उत्तराखंड में आशा कर्मियों का विभिन्न ब्लाॅकों में प्रदर्शन

उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स  यूनियन (संबद्ध-ऐक्टू) द्वारा अपनी मांगों के लिये अगस्त माह में राज्य के विभिन्न ब्लॉकों में प्रदर्शन किया गया और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया. यूनियन नेताओं ने कहा कि, आशाओं को मातृ, शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए भर्ती किया गया था. सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि आशाओं के आने के बाद सभी क्षेत्रों में मातृ शिशु मृत्यु दर में भारी कमी आयी है और जच्चा बच्चा स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ है परंतु आशाएं अब भी न्यूनतम मासिक वेतन से वंचित हैं. निरंतर कार्य कर रही आशाओं को राज्य सरकार द्वारा 2000 रुपये मासिक मानदेय देने का वायदा किया गया था, परन्तु इस वायदे को पूरा नहीं किया जा रहा है. आशाओं के प्रति ऐसा व्यवहार कब तक चलेगा राज्य सरकार स्पष्ट करे.

यूनियन द्वारा स्वास्थ्य कार्ड सर्वे की विसंगतियों को उठाते हुए कहा गया कि, आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड सर्वे के लिए आशाओं को फील्ड वर्क के क्षेत्र तो बांट दिए गए हैं परन्तु न तो इस हेतु कोई दैनिक पारिश्रमिक, न ही दैनिक भत्ता देने का प्रावधान किया जा रहा है जो कि सरासर अन्याय है. इसके अलावा जो फॉर्म दिए गए हैं, उनको अंग्रेजी भाषा में भरने का निर्देश दिया जा रहा है जो कि कम शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बहुत सी आशाओं के लिए संभव नहीं है. साथ ही फॉर्म में सम्बंधित व्यक्ति का आधार नंबर भी दर्ज किया जाना है, आजकल आधार नंबर के बैंक खातों से जुड़ जाने के कारण काफी लोगों के आधार नंबर देने में आनाकानी करने से आशाओं को अपने कार्यक्षेत्र में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आशाओं ने पिछली बार भी मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कार्ड के फॉर्म भरे थे तब भी आशाओं को कोई भी पारिश्रमिक नहीं दिया गया था. साथ ही सभी फॉर्म भरे व्यक्तियों के कार्ड न बनने से अपने कार्यक्षेत्र में आशाओं को ही खरीखोटी सुननी पड़ी थी, इस बार ऐसा न होने पाए यह सुनिश्चित किया जाय.

प्रदर्शनों के माध्यम से मांग की गई - राज्य सरकार द्वारा पूर्व घोषित 2000 रूपये मासिक मानदेय की हर माह आशाओं के खाते में डालने की गारंटी की जाय; वार्षिक प्रोत्साहन राशि का बकाया भुगतान व इस वर्ष का भुगतान तत्काल किया जाय; आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड सर्वे के लिए आशाओं को दैनिक पारिश्रमिक व फील्ड कर्मचारियों को मिलने वाले दैनिक भत्ता देने का प्रावधान किया जाय. साथ ही आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड सर्वे हेतु सरकार की ओर से पत्र जारी किया जाय जिसमें यह दर्ज हो कि, आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड सर्वे स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी योजना के तहत चलाया जा रहा है और इसमें फॉर्म भरने वाले व्यक्ति का आधार अनिवार्य है अतः इस कार्य में लगी आशा को आधार कार्ड की छाया प्रति दे दी जाय. इस पत्र को मुख्यमंत्री अपने हस्ताक्षर से जारी करे और इसकी प्रति फील्ड वर्क में जाने वाली सभी आशाओं को दी जाय, और फॉर्म को अंग्रेजी में भरने की अनिवार्यता ख़त्म की जाय; आशाओं को दी जाने वाली सभी प्रकार की ट्रेनिंग स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही दी जाय. ट्रेनिंग हेतु दो वर्ष पूर्व 200 रुपये का दैनिक भुगतान किया जाता था परंतु महंगाई दिनों दिन बढ़ने के बावजूद इसे घटाकर 150 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है, अतः दैनिक भुगतान घटाने के स्थान पर बढ़ाया जाए. साथ ही ट्रेनिंग में नाश्ता/खाना देने के स्थान पर आशाओं को उसका नकद भुगतान किया जाय; किसी भी ट्रेनिंग से पूर्व आशाओं को इसकी सूचना समेत पूरी जानकारी दी जाय और सूचना की प्रति यूनियन को भी दी जाय.

उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने चेतावनी दी कि मांगों पर तत्काल कार्यवाही कर मांगों का निस्तारण न होने की स्थिति में यूनियन आंदोलन को और तेज़ करेगी. ु