सुप्रीम कोर्ट ने प्रिकोल कर्मचारियों की याचिका को खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने प्रिकोल कर्मचारियों की याचिका को खारिज किया

13 नंवबर को एक चैंकाने वाले घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने प्रिकोल के दो कर्मचारियों मणिवन्न और राममूर्ती द्वारा दायर की गई स्पेशल लीव पेटिशन को खारिज कर दिया.

ये वो केस है जिसमें मद्रास हाई कोर्ट ने ये फैसला दिया था कि ये झूठा केस है इसमें एफ आई आर का समय भी झूठा है; कि प्रारंभिक सूचना को दबा दिया गया है; और, इस केस की चार्ज शीट में भी खामियां हैं. हाई कोर्ट ने जांच अधिकारी को घटना की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध ना करवाने के लिए भी फटकार लगाई थी, जिनके जरिए सच जाना जा सकता था.

उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रिकोल प्रबंधन द्वारा अपने एच आर अधिकारियों के ज़रिए दायर की गई स्पेशल लीव पेटिशन अपील पर मद्रास हाई कोर्ट द्वारा बरी किए गए कामरेडों में से छ और सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट से बरी किए गए एक और कामरेड को नोटिस जारी किया. वास्तव में इस फैसले से नव-उदारवादी एजेंडा और कॉरपोरेट घरानों को ताकत मिलेगी.

ऐक्टू सभी वाम, लोकतांत्रिक और संघर्षशील ट्रेड यूनियनों को प्रिकोल मजदूरों की न्याय के लिए होने वाली लड़ाई में अपनी इंकलाबी एकजुटता दिखाने का आहृान करता है. मारुति, ग्राज़ियानो और प्रिकोल के फैसलों के बावजूद भारतीय मजदूर आंदोलन आगे बढ़ता जाएगा.

डर के झुकने की बजाय इन फैसलों से मजदूर वर्ग के भीतर सत्ताधारी वर्ग के कॉरपोरेट-परस्त, नव-उदारवादी, फासीवादी एजेंडा के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प और पक्का होता है. ु