाउन लगाकर वैश्विक महामारी की रोकथाम करने का प्रयास चलाया.

पटियाला में कर्ज मुक्ति रैली

8 अक्टूबर 2020 को पटियाला में भाकपा-माले और ऐक्टू द्वारा ‘‘महिला कर्ज मुक्ति रैली’’ आयोजित कर मोदी सरकार पर राष्ट्रवाद और ‘आत्मनिर्भर’ भारत के नाम पर देश में कंपनी राज को फिर से लाने का आरोप लगाया. पटियाला के पुडा मैदान में आयोजित इस महिला कर्ज मुक्ति रैली में हजारों महिलाओं, किसानों, मजदूरों और युवाओं ने हिस्सा लिया. 

मजदूरों और रैयतों की एकता के सामने झुका डीवीसी प्रबंधन

बांझेडीह पावर प्लांट कोडरमा (झारखंड) के लिए अधिगृहीत भूमि के बदले रैयतों को मेंटेनेंस में नौकरी देने के मामले में डीवीसी प्रबंधन हमेशा किसी ना किसी बहाने मामले को टालते रही है. रैयातों को कागजी खानापूरी की जाल में और प्लांट में कार्यरत मजदूरों को विभिन्न तरीकों से उलझा रखने की साजिश करती रही है. स्थानीय सांसद और विधायक मजदूरों और रैयतों के बजाय प्रबंधन के पक्ष में हमेशा तरफदारी करते रहे हैं. इस बार यह पहला मौका था जब स्थानीय विधायक-सांसद की चुप्पी और असहयोग के बावजूद मजदूर यूनियन और रैयतों की बेमिसाल एकता के सामने डीवीसी प्रबंधन को झुकना पड़ा. 

खेग्रामस का 6ठा बिहार राज्य सम्मेलन

विगत 8-9 नवंबर 2019 को पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी मैदान में अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) का 6ठा बिहार राज्य सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. सम्मेलन के पहले दिन राज्य के विभिन्न इलाकों से खेत-ग्रामीण व मनरेगा मजदूरों का भारी जुटान हुआ. विदित हो कि इसी दिन अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर फैसला आया था, और उसको लेकर पूरे बिहार में हाईअलर्ट किया गया था. जगह-जगह प्रशासन ने रैली को बाधित करने का भी प्रयास किया.

मजदूर-किसानों का विधानसभा मार्च

18 फरवरी को बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले राज्य के तकरीबन 40 मजदूर-किसान संगठनों के नेतृत्व में बीसियों हजार मजदूर-किसानों ने विधानसभा मार्च किया. पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ मजदूर-किसानों की ऐतिहासिक जुटान का गवाह बना. गांधी मैदान से लेकर डाकंबगला चौराहा का पूरा इलाका मजदूर-किसानों की मांगों व नारों से गुंजायमान था.

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा का राष्ट्रीय सम्मेलन

जहानाबाद में गरीब बचाओ-भाजपा भगाओ रैली

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (अ.भा.खेग्रामस) के 6ठे राष्ट्रीय सम्मेलन (19-20 नवंबर) के मौके पर 19 नवंबर 2018 को जहानाबाद के ऐतिहासिक गांधी मैदान में दसियों हजार गरीब-गुरबो, मजदूरों का जुटान हुआ. इसमें मुख्यतः जहानाबाद-अरवल जिला और उससे सटे खिजरसराय (गया) व  मसौढ़ी (पटना) आदि इलाकों से आये दलित-गरीब खेत व ग्रामीण मजदूर शामिल थे.