रेलवे कर्मचारियों का राष्ट्रीय कन्वेंशन

8 दिसम्बर 2019 को नई दिल्ली स्थित मावलंकर हॉल में उत्पादन इकाईयों में नियोजित रेलवे कर्मचारियों का कन्वेंशन आयोजित हुआ. यह प्रभावशाली कन्वेंशन रेलवे के निजीकरण के खिलाफ़ एक राष्ट्रीय मंच के निर्माण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था.

सभी सातों उत्पादन इकाइयों को एक मंच पर लाने की दिशा में इस कन्वेंशन को बुलाने में इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन (आईआरईएफ) से जुड़ी आरसीएफ कर्मचारी यूनियन (कपूरथला) और यहां की संयुक्त ऐक्शन कमेटी ने पहल ली थी. इस कन्वेंशन में एमसीएफ रायबरेली, डीएमडब्लू पटियाला, डीएलडब्लू बनारस, सीएलडब्लू चित्तरंजन जैसी उत्पादन इकाईयों में कार्यरत यूनियनों के अलावा आईसीएफ वर्कर्स यूनियन, पेरुम्बुर और दक्षिण रेलवे इंप्लाइज यूनियन ने भागीदारी की. कन्वेंशन में उपरोक्त उत्पादन इकाईयों और विभिन्न कैटिगोरिकल एवं गैर-मान्यताप्राप्त यूनियनों से 500 से अधिक कर्मचारी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

आरसीएफ बचाओ संघर्ष समिति के सचिव एवं आईआरईएफ के महासचिव सर्वजीत सिंह ने कन्वेंशन का संचालन किया. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया कि इस वक्त सभी उत्पादन इकाइयों में चल रहे संघर्षों को राष्ट्रीय स्तर की एक समन्वय समिति के ज़रिये संगठित करने की ज़रूरत है.

इस बीच, मोदी सरकार साजिश के तहत उत्पादन इकाइयों को दो हिस्सों में बाँटने की तैयारी कर रही है - लोकोमोटिव उत्पादन कंपनी जिसमें डीएलडब्लू वाराणसी, डीएमडब्लू पटियाला और सीएलडब्लू चित्तरंजन को मिलाया जाएगा; और रोलिंग स्टॉक कम्पनी जिसमें आईसीएफ पेरूम्बुर, आरसीएफ कपूरथला, एमसीएफ रायबरेली और रेल व्हील फैक्ट्री बैंगलुरु को मिलाया जायेगा. इस परिस्थिति में विरोध संघर्ष को बरक़रार रखने के लिए देश भर में निजीकरण एवं निगमीकरण के खि़लाफ़ चल रहे आंदोलनों को राष्ट्रीय स्तर पर एकसाथ लाने की ज़रूरत पर चर्चा हुई. इस बीच, उपरोक्त सभी उत्पादन इकाइयों में कार्यरत यूनियनों ने अपने स्थानों में संयुक्त ऐक्शन समितियों का निर्माण किया हुआ है. इस स्थिति में कन्वेंशन ने एक अखिल भारतीय मंच की स्थापना का प्रस्ताव दिया जिसमें प्रत्येक उत्पादन इकाई की ऐक्शन कमेटी से प्रतिनिधि शामिल होंगे. 

इस परिप्रेक्ष्य में, सम्मेलन ने निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किएः

  1. सातों उत्पादन इकाइयों, ओपन लाइन की ज़ोनल रेलवे ट्रेनों के संचालन समेत, इनके निगमीकरण, निजीकरण के खि़लाफ़ एकजुट होकर संघर्ष करना.
  2. सातों उत्पादन इकाइयों की यूनियनों एवं एसोसियशनों को लेकर एक अखिल भारतीय समन्वय समिति का गठन करना.
  3. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई 8 जनवरी की हड़ताल के समर्थन में 1 से 7 जनवरी तक अभियान चलाना. प्रत्येक उत्पादन इकाई में और साथ ही आईएआरईएफ से संबद्ध यूनियनों द्वारा धरने आयोजित करना.
  4. रेलवे में मौजूद सभी फेडरेशनों, एसोसियशनों को मिलाकर संघर्ष के लिए अखिल भारतीय मंच के गठन की ओर बढ़ना. 

इन्हीं मुद्दों पर आगे की कार्यवाही के लिए 22 दिसम्बर को रायबरेली में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें प्रत्येक यूनिट से 3 नामों का चयन करते हुए 18 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया गया और सर्वजीत सिंह को बतौर अध्यक्ष और 2 साथियों - बी.डी. दुबे, डीएलडब्लू वाराणसी एवं नायाब सिंह, एमसीएफ रायबरेली - को संयोजक चुना गया.

कन्वेंशन में निम्नलिखित वक्ताओं ने हिस्सा लियाः एन एन बनर्जी (अध्यक्ष, ऐक्टू), स्वदेश देबरॉय (राष्ट्रीय सचिव, सीटू), विद्यासागर गिरी (राष्ट्रीय सचिव, एटक), एन साई बालाजी (आईसा अध्यक्ष), मनोज पांडेय (आईआरईएफ अध्यक्ष), एम राघवैया (महासचिव एनएफआईआर), सुभाष मलगी (महासचिव आरएमयू), विजय बंधु (महासचिव, एनएमओपीएस), रामकिशन (महासचिव, ऑल इंडिया हेल्थ इंप्लाइज एंड वर्कर्स कन्फेडरेशन), अशोक कुमार (महासचिव, एआईएससी-एसटी आरईए), आर के पाल (कार्यकारी अध्यक्ष, एआईओबीसी आरईए), बी डी दुबे (संयोजक एवं राजेन्द्र पाल सह संयोजक, डीएलडब्लू संघर्ष समिति वाराणसी), राम रतन (आरसीएफ़ बचाओ संघर्ष समिति), नायाब सिंह (संयोजक, एमसीएफ रायबरेली संघर्ष समिति), जुमेरदीन (संयोजक, डीएमडब्लू पटियाला), प्रदीप बनर्जी (सीएलडब्लू जेएसी), विक्रम सिंह (महासचिव, एआईआरटीयू), ए के यादव (महासचिव, एआई गेटमैन-पॉइंटमैन एसोसिएशन), एन शनमुगम (महासचिव, आईआरटीएसए), राजाराम (आईसीएफडब्लूयू), और साथ ही एआईएसएमए, आरकेटीए, टीसीएसए, स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन और आईआरटीसीएसए के नेतागण. ु