बिहार में विद्यालय रसोइया संघ ने 5-9 अक्टूबर 2018 तक राज्यव्यापी हड़ताल का आहृान किया

विद्यालय रसोइया अपने मानदेय को बढ़ाने के लिए, सरकारी कर्मचारी घोषित करने, जब तक सरकारी कर्मचारी नहीं हो जातीं, मानदेय 18,000 रुपये करने के सवाल पर लगातार आन्दोलन कर रहे हैं. 2015 में लम्बे आन्दोलन के बाद बिहार में अशोक चौधरी की अगवाई में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया जिसे तमाम संविदा कर्मियों व मानदेय कर्मियों की स्थिति पर रिपोर्ट सरकार को देनी थी.

इस कमेटी को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन चार साल बाद 7 अगस्त को रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई और उन्होंने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह में इसे जारी किया. बड़े आश्चर्य की बात है कि 316 पेज की इस रिपोर्ट में विद्यालय रसोइयों के बारे में एक शब्द भी जिक्र नहीं है. जबकि तमाम मानदेय कर्मियों के बारे में कुछ न कुछ अवश्य कहा गया है.

विद्यालय रसोइयों को न सिर्फ राज्य सरकार ने ठगा है बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनके साथ विश्वासघात किया है. हालांकि निरंतर आंदोलनों के दबाव में केंद्र सरकार ने आशा का इंसेंटिव दोगुना और आंगनबाड़ी सेविका सहायिका का मानदेय डेढ गुना कर दिया, लेकिन रसोइयों के बारे में चुप्पी साध ली गई है जो कि समूचे स्कीम कर्मियों की एकता में दरार पैदा करने की सरकारी साजिश है. मिड-डे मील योजना जिसकी रसोइया रीढ़ हैं, के स्वरूप के बारे में सरकार की नीयत साफ नहीं है. नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने कहा था कि मिड-डे मील योजना से शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है तो केन्द्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि खाने के बदले पैसा दे दिया जाए. जबकि इस योजना से विद्यालयों में न सिर्फ बच्चों की संख्या बढ़ी अपितु विद्यालयों से बच्चों की गिरावट दर भी कम हुई है.

सरकार मिड-डे मील योजना को बांका, कटिहार, वैशाली, नालंदा, गया, शिवहर, जमुई, बेगूसराय, भागलपुर, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर के नगर पालिका इलाकों में पहले से ही स्वयंसेवक संस्थाओं को सौंप चुकी है. जहां एनजीओ के जरिए भोजन की आपूर्ति की जाती है वहां रसोइयों को महज 600 रुपये मिलते हैं. ऐक्टू से संबद्ध विद्यालय रसोइया संघ ने जब सामान्य प्रशासन विभाग में आपत्ति दर्ज करने की कोशिश की तो उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि मामला विभाग के जरिए आने पर स्वीकार किया जायेगा. शिक्षा विभाग व मिड-डे मील योजना के निदेशक को आवेदन सौंप दिया गया है.

रसोइयों के साथ हुए इस विश्वासघात के खिलाफ 14-15 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री का पुतला जलाया गया. पूर्वी चम्पारण, सिवान, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, जमुई, पटना में पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन हुआ. अब बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ द्वारा 5-9 अक्टूबर 2018 तक राज्यव्यापी पांच-दिवसीय हड़ताल का आहृान किया गया है. इस दौरान 5-6 अक्टूबर को प्रखंड, अनुमंडल, जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन आयोजित किए जायेंगे, 7 अक्टूबर को मशाल जुलूस निकाला जायेगा और 8-9 अक्टूबर को पटना में प्रदर्शन व धरना होगा. ु