ऐक्टू के बैनर तले चेन्नई में मजदूर अधिकार रैली - पलानिसामी सरकार के इस्तीफे की मांग की

31 जनवरी 2018 को चेन्नई में ऐक्टू द्वारा आयोजित रैली में हजारों मजदूरों ने लाल झंडों, बैनरों और प्लेकार्डस् के साथ शिरकत की. रैली में ‘फ्री प्रिकॉल 2’ अभियान के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की गई. रैली में सरकार से बसों के किराए में भारी वृद्धि को वापस लेने की मांग की गई, बस किरायों में यह वृद्धि सरकार के नव-उदारवादी कम-खर्ची उपायों का ही हिस्सा हैं, और इसके साथ-साथ यह कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य परिवहन मजदूरों के सफल संघर्ष की सज़ा है जिसमें राज्य की जनता ने भी हड़ताल का समर्थन किया था. रैली में मांग की गई कि सरकार जन वितरण प्रणाली को कमजोर करने के प्रयासों पर रोक लगाए.

रैली ने 8 घंटे के कार्य दिवस, 5 दिन के कार्य सप्ताह और वीडीए के साथ कम से कम 21000 रुपये महीने तक के वेतन के साथ लाखों स्थाई, सुरक्षित और सम्मानजनक रोजगारों की मांग की. रैली में तत्काल उन नियमों (आदर्श स्थाई आदेशों) को बनाने की मांग की गई जो औद्योगिक रोजगार स्थाई आदेश कानून में तमिलनाडु संशोधनों के अनुरूप हैं और जो लाखों अस्थाई मजदूरों के हितों को सुरक्षित करते हैं. रैली में ठेका मजदूरों को समान काम के लिए समान वेतन की मांग की गई, रैली ने गुप्त मतदान के जरिए बहुसंख्या की ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने के लिए कानून बनाने की मांग भी की. रैली में मेहनतकश-पीड़ित किसानों के हितों की रक्षा की मांग भी उठाई गई.

रैली में कॉरपोरेट-परस्त, साम्प्रदायिक, जातिवादी मोदी सरकार की जमकर आलोचना की गई और इसमें जन-विरोधी तानाशाह पलानीसामी सरकार के इस्तीफे की मांग की गई जिसने तमिलनाडु की जनता के भाषा, जल अधिकारों, संस्कृति, खाद्य सुरक्षा और राज्य के अधिकारों से संबंधित हितों को बेच दिया है.

रैली का मुख्य दस्ता तमिलनाडु सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन  के ढुलाई मजदूर थे जो तिरुनेलवेली, तूतीकोरिन, नामक्कल, कडलूर, विल्लुपुरम, तेनी, धरमपुरी, सलेम, डिंडीगल, और अन्य जिलों से आाए थे. रैली के दूसरे प्रमुख दस्ते में वो कुछ सौ मजदरू थे जो एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनी सनमिना एससीआई से आए थे जिन्होंने 21.11.2017 से 25.01.2018 तक एक सफल हड़ताल का समापन किया जिसमें 22.01.2018 से 25.02.2018 तक चलने वाली एक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी शामिल थी.

रैली में को-ऑप्टेक्स, तमिलनाडु इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, वाटर सप्लाई बोर्ड, चेन्नई कॉरपोरेशन  के कन्सरवेंसी मजदूर, एक बीमा कम्पनी, प्रिकॉल, एलजीबी रोलौन, हयुन्देई, टेनेको, एशियन पेंटस्, डायमंड इंजिनियरिंग, केकेआर (जो डेल्फी टीवीएस की एक सब्सिडेयरी है) ट्रीस्टार, मुरुगप्पा ग्रुप, ओएलजी (भेल), बेस्ट एंड क्रॉम्पटन, डनलप, फोरमिक्स, क्रेन ग्लोबल, पॉपुलर कारबोनिक, अस्पतालों, जिमखाना क्लब, मद्रास क्लब, सौंदर्य डेकोरेटर्स, साईमिर्रा, जय इंजीनियरिंग, जम्बो बैग, अनियन बास्केट मेकर्स, बीड़ी, निर्माण, पॉवरलूम, सर्फेस ट्रांसपोर्ट (कंटेनर लॉरी), जूलोजिकल पार्क, रिहाइशी इलाकों में रहने वालों से लेकर अन्य विभागों और क्षेत्रों से मजदूर पहुंचे थे.

तिरुवेल्लोर, कडलूर, और नगाई के ग्रामीण मजदूरों ने शामिल होकर इस रैली की विविधता को एक नया आयाम दे दिया. आइरला के राज्य अघ्यक्ष बालासुंदरम ने रैली का उद्घाटन किया. ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष ए.एस. कुमार ने रैली के लिए सभी ज़रूरी इंतजाम किए थे. रैली में अन्य नेता संकरपांडियन, कुमारासामी और भुवना भी मौजूद थे.
इंकलाबी नौजवान सभा ने रैली में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और रैली की एक बड़ी संख्या 40 साल से कम उम्र नौजवानों की थी.

रैली की तैयारियों का सारा काम दिसम्बर महीने में आयोजित ऐक्टू के राज्य सम्मेलन की तैयारियों और जेल में बंद प्रिकॉल मजदूरों के लिए चलाए गए हस्ताक्षर अभियान के बीच चला, इस हस्ताक्षर अभियान में एक लाख हस्ताक्षर इकठ्ठे किए गए.  

ऐक्टू के रैली के बाद, नौजवान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें भारती, जयप्रकाश नारायण, पलानिवेल, ए गोविंदराज (जो प्रतिनिधिमंडल में एकमात्र बुर्जुग कामरेड थे), ऐक्टू के सारे राज्य सचिव और इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य अध्यक्ष राजागुरु, श्रम मंत्री से मिलने गए. इस बीच सभा का संचलान श्रमिक सॉलिडैरिटी (तमिल) के संपादक, रमेश ने किया. रैली को आइसा की सीता, डेमोक्रेटिक एडवोकेटस् एसोसिएशन के अधियामन, इंकलाबी नौजवान सभा के टीटूमनिनाथन, ऐक्टू के एन.के. नटराजन, भाकपा-माले के वेलुमुरुगन, एलजीबी रोलौन के एक साथी मजदूर, कीरापक्कम की एक महिला निवासी ने सम्बोधित किया. ऐक्टू के राज्य उपाध्यक्ष इरानिअप्पन ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन को पढ़ा.
प्रतिनिधिमंडल ने श्रम मंत्री और श्रम विभाग के अधिकारियों से 45 मिनट तक मुलाकात की  और उन्हें अपनी मांगों के बारे में विस्तार से समझाया. श्रम मंत्री मांगों का अध्ययन करने और समझने के लिए कुछ समय चाहते थे, लेकिन उनसे एक समय सीमा की मांग की गई, जिस पर मंत्री ने उन्हें एक महीने का समय दिया. सभा ने मांगे पूरी न होने पर इससे बड़े और अधिक ताकतवर संघर्ष का आहृान किया. भविष्य के इंकलाबी संघर्षों के संकल्प के साथ रैली का समापन किया गया. 