कुबेर दत्त स्मृति व्याख्यान संपन्न ‘दिमागी बुखार, बच्चों की मौत और विफल स्वास्थ्य तंत्र’

 कुबेर दत्त स्मृति व्याख्यान संपन्न

दिमागी बुखार, बच्चों की मौत और विफल स्वास्थ्य तंत्र’

 ‘बीआरडी मेडिकल कालेज, गोरखपुर में आक्सीजन संकट के दौरान चार दिन में 53 बच्चों की मौत ने पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता को बेपरदा कर दिया. मौतों का सिलसिला उसके बाद भी जारी है. पूरे देश में जन-स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है, उसे इसके आईने में देखा जा सकता है. कुल मिलाकर बहुत भयावह परिदृश्य है. सिर्फ बीआरडी मेडिकल कालेज में वर्ष 1978 से इस वर्ष तक 9907 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस आंकड़े में जिला अस्पतालों, सीएचसी-पीएचसी और प्राइवेट अस्पतालों में हुई मौतें शामिल नहीं हैं. इंसेफेलाइटिस से मौतों के आंकड़े आईसबर्ग की तरह हैं. अब तो इस बीमारी का प्रसार देश के 21 राज्यों के 171 जिलों में हो चुका है। खासकर, देश के 60 जिले और उत्तर प्रदेश के 20 जिले इससे बुरी तरह प्रभावित हैं.’

7 अक्टूबर 2017 को राजेंद्र भवन, दिल्ली में छठा कुबेर दत्त स्मृति व्याख्यान देते हुए चर्चित पत्रकार और जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह ने यह कहा. कवि-चित्रकार और टीवी के मशहूर प्रोडयूसर कुबेर दत्त की स्मृति में हर साल एक व्याख्यान आयोजित होता है। इस बार व्याख्यान का विषय ‘दिमागी बुखार, बच्चों की मौत और विफल स्वास्थ्य तंत्र’ था.

मनोज कुमार सिंह ने कहा कि 40 वर्ष पुरानी बीमारी को अब भी अफसर, नेता और मीडिया रहस्यमय या ‘नवकी’ बीमारी बताने की कोशिश कर रहे हैं. यह दरअसल एक बड़़ा झूठ है. जिन डॉक्टरों ने इसके निदान की कोशिश की, उन्हें अफसरों द्वारा अपमानित होना पड़ा. बाल रोग विशेषज्ञ डा. केपी कुशवाहा का स्पष्ट तौर पर मानना है कि यह बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस है.

चीन, इंडोनेशिया में टीकाकरण व सुअर बाड़ों के बेहतर प्रबन्धन से जापानी इंसेफेलाइटिस पर काबू कर लिया गया, लेकिन भारत में हर वर्ष सैकड़ों बच्चों की मौत के बाद भी सरकार ने न तो टीकाकरण का निर्णय लिया और न ही इसकी रोकथाम के लिए जरूरी उपाय किए. जब उत्तर प्रदेश में वर्ष 2005 में 1500 से अधिक मौतें हुईं, तो पहली बार इस बीमारी को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर हाय-तौबा मची. टीकाकरण में लापरवाही है, शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है, पानी का पूरा एक कारोबार विकसित हो गया है, शौचालय निर्माण के दावे निरर्थक हैं, जबकि ये चीजें इस रोग की रोकथाम के लिए बेहद जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि जापान से बुलेट ट्रेन लाने से ज्यादा जरूरी यह था कि उसकी तरह हम इस बीमारी पर रोक लगा पाते. उन्होंने बताया कि एक दशक से चीन में बना टीका ही देश के लाखों बच्चों को जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी घातक बीमारी से बचा रहा है.

व्याख्यान के बाद गीतेश, सौरभ, आशीष मिश्र, नूतन, अखिल रंजन, इरफान और विवेक भारद्वाज के सवालों का जवाब देते हुए मनोज कुमार सिंह ने कहा कि रिसर्च के मामले में सरकारी या प्राइवेट स्तर पर सन्नाटे की स्थिति है, क्योंकि इस बीमारी पर रिसर्च को लेकर किसी की ओर से कोई फंडिंग नहीं है. जब भाजपा विपक्ष में थी, तो योगी ने इस बीमारी को लेकर मौन जुलूस निकाला था, लेकिन नेशनल हाइ-वे पर 9 गायें कट जाने के बाद जिस तरह तीन दिन तक उन्होंने ‘बंद’ करवाया था, वैसा बंद उन्होंने इंसेफेलाइटिस के लिए कभी नहीं करवाया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्राी की रुचि तो केरल में जाकर वहां की स्वास्थ्य सेवा पर टीका-टिप्पणी करने में ज्यादा है, जहां बच्चों की इस तरह की मौतें बहुत ही कम होती हैं.

मनोज ने बताया कि साहित्य में भी मदन मोहन के उपन्यास ‘जहां एक जंगल था’ और एक-दो कविताओं के अतिरिक्त इंसेफेलाइटिस की बीमारी का कोई प्रगटीकरण नहीं है.

संचालन करते हुए सुधीर सुमन ने इंसेफेलाइटिस से हुई बच्चों की मौतों में सरकार और स्वास्थ्य तंत्र की विफलताओं को ढंकने की कोशिश के विरुद्ध एक जनपक्षीय पत्रकार के बतौर मनोज कुमार सिंह के संघर्ष का भी जिक्र किया. यह वैकल्पिक मीडिया में लगे लोगों के लिए अनुकरणीय है.

सवाल-जवाब के सत्र से पूर्व, चर्चित चित्रकार अशोक भौमिक ने मनोज कुमार सिंह को स्मृति-चिह्न के बतौर कुबेर दत्त द्वारा बनाई गई पेंटिंग दी. जन संस्कृति मंच के कला समूह द्वारा पेंटिंग प्रदर्शनी लगाए जाने तथा उससे होने वाली आय के जरिए इंसेफेलाइटिस के निदान के लिए चलने वाले प्रयासों में मदद देने की घोषणा भी की गई.

व्याख्यान से पूर्व जसम, दिल्ली के संयोजक रामनरेश राम ने लोगों का स्वागत किया. उसके बाद प्रसिद्ध चित्रकार हरिपाल त्यागी ने कुबेर दत्त की कविताओं के नए संग्रह ‘बचा हुआ नमक लेकर’ का लोकार्पण किया. कवि-वैज्ञानिक लाल्टू द्वारा लिखी गई इस संग्रह की भूमिका का पाठ श्याम सुशील ने किया. सुधीर सुमन ने कहा कि इस कविता संग्रह में कुबेर दत्त की कविताओं के सारे रंग और अंदाज मौजूद हैं. उन्होंने कवि के इस संग्रह और अन्य संग्रहों में मौजूद बच्चों से संबंधित कविताओं का पाठ किया. आयोजन के आरंभ में मशहूर फिल्म निर्देशक कुंदन शाह और उचित इलाज के अभाव में मारे गए बच्चों को एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई.

इस मौके पर वरिष्ठ कवि राम कुमार कृषक, रमेश आजाद, मदन कश्यप, शोभा सिंह, वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा, जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार, समकालीन जनमत के प्रधान संपादक रामजी राय, दूरदर्शन आर्काइव्स के पूर्व निदेशक कमलिनी दत्त, कहानीकार महेश दर्पण, योगेन्द्र आहूजा, पत्रकार दिनेश श्रीनेत, कौशल किशोर, पंकज श्रीवास्तव, अभिषेक श्रीवास्तव, अशोक चैधरी, भाषा सिंह, मुकुल सरल, सुशील यति, गार्गी प्रकाशन के दिगंबर, रंगकर्मी जहूर आलम, कपिल शर्मा, आलोचक प्रणय कृष्ण, आशुतोष कुमार, राधिका मेनन, डॉ. एसपी सिन्हा, आदि मौजूद थे.