डा. अशोक मित्रा

डा. अशोक मित्र का 1 मई 2018 को कोलकाता के एक नर्सिंग होम में निधन हो गया. 10 अप्रैल को वे 90 वर्ष के हो चुके थे और जीवन के अंतिम समय तक लेखक और संपादक के बतौर वे सक्रिय रहे थे. शैक्षिक रूप से वे एक अर्थशास्त्री थे और अपनी जिंदगी के उथल-पुथल भरे पूरे सफर में वे प्रतिबद्ध मार्क्सवादी बने रहे. उन्होंने केंद्र सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार के बतौर अपना योगदान दिया और वे पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार के शुरुआती दौर में वित्त मंत्री भी रहे. लेकिन एक महान और उर्वर लेखक के रूप में भी उन्हें स्नेहपूर्वक याद रखा जाएगा. एक बड़ा पाठक वर्ग था जो उनके नियमित स्तंभों - खासकर, इकाॅनोमिक एंड पाॅलिटिकल वीकली में ‘कलकत्ता डायरी’ और कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक द टेलिग्राफ में ‘कटिंग कार्नर्स’ - को रुचि के साथ पढ़ता था और तारीफ करता था. उनके विश्लेषणात्मक और आत्मकथात्मक लेख भी काफी प्रशंसित होते थे. माकपा और वाम मोर्चा सरकार से अलग होने के बाद भी वे मार्क्सवादी आलोचक के बतौर दृढ़ बने रहे और उन्होंने बुर्जुआ विपक्ष के प्रति कभी कोई नरमी या सहानुभूति नहीं दिखाई. सिंगूर में उपजाऊ जमीन के जबरन अधिग्रहण के विरोध में उनकी मजबूत आवाज उन्हें माकपा-समर्थक मार्क्सवादी अर्थशास्त्रियों की जमात से अलग करती थी, क्योंकि यह जमात पश्चिम बंगाल में नव-उदारवादी आर्थिक ढांचे के प्रति माकपा के आत्मसमर्पण की आलोचना करने का कभी साहस नहीं जुटा सकी. हम इस महान मार्क्सवादी बुद्धिजीवी को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.