नीतीश-भाजपा सरकार समान काम के लिए समान वेतन सभी संविदा-मानदेय व आउटसोर्स-प्रोत्साहन भत्ता कर्मियों के लिए अविलम्ब लागू करे

नीतीश-भाजपा सरकार समान काम के लिए समान वेतन सभी  संविदा-मानदेय व आउटसोर्स-प्रोत्साहन भत्ता कर्मियों के लिए अविलम्ब लागू करे

बिहार राज्य अनुबंध मानदेय नियोजित सेवाकर्मी संयुक्त मोर्चा (संबद्ध ऐक्टू) ने पटना हाई कोर्ट द्वारा अपने 31 अक्टूबर 2017 के फैसले में बिहार की नीतीश सरकार के सारे तर्कों को खारिज करते हुए समान काम के लिए समान वेतन के  सिद्धांत तथा सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्टूबर 2016 के निर्णय के आलोक में वर्ष 2009 से ही नियमित शिक्षकों के समान नियोजित शिक्षकों को वेतन देने और 7 वां वेतन भी देने के निर्णय का स्वागत किया है तथा इसे 2005 से जारी संघर्ष की जीत बताया है और सरकार से शिक्षकों के लिए इस फैसले को 3 महीने के तय समय के अंदर लागू करने की मांग की है. साथ ही मोर्चे नें मांग की है कि सरकार शिक्षकों के साथ-साथ बिहार के सभी संविदा-मानदेय-ठेका व आउटसोर्सिंग व प्रोत्साहन राशि पर काम करने वाले करीब 5 लाख से अधिक अन्य कर्मियो के लिए समान काम के लिए समान वेतन व सुविधा तीन महीने के अंदर में लागू करने की घोषणा करे. बिहार के सभी संविदा-मानदेय कर्मियों की यूनियनें लिखित रूप से और आंदोलनों के द्वारा मुख्यमंत्री से यह मांग कई वर्षों से करते आ रही हैं.  

मोर्चे के नेताओं ने कहा कि  संविदा-मानदेय-ठेका व आउटसोर्सिंग-प्रोत्साहन राशि कर्मियों को स्थाई करने के लिए ही नीतीश सरकार ने अशोक चैधरी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था जिसका कार्यकाल अब तक 5 बार यह सरकार बढ़ा चुकी है, लेकिन आज जब नियोजित शिक्षकों के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश निर्गत किया तो इस सरकार के आव-भाव और बयान देखते ही बन रहा है. नेताओं ने कहा कि हाई कोर्ट के इतने बड़े निर्णय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद नही बोल कर शिक्षा मंत्री से अपनी बात कहवा रहे है. नेताओं ने कहा कि नीतीश सरकार समान काम के लिए समान वेतन देने के हाई कोर्ट के फैसले को यदि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है तो यह यह निश्चित है कि उसका यह निर्णय नीतीश-भाजपा सरकार के ताबूत में आखरी कील साबित होगा .

मोर्चे के नेताओं ने भाजपा नेताओं से पूछा की जब वे विपक्ष में थे तो हमेशा संविदा कर्मियों को स्थाई करने के लिए नीतीश सरकार से लड़ने की बात कहते थे. अब हाई कोर्ट के निर्णय के बाद क्या भाजपा नेताओं और उनकी सरकार को लकवा मार गया या सांप सूंघ गया है जो वे इतने बड़े निर्णय पर चुप्पी साधे हुए है? नेताओं ने भाजपा नेता व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी से दल की दुविधा से बाहर निकल कर सरकार के मंत्री की हैसियत से हाईकोर्ट  के निर्णय को तुरंत लागू करने अथवा इस्तीफा देने की मांग की है.

नेताओं ने बिहार राज्य अनुबंध मानदेय नियोजित सेवाकर्मी संयुक्त मोर्चा की ओर से नीतीश-भाजपा सरकार से हाई कोर्ट व पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा समान काम के लिए समान वेतन देने के निर्णय को शिक्षकों सहित सभी बिहार के सभी संविदा-मानदेय-ठेका-ओउट्सोर्स व प्रोत्साहन भत्ता कर्मियों के लिए समान काम के लिए समान वेतन की नीति लागू करने की पुरजोर मांग की. 

रणविजय कुमार