बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ ने 16 अगस्त को दर्जनों प्राइमरी हेल्थ केंद्रों पर पुतला दहन किया

बिहार में आशाओं के सम्मान और पहचान को लेकर बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (संबद्ध ऐक्टू) के तहत कई लड़ाइयां लड़ी गयी हैं. आशा विश्राम गृह के मामले में जीत भी मिली है. डॉक्टरों के जरिये नौकर जैसा व्यवहार होता था उसपर रोक लगी है. अभी हाल ही में रोहतास ज़िला के तिलौथू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने 10 अगस्त की रात्रि ड्यूटी पर आई आशा के साथ शराब पी कर दुर्व्यवहार किया था. शिकायत करने पर वह फिर आशाओं के साथ बदतमीजी करने लगा. इसके खिलाफ आशाओं ने कार्य के बहिष्कार के साथ काम ठप कर दिया और धरने पर बैठ गईं. तुरन्त भाकपा-माले के कार्यकर्ता भी समर्थन में माइक ले कर आ गए, तब जाकर सिविल सर्जन ने हस्तक्षेप किया और डॉक्टर ने आशाओं से माफ़ी मांगी. इस तरह के आंदोलन चलते रहते हैं और इस प्रक्रिया में संघ जीवंत संगठन के बतौर स्थापित हुआ है.

बिहार में किसी तरह का कोई मासिक मानदेय आशा को नहीं मिलता है. प्रसव और टीकाकरण की अनियमित राशि के सहारे आशा काम करती हैं और काम 24 घण्टे-सातों दिन का है. बिहार में 2015 में बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) के नेतृत्व में तमाम संविदा कर्मियों, मानदेय, प्रोत्साहन कर्मियों के तीखे आन्दोलन के फलस्वरूप सरकार ने अशोक चौधरी कमेटी का गठन किया. इस कमेटी को बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ ने भी अपना आवेदन सौंपा था और बाद में प्रतिनिधिमंडल ने मिल कर अपनी पूरी मांगों से उसे अवगत भी कराया था. इस कमेटी ने 12 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त को कमेटी की तमाम अनुसंशाओं को मानने की घोषणा की, लेकिन इसमें आशाओं को वालंटियर (स्वयंसेवक) बता कर मासिक मानदेय की बात नहीं की गई. इन्हें ये सुविधाएं दी गई हैं - इनकी सेवा 60 साल कर दी गयी हैं, इन्हें सरकारी छुट्टी, मातृत्व लाभ, हटाने पर अपीलीय अधिकार दिया गया है. लेकिन इन्हें वालिंटियर बताना बड़ी साजिश है. उनकी नियुक्ति पंचायत करती है और सेवा ज़िला स्वास्थ्य समिति लेती है. सबसे बड़ा वालंटियर तो विधायक-सांसद है, लेकिन इनका वेतन-पेंशन तो बढ़ता ही जाता है और जनता के स्वास्थ्य सेवा में लगे कार्यकर्ता को मासिक मजदूरी भी नहीं - ये प्रश्न आशाओं को केंद्र और राज्यों के खिलाफ लामबंद कर रहा है. इसी सवाल को केंद कर बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ द्वारा 16 अगस्त को काम के नए जिले कटिहार समेत दर्जनों प्राइमरी हेल्थ केंद्रों पर पुतला दहन किया गया. बिहार में चल रहे बलिकागृह कांड आंदोलन और बिहिंयां कांड के खिलाफ भी 5 प्राइमरी हेल्थ केंद्रों पर पुतला दहन किया गया. मासिक मानदेय को लेकर आशाओं में व्यापक आक्रोश है और वे अनिश्चितकालीन हड़ताल के मूड में हैं.           

 -शशि यादव