रसोइयों का बिहार विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन

बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (संबद्ध ऐक्टू) के बैनर तले सैकड़ों रसोइयों ने विपरीत मौसम के बावजूद 12 जुलाई को बिहार विधान सभा के समक्ष प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के पहले गेट पब्लिक लाइब्रेरी, गर्दनीबाग से जुलूस निकाला गया जिसका नेतृत्व बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की अध्यक्ष सरोज चैबे, सचिव सोहिला गुप्ता, उपाध्यक्ष सावित्री देवी, नेत्री संगीता सिंह, सुनीता देवी, सोना देवी, राखी मेहता, माधुरी गुप्ता के साथ ही ऐक्टू के राज्य महासचिव आरएन ठाकुर, सचिव रणविजय कुमार तथा अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद आदि ने किया.

प्रदर्शन में रसोइयों को सरकारी कर्मचारी घोषित करो, मानदेय 18000 रुपया करो, 40 दिनों की हड़ताल के उपरांत सरकार के साथ हुई वार्ता के दौरान दिये गये मौखिक आश्वासन के अनुसार मांगों को पूरा करो, हड़ताल अवधि की वेतन कटौती वापस करो, एनजीओ के जरिये विद्यालयों में भोजन आपूर्ति बंद करो, 12 महीने का नियमित वेतन भुगतान करो, आदि मांगें बुलंद की गईं.

प्रदर्शन स्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए इन नेताओं ने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना की रीढ़ रसोइया हैं और इनके ही मेहनत के बल पर न सिर्फ विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ी और उनका ड्रॉप आउट घटा, बल्कि राज्य की साक्षरता दर भी बढ़ी. लेकिन रसोइयों की समस्याओं पर न तो सरकार संवेदनशील है और न इन रसोइयों को विद्यालय में सम्मान ही मिलता है.

वक्ताओं ने कहा कि इस वर्ष की शुरूआत में चली 40 दिनों की ऐतिहासिक हड़ताल के दौरान सरकार दमन पर उतर आई. विद्यालयों में भोजन आपूर्ति के लिए एनजीओ का नवीकरण न करने का आश्वासन देने के बावजूद पटना जिले के शहरी इलाकों में 1,005 विद्यालय एनजीओ को सौंप दिये गये. अगर सरकार अपना यह फैसला वापस नहीं लेती है तो आन्दोलन और तेज किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि विधान सभा में सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के विपरीत कई जगहों पर उन्हें काम से निकाल दिया गया है और हड़ताल अवधि का मानदेय काट लिया गया है, सरकार को ये दंडात्मक कार्रवाइयां वापस लेनी होगी. 

रसोइया व सफाई कर्मियों का रोष मार्च

पंजाब के बटाला में 13 जुलाई को रसोइया व सफाईकर्मियों ने अपनी लंबित मांगों के पूरा न होने के विरोध में रोष मार्च निकाला. प्रतिवाद मार्च को पंजाब प्रांत के ऐक्टू महासचिव गुलजार सिंह भुंबली, मनजीत राम व समर्थन में भाकपा-माले के राज्य सचिव गुरूमीत सिंह बख्तपुरा ने संबोधित किया.   

वक्ताओं ने कहा कि पंजाब सरकार रसोइया कर्मियों को महज 1700 रु. मासिक मानदेय देती है जबकि पड़ोस के राज्य हरियाणा में सरकार उन्हें 4500 रु. प्रतिमाह दे रही है. यह मानदेय भी महज 10 माह का दिया जाता है और उन्हें यूनिफार्म और अन्य सहूलियतें व छुट्टियां भी नहीं दी जाती हैं. नेताओं ने रसोइया कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी कानून के दायरे में लाने, कम से कम हरियाणा राज्य के बराबर तथा 12 महीनों का मानदेय देने, खाना बनाने के लिए रसोई गैस और अन्य सुविधाओं का प्रबंध करने की मांग की. इन मांगों की पूर्ति न होने पर आगामी 10 अगस्त को बटाला में विशाल रैली करने की चेतावनी दी गई.