अंतर्राष्ट्रीय निर्माण मजदूर संगठन, ‘यूआईटीबीबी’ की 11वीं एशिया-पेसिफिक बैठक

डब्लूएफटीयू से संबद्ध यूआईटीबीबी (ट्रेड यूनियन इंटरनेशनल ऑफ वर्कर्स इन द बिल्डिंग, वुड, बिल्डिंग मैटिरियल्स एंड एलाइड इंडस्ट्रीज्) की 11वीं एशिया-पेसिफिक (प्रशांत) क्षेत्रीय कार्यकारी बैठक का आयोजन काठमांडू में 6-7 अप्रैल 2018 को हुआ. बैठक का आयोजन व मेजबानी नेपाल इंजीनियरिंग प्रोफेशनल्स् एसोसिएशन (नेपा) ने की.

बैठक और इससे पूर्व 5 अप्रैल को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में भारत, नेपाल, साइप्रस, इंडोनेशिया और जापान के 22 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में यूआईटीबीबी के प्रतिनिधियों के अलावा नेपाल के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लगभग 250 विशेषज्ञों, राजनीतिक अर्थशास्त्रियों, प्रोफेसरों और अनुसंधानकर्ताओं ने हिस्सेदारी की.

ऐक्टू से संबंद्ध ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन (एआईसीडब्लूएफ) की ओर से अध्यक्ष एस. बालासुब्रामण्यन और महासचिव एस.के. शर्मा ने भाग लिया. यूआईटीबीबी के महासचिव मिशेलिस पपानिकोलाउ ने प्रस्तावना दस्तावेज़ पेश किया.

एस. बालासुब्रामण्यन और एस.के. शर्मा ने एआईसीडब्लूएफ की ओर से भारत में महिलाओं समेत निर्माण मजदूरों के बेरोज़गारी, रोजगार की कमी, और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की बुरी हालत जैसे मुद्दों को सामने रखा. उन्होंने भारत की दक्षिणपंथी फासीवादी भाजपा सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों की तरफ भी अन्य प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया. (देखें बाॅक्स)  

कार्यकारी बैठक के समापन वाले दिन प्रतिभागी देशों के सदस्यों की सहमति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए. महत्वपूर्ण प्रस्ताव निम्नांकित हैं.

  • क्षेत्र में सैन्य संघर्ष का असली कारण अंतर्साम्राज्यवादी द्वंद्व के चलते है जो पूंजीवादी व्यवस्था की प्रकृति से ही पैदा होते हैं, जिसमें उनका मुख्य लक्ष्य एकाधिकार कंपनियों के लाभ को बढ़ाना होता है.
  • प्रतिभागियों ने एशिया-पेसिफिक इलाके में साम्राज्यवादी हस्तक्षेप के शिकार, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों, की मौत पर अफसोस जाहिर किया और प्रतिभागियों को यह ग्रहित करने का आहृान किया कि समय के साथ-साथ साम्राज्यवाद और ज्यादा आक्रामक होता जाता है. उन्हें किसी भी हाल में चुपचाप नहीं बैठना चाहिए; बल्कि, संगठित संघर्षों के जरिए उन्हें उन राजनीतिक ताकतों को चुनौती देनी चाहिए जो अभिजात वर्ग के हितों की पैरवी करती हैं. उन्हें युद्ध के उन भयावह परिणामों को नहीं भूलाना चाहिए, जिनकी कीमत अंततः मजदूरों को चुकानी पड़ती है.
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  • प्रतिभागियों ने निर्माण उद्योग में कार्यरत महिला कामगारों के प्रति एकजुटता जाहिर की और महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार के लिंग-भेदभाव के प्रति अपना विरोध जाहिर किया. उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा, पुरुषों के समान वेतन, इस क्षेत्र में ज्यादा महिलाओं को शामिल करने की संभावनाओं पर सक्रिय कार्यवाही, कार्यस्थल पर ज्यादा सहायता के लिए कदम उठाने के यूआईटीबीबी के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दोहराया.
  • जहां तक प्रवासी मजदूरों का संबंध है, यूआईटीबीबी अपने दृष्टिकोण को दोहराता है कि मजदूर वर्ग एक है - अविभाज्य है, चाहे वो किसी भी रंग, धर्म, भाषा या जन्मस्थान से हो - और इसी के साथ प्रवासी मजदूरों के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करता है. इसी के साथ यह बैठक यूआईटीबीबी के संागठनिक सदस्यों से प्रवासी मजदूरों के मूल देशों के संगठनों के और करीब रह कर काम करने का आहृान करती है, ताकि मजदूरों की हिफाजत की जा सके और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित किया जा सके. इस मुद्दे को और ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए, क्योंकि 2020 में टोकेयो ओलंपिक गेम्स और 2022 में कतर वल्र्ड कप के खेल आयोजनों में निर्माण क्षेत्र में भारी तेजी होगी.
  • खासतौर पर स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दे पर, प्रतिभागियों ने इस बात पर जोर दिया कि मजदूरों की जिंदगी को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुनाफे को बढ़ाने की भेंट नहीं चढ़ाया जा सकता. प्रतिभागियों ने सभी निर्माण स्थलों पर एस्बेस्टस पर प्रतिबंध की मांग की, क्योकि यह स्वास्थ्य और सेहत से जुड़ा बड़ा मुद्दा है, क्योंकि एस्बेस्टस के साथ काम करने पर एस्बेस्टोसिस और मेसोथेलिओमा जैसी बीमारियां होती हैं. बैठक की एक आधारभूत मांग है कि स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित कदमों को निर्माण की कुल कीमत में जोड़ा जाना चाहिए और हम सबको इस लक्ष्य के लिए काम करना चाहिए.
  • यूआईटीबीबी भारत सरकार की साम्प्रदायिकता और तानाशाही आदि की नीतियों पर चलने की हर कोशिश का कड़ा विरोध करती है.
  • यूआईटीबीबी, दिसंबर 2017 में नेपाल के चुनावों में मिली जीत के बाद दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों द्वारा एकीकरण के प्रयासों के लिए उन्हें बधाई देती है. प्रतिभागियों ने नेपाल की जनता और मजदूर वर्ग के प्रति अपनी अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता जाहिर की और बदलते राजनीतिक समीकरणों में समृद्धि और शांति के उनके प्रयासों की सराहना की.
  • अंततः, यूआईटीबीबी इस इलाके के सांगठनिक सदस्यों द्वारा डब्लूएफटीयू को आगे बढ़ाने और इसके 2016-2020 के एक्शन प्लान को लागू करने में सक्रिय मदद देने की प्रतिबद्धता जाहिर करता है. इसी संदर्भ में प्रतिभागियों ने यूआईटीबीबी के सभी सांगठनिक सदस्यों से शरणार्थियों और अप्रवासी मजदूरों के लिये, सामाजिक सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए डब्लूएफटीयू के अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस- 3 अक्टूबर- को समुचित तरीके से मनाने का आहृान किया. अंतिम लक्ष्य मजदूर वर्ग की एकता है, और इस इलाके में वर्ग-अधारित एकजुटता एवं ट्रेड यूनियन दिशा को मजबूत करना है.

एआईसीडब्लूएफ के महासचिव एस.के. शर्मा का वक्तव्य

ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन (एआईसीडब्लूएफ) और ऐक्टू की ओर से मैं नेपाल में वामपंथ की शानदार विजय और वामपंथी शक्तियों के एकीकरण के लिए नेपाल की जनता और खासकर मजदूरों का क्रांतिकारी अभिवादन करता हूं. हम नेपाल की समृद्धि के साथ समाजवाद की दिशा में आगे बढ़ने की कामना करते हैं.

आज वित्तीय पूंजी के संकट के दौर में पूरे विश्व में फासीवाद का खतरा बढ़ रहा है. भारत में कॉरपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवाद का हमला मजदूर वर्ग और देश के आम आवाम पर तेजी से बढ़ रहा है. पिछले दिनों अनेक निर्माण मजदूर इन हमलों के शिकार हुए हैं. वर्तमान मोदी सरकार के मजदूरों पर हमलों के खिलाफ भारत का मजदूर वर्ग एकताबद्ध लड़ाई तेज कर रहा है. 9-10-11 नवम्बर 2017 को लाखों मजदूर दिल्ली में संसद के समक्ष महापड़ाव में शामिल हुए, जिसमे बड़ी संख्या में निर्माण मजदूर भी थे. पिछले हफ्ते सीपीआई-एमएल का 10वां महाधिवेशन ‘‘फासीवाद को हराओ - जनता का भारत बनाओ’’ के आहृान के साथ सम्पन्न हुआ. भारत का निर्माण मजदूर फासीवादी हमलों से जूझ रहा है. यूआईटीबीबी की इस बैठक को पूरे विश्व में फासीवादी हमलों से सचेत करते हुए भारत के निर्माण मजदूरों का फासीवाद के खिलाफ एकताबद्ध संघर्ष तेज करने के आहृान का प्रस्ताव पारित करना चाहिए.

भारत में मोदी शासन काल में निर्माण मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा, रोजगार सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा आदि संकट में हैं. सरकार उनके सामाजिक सुरक्षा के लिए जमा कोष की राशि का दुरूपयोग कर रही है. निर्माण मजदूरों का संघर्ष जारी है. इन्हें यूआईटीबीबी का समर्थन चाहिए.

महिला मजदूर दोहरे शोषण की शिकार हैं. प्रवासी मजदूर भी अमानुषिक शोषण का शिकार हो रहे हैं.

महिला और प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, सम्मान व बेहतर जिंदगी के लिए संघर्ष तेज करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानून का प्रयास जारी रखने की जरुरत है.

निर्माण मजदूरों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एस्बेस्टस पर प्रतिबंध, कार्य स्थल पर सुरक्षा उपकरण, रहने लायक आवास स्थल, स्वच्छ पेयजल एवं नियमित स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था की मांगों को हासिल करने की लड़ाई लड़नी होगी.

‘‘मानव द्वारा मानव का शोषण’’ के खिलाफ लड़ाई में भारत का निर्माण मजदूर दुनिया के मजदूरों के साथ शामिल है. 5 मई 2018 को कार्ल मार्क्स की जन्म द्विशताब्दी है. यह दिन पूरी दुनिया में मनाते हुए हम संकल्प ले .... ‘हम लड़ेंगे - पूंजीवाद और फासीवाद को शिकस्त देंगे - हम अवश्य जीतेंगे.’