ओडिशा में अस्थायी मजदूरों के अधिकारों के लिए प्रतिवाद

ऐक्टू और ओडिशा ग्राम्य बैंक अस्थायी मजदूर संघ ने 16 फरवरी को ओडिशा ग्रामीण बैंक मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया और मांग की कि छंटनी किए गए मजदूरों को काम पर वापस लिया जाए और गैर-कानूनी ढंग से छंटनी करने पर रोक लगाई जाए. इन प्रतिवादकारियों ने तमाम अस्थायी मजदूरों के लिए ईपीएफ, ईएसआइ और बोनस की गरांटी करने की भी मांग उठाई. इस प्रतिवाद रैली में 100 से ज्यादा अस्थायी मजदूरों ने हिस्सा लिया. रैली को ऐक्टू के ओडिशा राज्य महासचिव राधाकांत सेठी और ऐक्टू नेता बंशीधर परिदा ने संबोधित किया.

राधाकांत सेठी ने विस्तार से बताया कि मोदी राज में बैंकों की किस तरह से लूट की जा रही है. उन्होंने कहा कि एक ओर कॉरपोरेट कंपनियों को बैंकों की ओर से भारी छूट दी जा रही है, वहीं इनमें काम करने वाले अस्थायी मजदूरों की या तो छंटनी की जा रही है अथवा उन्हें मजदूरी नहीं दी जा रही है. उन्होंने मौजूदा बैंकिंग कानूनों की आलोचना करते हुए मांग की कि ग्रामीण बैंक उन तमाम छंटनीग्रस्त मजदूरों को स्थायी रोजगार दे जो पिछले 20 वर्षों से अपनी सेवा बैंकों को दे रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बैंक ऐसा नहीं करते हैं तो इन बैंकों के सामने ही बड़ा आन्दोलन शुरू कर दिया जाएगा.

बाद में एक 5-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष से मिलकर उन्हें एक मांग-पत्र भी सौंपा. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव महेंद्र परिदा, मजदूर यूनियन के महासचिव किशोर पाधी तथा हिमांशु परिदा, विश्वजीत राउल और कामदेव बेहरा कर रहे थे. अंततः बैंक अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि अब और छंटनी नहीं की जाएगी तथा वे लोग अस्थायी मजदूरों के लिए कोई नीति बनाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वे छंटनीग्रस्त मजदूरों को भी काम पर वापस लेने की ऐक्टू की मांग पर भी उचित विचार करेंगे.