Scheme Workers

Scheme Workers and Their Struggles

Almost one crore scheme workers all over the country shoulder the burden of implementing several important public schemes of the central government on health and education. They include ASHA workers (working under National Rural Health Mission program), Anganvadi workers (working under ICDS program) and MDM workers (working under Mid Day Meal scheme for school children). Almost 95% of the scheme workers in the country are women. These scheme workers are the backbone in ensuring basic health and nutrition to vast majority of the country’s population.

The Forgotten Frontline Workers: Safai Karamcharis, Hospital D-Group Workers, ASHA Workers and Crematorium Workers

While everyone is speaking about the doctors and nurses, who are most definitely working on the frontlines and whose services are, of course, laudable during this pandemic, it is necessary for us to remember the frontline workers who are often neglected – the Safai Karamcharis / Sanitation Workers, the D-Group workers in hospitals, ASHA Workers and Crematorium workers.

ऐक्टू के नेतृत्व में प. बंगाल में मिड-डे मील कर्मियों का संघर्ष

ऐक्टू से संबद्ध ‘पश्चिमबंगा संग्रामी रंधन कर्मी यूनियन’ के नेतृत्व में राज्य में 13 अक्टूबर को मिड-डे मील कर्मियों के राज्यव्यापी प्रदर्शन आयोजित हुए जिनमें मजदूरी में बढ़ोतरी और त्योहार भत्ते की मांग उठाई गई. पिछले आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मिड-डे मील सेवा को मनरेगा के साथ जोड़ते हुए मजदूरी में बढ़ोतरी का आश्वासन दिया था, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है. 

स्कीम वर्कर्स की अखिल भारतीय कार्यशाला 

ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (एआईएसडब्लूएफ) के बैनर तले 1-2 दिसंबर, 2019 को श्रीरामपुर (महाराष्ट्र) में स्कीम वर्कर्स के कार्यकर्ताओं की अखिल भारतीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का स्वागत राजेन्द्र बावके, महाराष्ट्र राज्य सर्व श्रमिक महासंघ (सम्बद्ध, ऐक्टू) ने किया; उद्घाटन उदय भट्ट, राष्ट्रीय सचिव, ऐक्टू और महासचिव, महाराष्ट्र राज्य सर्व श्रमिक महासंघ ने किया. विशेष अतिथियों के बतौर महाराष्ट्र राज्य सर्व श्रमिक महासंघ के अध्यक्ष बालासाहेब सुरूडे और महासंघ एवं ईपीएस ’95 आंदोलन के नेता अतुल दिघे मौजूद थे.

बिहार सरकार द्वारा आशा को हज़ार रुपये मासिक पारिश्रमिक की घोषणा 

संयुक्त आशा आंदोलन की शुरुआती बड़ी जीत

संयुक्त आशा आंदोलन की नेता एवं बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) अध्यक्ष शशि यादव, महासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद व ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार ने बिहार सरकार द्वारा 17 जुलाई को कैबिनेट से बिहार के आशाओं को 1000 रुपया मासिक पारिश्रमिक देने के निर्णय को बिहार में आशाओं के आंदोलन की बड़ी जीत बताया और कहा कि 1000 रुपये की न्यूनतम  मासिक पारिश्रमिक की उपलब्धि नई शुरुआत भर है. उक्त नेताओं ने 38 दिनों के संघर्ष में शहीद होने वाली 9 आशाओं के नाम यह जीत समर्पित की.

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ ने नाको महानिदेशक से मिलकर सौंपा 7-सूत्री मांगपत्र - वेतन फार्मूला बनाने पर बनी सहमति

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ (संबद्ध ऐक्टू) ने अपने लंबे संघर्ष में तब एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की जब 18 मार्च 2019 को महानिदेशक, नाको ने एड्स नियंत्रण कर्मचारियों के सवालों पर संघ को दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में वार्ता के लिये आमंत्रित किया. नाको के बुलावे पर उप महानिदेशक (प्रशासन) के साथ संघ के पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता में शिरकत की जिसमें शामिल थे- ऐक्टू नेता रणविजय कुमार व संघ के मुख्य संरक्षक रामबली प्रसाद, संघ के नेता फखरे आलम, मीरा कुमारी व ऑल इंडिया हेल्थ इंप्लाइज एंड वर्कर्स कन्फेडरेशन के महासचिव रामकिशन.

बिहार में विद्यालय रसोइया संघ ने 5-9 अक्टूबर 2018 तक राज्यव्यापी हड़ताल का आहृान किया

विद्यालय रसोइया अपने मानदेय को बढ़ाने के लिए, सरकारी कर्मचारी घोषित करने, जब तक सरकारी कर्मचारी नहीं हो जातीं, मानदेय 18,000 रुपये करने के सवाल पर लगातार आन्दोलन कर रहे हैं. 2015 में लम्बे आन्दोलन के बाद बिहार में अशोक चौधरी की अगवाई में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया जिसे तमाम संविदा कर्मियों व मानदेय कर्मियों की स्थिति पर रिपोर्ट सरकार को देनी थी.