एआईसीडब्लूएफ के आह्वान पर 20 नवम्बर को आयोजित निर्माण मजदूरों का देशव्यापी विरोध् दिवस

ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन (एआईसीडब्लूएफ, संबद्ध ऐक्टू) के आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में संशोधन, बढ़ती बेरोजगारी, आसमानछूती महंगाई तथा आरएसएस-भाजपा की सांप्रदायिक कार्रवाइयों के खिलाफ और निर्माण मजदूरों की मांगों को बुलंद करते हए 20 नवम्बर को निर्माण मजदूरों के अखिल भारतीय विरोध दिवस के तहत कई राज्यों में श्रम कार्यालयों/जिला अधिकारी कार्यालयों के समक्ष निर्माण मजदूरों ने प्रदर्शन एवं धरनों का आयोजन किया. इन प्रदर्शनों के माध्यम से राष्ट्रीय व राज्य विशेष मांगों के ज्ञापन सौंपे गए. ज्ञात हो कि इस विरोध दिवस के पूर्व निर्माण मजदूरों के मांगपत्र पर देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था. इन प्रतिवाद कार्यक्रमों के माध्यम से मजदूरों की 8 जनवरी 2020 की देशव्यापी आम हड़ताल को जोरदार ढंग से सफल बनाने का आह्वान किया गया.   

विरोध दिवस के माध्यम से उठाई गई मांगों में प्रमुख हैंः मोदी सरकार द्वारा लाए गए चारों श्रम कोड रद्द करो, निर्माण मजदूरों के लिये राज्यों के कल्याण बोर्ड में जमा अरबो-खरबों की राशि को पूंजिपतियों के हवाले करने-हड़पने की साजिश रचना बन्द करो, न्यूनतम मजदूरी 1000 रु. प्रतिदिन घोषित करो, निर्माण मजदूरों के लिये 1996 में बने केंद्रीय कल्याणकारी कानून के तहत राष्ट्रीय स्तर पर योजना में समरुपता लाने हेतु समान आदर्श राष्ट्रीय नियमावली बनाओ, सभी मजदूर परिवारों के लिए मुफ्त आवास, चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था करो तथा ईएसआई के प्रावधान की गारंटी करो, बोर्ड में हर निर्माण मजदूर के निबंधन की गारंटी करो, 8 घंटे कार्य दिवस, डबल ओवर टाइम, बोनस एवं ग्रेच्यूटी की सुविधाएं लागू करो, घर मरम्मती अनुदान के लिए जमीन के कागजात व औजार अनुदान के लिए कौशल विकास प्रमाण पत्र की बाध्यता खत्म करो, सेस वसूली की राशि बढ़ाकर 3 प्रतिशत करो, आदि. 

दिल्ली में ऐक्टू से संबद्ध बिल्डिंग वर्कर्स यूनियन के नेतृत्व में इस दिन विभिन्न जिला श्रम कार्यालयों पर प्रतिवाद आयोजित किए गए. इन प्रतिवाद कार्यक्रमों में सैकड़ों निर्माण मजदूरों ने शिरकत की. दक्षिण दिल्ली में अयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐक्टू के दिल्ली राज्य अध्यक्ष संतोष रॉय ने कहा कि मोदी सरकार मजदूरों को बांटने की कोशिश कर रही है ताकि वे आपस में ही लडें और इस तरह उनका ध्यान मजदूर कल्याण बोर्डों को खत्म करने जैसी सरकार की श्रम-विरोधी नीतियों और कॉरपोरेटों के हाथों देश के संसाधनों को बेचने की कार्यवाहियों से हट जाए. पूर्वी और उत्तर-पूर्व दिल्ली के प्रतिवाद कार्यक्रमों में निर्माण मजदूरों ने कार्य-स्थलों पर होने वाली दिक्कतों और अन्यायों, सुरक्षा साधनों के अभाव और दुर्घटना होने पर नियोजकों की असंवेदनशीलता के बारे में बताया. इन प्रतिवाद कार्यक्रमों को ऐक्टू के दिल्ली राज्य कार्यकारी अध्यक्ष वीकेएस गौतम ने संबोधित किया. उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में भी बड़ी तादाद में निर्माण मजदूर कार्यक्रमों में शामिल हुए. यूनियन के अध्यक्ष राजीव कुमार पंडित ने बताया कि प्रदूषण के कारण कामबंदी से किस तरह उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ रहा है. उन मजदूरों ने मुआवजे की मांग की और मांग न मिलने तक संघर्ष में डटे रहने का संकल्प लिया.

बिहार के कई जिलों में प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किये गए. पटना में सैकड़ों निर्माण मजदूरों ने बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के बैनर तले जिला अधिकारी के समक्ष रोषपूर्ण प्रदर्शन किया और मांगपत्र सौंपा. प्रदर्शन का नेतृत्व फेडरेशन और ऐक्टू के नेताओं आर.एन. ठाकुर, रामबली प्रसाद, रणविजय कुमार, कमलेश कुमार आदि ने किया. भागलपुर में बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के बैनर तले निर्माण मजदूरों ने उपश्रमायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया. झंडे-बैनर व मांग पट्टिकाओं से लैस सैकड़ों महिला-पुरुष मजदूरों ने केंद्र-राज्य सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ रोषपूर्ण नारे लगाते हुए केंद्र-राज्य सरकारों को कड़ी चेतावनी दी. धरने का नेतृत्व एआइसीडब्लूएफ के राष्ट्रीय महासचिव व ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एसके शर्मा और ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने किया. धरने को संबोधित करते हुए एसके शर्मा ने केंद्र की मोदी सरकार के मजदूर विरोधी-जन विरोधी कारनामों की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार का 4 लेबर कोड गुलामी का दस्तावेज है जिसे भारत का मजदूर वर्ग किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा. प्रदर्शन ने 28 नवम्बर को पटना में मुख्यमंत्री के समक्ष निर्माण मजदूर के राज्य-स्तरीय प्रदर्शन को सफल करने का आह्वान किया. मुकेश मुक्त के नेतृत्व में एक प्रतिनिधमंडल ने मजदूरों की समस्याओं व मांगों से संबंधित ज्ञापन उपश्रमायुक्त को सौंपा और उनसे सभी मांगों पर वार्ता की. ज्ञापन में अन्य मांगों के अलावा उपश्रमायुक्त ने स्थानीय समस्याओं व मांगों पर त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया. धरने ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर जेएनयू के आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं के साथ एकजुटता जाहिर की और पूर्वी चंपारण के सुगौली बॉयलर कांड में रसोइयों की हुई वीभत्स मौत पर गहरा शोक प्रकट करते हुए घटना के लिए जिम्मेदार एनजीओ को आजीवन बैन कर इसके संचालक को गिरफ्तार करने व मृतकों के आश्रितों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की. धरने को भाकपा-माले के जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल, ऐक्टू राज्य परिषद सदस्य सुरेश प्रसाद साह, यूनियन के जिला उपाध्यक्ष सिकंदर तांती व अमित कुमार ने भी संबोधित किया. 

साथ ही, दरभंगा में मिथलेश्वर सिंह, बाबूलाल पासवान; सुपौल में अरविंद शर्मा; मुजफ्फरपुर में मनोज कुमार यादव; हाजीपुर (वैशाली) में सुरेंद्र प्रसाद सिंह, संगीता देवी; और प. चंपारण के बेतिया में जवाहर के नेतृत्व में सैकड़ों मजदूरों ने धरना-प्रदर्शन आयोजित किए. साथ ही जहानाबाद, आरा, सहरसा, मधेपुरा, आदि जिलों में भी प्रदर्शन आयोजित किए गए.

भुवनेश्वर, ओडीसा में सैकड़ों निर्माण मजदूरों ने रेलवे स्टेशन से जोशीला मार्च निकालते हुए श्रमायुक्त कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया. इस प्रतिवाद कार्यक्रम का नेतृत्व फेडरेशन और ऐक्टू के नेताओं महेंद्र परिदा, राधाकांत सेठी, सत्यमान प्रधान, श्रीनिवास साहू आदि ने किया. प्रदर्शन के दौरान श्रमायुक्त को मांगों का ज्ञापन सौंपा गया.   

पुदुच्चेरी में फेडरेशन की स्थानीय इकाई ने प्रतिवाद दिवस मनाया. राज्य अध्यक्ष एस. पुरुषोत्तम के नेतृत्व में प्रतिवाद प्रदर्शन संगठित किया गया जिसे फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बालासुब्रह्मण्यन ने संबोधित किया और मोदी-शाह द्वारा मजदूर कल्याण बोर्डों को खत्म करने के प्रस्ताव की भर्त्सना करते हुए प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा कोड को वापस लेने की मांग की. ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष मोतीलाल, फेडरेशन के कार्यकारी सदस्य मुरुगन और राज्य सचिव अरुमुगम ने मजदूर सभा को संबोधित किया. श्रमायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक विस्तृत ज्ञापन भेजा गया.