उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन का जुझारू प्रदर्शन

ऐक्टू से संबद्ध ‘उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन’ ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा ‘‘आशाओं के साथ बात’’ कार्यक्रम के बाद की गई धोखाधड़ी भरी घोषणा के विरुद्ध 14 सितम्बर 2018 को राज्यव्यापी विरोध कार्यक्रम के तहत नैनीताल, रुद्रपुर, पिथौरागढ़, रानीखेत, भिकियासैंण, लोहाघाट, रामनगर, टनकपुर आदि अनेक स्थानों पर धरना-प्रदर्शन-जुलूस निकालकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा. सभी जगह जोरदार प्रदर्शन करके देश के प्रधानमंत्री को चार-सूत्री मांगों का ज्ञापन प्रेषित किया गया, जिसमें मांग की गई कि आशाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित कर न्यूनतम मासिक वेतन 18,000 रुपये दिया जाए, हेल्थ कार्ड सर्वे हेतु दैनिक दिहाड़ी और भत्ता दिया जाए, आशाओं की पूर्व बकाया प्रोत्साहन राशि व अन्य मदों का पैसा तत्काल आशाओं के खाते में डाला जाए तथा सभी अस्पतालों में आशा गृहों का निर्माण किया जाए.

यूनियन के राज्यव्यापी विरोध कार्यक्रम के मौके पर उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने जारी बयान में कहा कि मोदी जी ने ‘‘आशाओं के साथ बात’’ कार्यक्रम के बाद आशाओं का मानदेय दुगना करने की घोषणा की, परंतु जब आशाओं को केन्द्र सरकार एक रुपया भी मासिक मानदेय देती ही नहीं है तो दुगना क्या करेगी मोदी सरकार! ऐसा सफेद झूठ बोलकर मोदी सरकार आशाओं को गुमराह करना बंद करें.

यूनियन ने कहा कि मोदी सरकार की यह घोषणा चुनावी स्टंट के अतिरिक्त और कुछ नहीं है, क्योंकि एक ओर उनकी सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बजट में कटौती कर रही है, और दूसरी ओर मानदेय की बात भी कर रही है. जब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में बजट ही नहीं आयेगा तो मानदेय कहां से मिलेगा. केंद्र सरकार इसका खुलासा करे. कोरी घोषणा करके बेवकूफ बनाने की कोशिश करने के बजाए सरकार आशाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित कर 18,000 रु. मासिक वेतन दे. तब आशाओं का सच में सम्मान होगा. सरकार आशाओं के साथ लगातार धोखाधड़ी कर रही है. असल में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए आशा वर्कर्स का वोट हासिल करना ही इस घोषणा का असली मकसद है. इसका जवाब आंदोलन को तेज करके दिया जायेगा. ु