ऐतिहासिक रही देशव्यापी आम हड़ताल

ऐक्टू 8 जनवरी की ऐतिहासिक देशव्यापी आम हड़ताल के लिये कामगारों और छात्रों समेत समस्त मेहनतकश जनता को सलाम पेश करता है. उल्लेखनीय है कि इस हड़ताल को किसानों, खेत मजदूरों, छात्रों, बुद्धिजीवियों समेत व्यापक हिस्सों का जबरदस्त समर्थन मिला और विशेष रूप से महिला श्रमिकों की हड़ताल में भागीदारी बेहद सरहानीय थी. इस व्यापक समर्थन के चलते बहुत से राज्यों में आम हड़ताल बंद में तबदील हो गई. कामगारों की रोजी-रोटी, अधिकारों और नागरिकता पर तथा देश की संपत्ति, संविधान और धर्मनिरपेक्ष तानेबाने पर मोदी सरकार द्वारा छेडे़ गए युद्ध के खिलाफ देशभर में जारी प्रतिरोध में यह हड़ताल मील का पत्थर साबित हुई है.

मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी, जन विरोधी और देश विरोधी नीतियों के खिलाफ 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा 8 जनवरी को आहूत अखिल भारतीय आम हड़ताल, जिसमें 25 करोड़ से भी अधिक श्रमिकों ने हिस्सा लिया, ऐतिहासिक रूप से सफल रही. मजदूर वर्ग के अलावा किसानों, खेत मजदूरों, छात्रों, शिक्षकों व बुद्धिजीवियों समेत समाज के विभिन्न हिस्सों के लोग हड़ताल के समर्थन में सड़कों पर उतरे और मोदी राज के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार किया.

डब्लूएफटीयू, पाकिस्तान से एपीएफयूटीयू समेत कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने हड़ताल के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए संदेश भेजे.

आम हड़ताल के दौरान बिहार, प. बंगाल, पंजाब, असम, मणिपुर, केरल, ओड़िशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पांडिचेरी, गोआ, झारखंड, मेघालय, तेलंगाना, हरियाणा, त्रिपुरा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात जैसे राज्यों में संपूर्ण बंद का नजारा दिखा और कल-कारखानों मे संपूर्ण बंदी रही. देश के शहरी व ग्रामीण इलाकों में, सभी छोटे-बड़े शहरों में, कारखानों व फार्मों में, सड़कों व उच्च पथों पर भी लोगों ने स्वतःस्फूर्त रूप से बड़ी तादाद में जमा होकर प्रदर्शन, जुलूस और रैली-सभा आयोजित किया. कई जगहों पर रेल-रोड जाम हुए. चेन्नई में 2000, असम में 1500, भुवनेश्वर में 500 लोग गिरफ्तार भी किए गए, वहीं उत्तर प्रदेश के कई शहरों में पुलिस ने प्रदर्शनों पर रोक भी लगायी.

आरबीआई समेत सभी बैंकों, बीमा संस्थानों, चाय बागानों, तेल बाजार, तेल शोधन व पाईप लाइनों, बिजली, रक्षा उत्पाद, जल, शिक्षा व स्वास्थ्य तथा ज्यादातर कोयला उद्योगों में संपूर्ण हड़ताल रही. वाइजैग स्टील प्लांट, बाल्को, भेल, में कई जगहों पर संपूर्ण हड़ताल रही. विभिन्न राज्यों में सरकारी कर्मचारी, आशा-आंगनबाड़ी-मिड डे मील कर्मी समेत कई क्षेत्रों के स्कीम वर्कर्स, ठेला-वेंडर और ऑटो चालक व परिवहन कर्मी भी भारी तादाद में सड़कों पर उतरे. 

इस देशव्यापी हड़ताल में ऐक्टू ने बढ़चढ़ कर भूमिका अदा की.

दिल्लीः देश की राजधानी स्थित सभी औद्योगिक क्षेत्रों में मजदूरों के प्रदर्शन व सभायें हुईं. श्रमिकों ने शहीद पार्क से जुलूस निकाला और आईटीओ चैराहा पहुंचे जहां पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद वहीं पर सड़क जाम कर सभा आयोजित की गई. सभा को राजीव डिमरी (ऐक्टू), अशोक सिंह (इंटक), अमरजीत कौर (एटक), तपन सेन (सीटू), हरभजन सिंह सिद्धू (एचएमएस), देवराजन (टीयूसीसी), आदि ने संबोधित किया. ‘यंग इंडिया’ के आह्वान पर दिल्ली विश्वविद्यालय में हजारों छात्रों की भागीदारी के साथ एक ऐतिहासिक प्रतिवाद मार्च आयोजित कर जेएनयू और जामिया विश्वविद्यालयों पर किए गए हमले और सीएए, एनआरसी व एनपीआर का विरोध और आम हड़ताल का समर्थन किया गया.

बिहारः राजधानी पटना में दिन भर हड़ताल के समर्थन में प्रदर्शनों का तंाता लगा रहा. राज्य के अधिकांश जिला मुख्यालयों और सैकड़ों प्रखंड मुख्यालयों में आम हड़ताल व ‘ग्रामीण भारत बंद’ के समर्थन में प्रदर्शन आयोजित हुए. भाकपा-माले और ऐक्टू व उससे जुड़ी यूनियनों, किसान महासभा, खेग्रामस, आशा कार्यकर्ता संघ, आंगनबाड़ी व मघ्यान्ह भोजनकर्मी संगठन, बीड़ी मजदूर, निर्माण मजदूर व ऑटो चालक संगठनों समेत छात्र-युवा संगठन आइसा व इनौस ने भी बंद को सफल बनाने में अग्रणी भूमिका अदा की. बिहार में हड़ताल को सफल बनाने में स्कीम कर्मियों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई.   

झारखंडः यहां कोयला उद्योग में हड़ताल काफी सफल रही, खासकर ईसीएल में मुगमा एरिया में बंद की स्थिति रही. बीसीसीएल में हड़ताल का मिलाजुला असर था, कुछ जगहों में हड़ताल सम्पूर्ण थी. हड़ताल को विफल कराने के लिये प्रशासन ने ऐक्टू के कुछ साथियों पर एफआईआर भी दर्ज कर दी, उनमें उपेन्द्र सिंह, कृष्णा सिहं, जगदीश शर्मा, बिपिन मंडल, सत्येन्द्र सिहं और संजीव राउत हैं. बीसीकेयू के भी दो-तीन सथियों पर एफआईआर दर्ज की गई. रांची में ऐक्टू से सम्बद्ध झारखंड निर्माण मजदूर यूनियन ने डेली चौक से विशाल रैली निकाली जो अल्बर्ट एक्का चौक पहुंची. मुख्य बाजार समेत अधिकांश दुकानों के न खुलने के कारण हर तरफ बंद-सा नजारा रहा. प्रदर्शन को ऐक्टू के राज्य महासचिव शुभेंदु सेन, निर्माण मजदूर यूनियन के महासचिव भुवनेश्वर केवट, झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के नेता गोपाल शरण व रामचरित्र शर्मा, ऐक्टू नेता अजबलाल सिंह, आदि ने संबोधित किया.

पंजाबः यहां मानसा में वामपंथी जन संगठनों के हजारों प्रदर्शनकारियों ने पूरे शहर में जुलूस निकाला और बस स्टैंड का गेट जाम कर सभा की. अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रुलदू सिंह के नेतृत्व में पंजाब के दस किसान संगठनों ने दिल्ली-फिरोजपुर रेल लाईन पर धरना देकर उसे जाम कर दिया और सभा आयोजित की. 

उत्तरप्रदेशः राजधानी लखनऊ में एपी सेन रोड स्थित उप श्रमायुक्त कार्यालय से ऐक्टू के बैनर तले एकजुट कार्यकर्ताओं व मजदूरों ने मोदी-योगी सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए मार्च निकाला. मार्च चारबाग रेलवे स्टेशन प्रांगण में स्थित उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन के कार्यालय के सामने पहुंचा. लखनऊ के प्रसिद्ध एसजीपीजीआई अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन भी हड़ताल में शामिल हुई. बलिया में भाकपा-माले के बैनर तले इकट्ठा हुए सैकड़ों लेागों ने खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन से प्रभावशाली जुलूस निकाला. गाजीपुर में सैकड़ों किसानों ने अ.भा. किसान महासभा के प्रदेश सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन से मार्च कर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. सोनभद्र में भाकपा-माले राज्य सचिव सुधाकर यादव व जिला सचिव शंकर कोल के नेतृत्व में मार्च निकाला गया. मिर्जापुर में भाकपा-माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य मो. सलीम, व जीरा भारती के नेतृत्व में किसान महासभा, खेग्रामस व ऐक्टू की ओर से शहर में मार्च निकाला गया. कानपुर में असरदार मजदूर हड़ताल के दौरान दादा नगर-पनकी औद्योगिक क्षेत्र में ऐक्टू ने जुलूस निकाल कर सड़क जाम किया. यहां आयोजित सभा में बड़ी संख्या में महिला मजदूर शामिल हुईं. इलाहाबाद के फूलपुर में ऐक्टू से सम्बद्ध इफ्को ठेका मजदूर संघ ने फर्टिलाइजर कारखाने के गेट नंबर दो पर सभा की. इलाहाबाद शहर में भी आम हड़ताल के समर्थन में वाम दलों व अन्य संगठनों की सभा हुई. बनारस में खेग्रामस और निर्माण मजदूर यूनियन के नेतृत्व में श्रम कार्यालय तक मार्च किया गया. मुरादाबाद में ऐक्टू नेता रोहितास राजपूत के संचालन में जिला ट्रेड यूनियन समन्वय समिति की ओर से अम्बेडकर पार्क में सभा आयोजित हुई. मथुरा में किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले जिला मुख्यालय पर किसानों व आगनबाड़ी महिलाओं ने प्रदर्शन व सभा का आयोजन किया. रायबरेली में जिला ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के संयोजक व ऐक्टू प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही के नेत्त्व में कई संगठनों के सैकड़ों लोगों ने जुटकर रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. लखीमपुर खीरी में नसरुद्दीन मौजी मैदान में प्रदर्शन कर सभा की गई, वहीं पलियां कला तहसील मुख्यालय पर अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले एकजुट होकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया. सीतापुर में आम हड़ताल के समर्थन में मजदूरों, खासकर मिड-डे मील कर्मियों ने शहर में मार्च निकाला और विकास भवन के सामने सभा की. आजमगढ़ में हड़ताल के समर्थन में धरना प्रदर्शन हुआ. जालौन में आम हड़ताल को लेकर मजदूर-किसानों का मार्च हुआ. देवरिया में प्रदर्शन और कुशीनगर में धरना हुआ. गोरखपुर, मऊ, चंदौली और पीलीभीत में भी हड़ताल के समर्थन में मार्च निकाले गये. फैजाबाद में वाम दलों ने प्रेस क्लब में संयुक्त सभा की. भदोही और गोंडा में वाम दलों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया. 

तमिलनाडुः यहां 15 जिलों के 25 केंद्रों में ऐक्टू ने अन्य ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर रेल रोको और रोड जाम के कार्यक्रमों में भाग लिया. चेन्नई के नजदीक रेल रोको के दौरान ईरानीअप्पन के नेतृत्व में ऐक्टू और नौजवानों के संगठन आरवाईए के 100 कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए. ऐक्टू राज्य अध्यक्ष शंकरपांडियन ने तिरूनेलवेली में, राज्य सचिव देसीकन ने चेन्नई में और भाकपा-माले के राज्य सचिव एनके नटराजन ने करूर में गिरफ्तारी दी. ग्रामीण हिस्सों में भी खेत मजदूरों और किसानों के संगठनों के संयुक्त आंदोलनात्मक कार्यक्रम आयोजित हुए जिनमें आइरला और किसान महासभा ने बढ़चढ़ कर भूमिका अदा की. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र और राज्य परिवहन कर्मचारियों के साथ-साथ समूची हड़ताल में स्कीम और निर्माण मजदूरों की उल्लेखनीय भूमिका रही. 

पांडिचेरीः यहां ऐक्टू समेत मजदूर संगठनों ने संयुक्त रूप से व्यापक तौर पर रास्ता रोको कार्यक्रम आयोजित किये. 

आंध्रपदेशः यहां गुंटूर जिले के ऑटो नगर व तेनाली में ऐक्टू और भाकपा-माले के बैनर तले रैली व जनसभा आयोजित हुई, जिसमें कई मुस्लिम संगठनों और सोना-चांदी उद्योग से जुड़े मजदूरों की जबरदस्त भागीदारी हुई. काकीनाड़ा, विजयवाड़ा व करनूल जिले के नंदीकोटकर में वामपंथी दलों व संगठनों ने संयुक्त प्रदर्शन आयोजित किया. येलेश्वरम में बंद आयोजित हुआ. पूर्वी गोदावरी जिले के प्रतिपडु व श्रीकाकुलम जिले के पलासा में भाकपा-माले, खेग्रामस व ऐक्टू ने रैली निकाली. 

तेलंगाना के पालकुर्थी में भी बंद का आयोजन हुआ. 

ओड़िशाः यहां के रायगड्डा जिले के कई इलाकों, भुवनेश्वर तथा कोरापुट जिले में ऐक्टू द्वारा प्रदर्शन आयोजित हुए. साथ ही भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर रेल रोको आयोजित किया गया.

पश्चिम बंगालः यहां जबरदस्त बंद रहा. जाधवपुर विश्वविद्यालय के छात्र भी भारी तादाद में आम हड़ताल के समर्थन में सड़कों पर उतरे. बर्धमान में प्रदर्शन और नदिया जिले में एनएच-34 को जाम करने के कार्यक्रम आयोजित हुए. 

असमः यहां चाय बागानों और गुवाहाटी तेल रिफाइनरी में बंद आयोजित करने में ऐक्टू से संबद्ध यूनियनों ने अगुवा भूमिका निभाई. राजगढ़ में ऐक्टू द्वारा प्रतिवाद मार्च आयोजित हुआ.

त्रिपुराः राजधानी अगरतला में पूर्ण हड़ताल रही. हजारों लोगों ने स्वतःस्फूर्त तरीके से हड़ताल व बंद में शिरकत की. 

जम्मूः यहां ऐक्टूू के बैनर तले सिडको इंडस्ट्रीयल कांपलेक्स (बड़ी ब्राहम्ण) में करीब एक हजार की भागीदारी के साथ मजदूरों का जुलूस निकला. जुलूस को ऐक्टू नेताओं निर्दोष उप्पल, सुभाष मेहता, सुनिल सलहन के अलावा एससीएलयू के अध्यक्ष नर सिंह ने संबोधित किया.

उत्तराखंडः यहां हल्द्वानी स्थित बुद्ध पार्क में ट्रेड यूनियनों का साझा मंच के बैनर तले एक सभा आयोजित हुई जिसे ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजा बुहगुणा, बीमा कर्मचारी संघ के सर्किल महासचिव डीके पाण्डे, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के अध्यक्ष पीपी आर्य, बैंक यूनियन के गौरव गोयल और पुष्कर बिष्ट, रोडवेज पथ परिवहन यूनियन (सीटू) के अध्यक्ष आरके वालिया ने संबोधित किया. सभा के बाद उपजिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाल कर 11-सुत्री ज्ञापन सौंपा गया..

गुजरातः यहां मोडासा में पुलिस की धमकी और निषेधाज्ञा को धता बताते हुए ऐक्टू व सीटू से सम्बद्ध ट्रेड यूनियनों व किसान संगटनों ने प्रदर्शन किया. 

छत्तीसगढ़ः भिलाई स्टील प्लांट में ऐक्टू समेत यहां की तमाम यूनियनों ने सभी गेटों पर प्रदर्शन आयोजित किये. राजनांद गांव में संयुक्त तौर पर रैली एवं सभा का आयोजन किया गया जिसे ऐक्टू एवं छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा की ओर से भीमराव बागड़े ने संबोधित किया. रायपुर में भी संयुक्त रैली का आयोजन हुआ जिसमें ऐक्टू से संबद्ध हमाल यूनियन ने भाग लिया. बिलासपुर में ऐक्टू व छमुमो द्वारा प्रदर्शन किया गया और कोरबा स्थित बालको में हड़ताल की गई जिसे सफल बनाने में ऐक्टू से संबद्ध यूनियन ने प्रमुख भूमिका निभाई.

हरियाणा में अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले कई स्थानों पर प्रदर्शन हुए. 

रेलः आईआरईएफ और रेल उत्पादन इकाइयों की समन्वय समिति के आह्वान पर रेलवे में जारी निगमीकरण और निजीकरण के खिलाफ और देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में कपूरथला, पटियाला, बनारस, रायबरेली, चित्तरंजन स्थित विभिन्न उत्पादन इकाइयों और जोनों में धरने-प्रदर्शन आयोजित किये गये और काले बिल्ले लगाए गए.