भिलाई स्टील प्लांट में 9 अक्टूबर को हुए हादसे की जाँच रिपोर्ट

सेंटर आँफ स्टील वर्कर्स (संबद्ध ऐक्टू) की एक जाँच टीम ने 9 अक्टूबर, 2018 को कोक ओवन की बैटरी-11 में डी-ब्लाकिंग के दौरान हुए हादसे की जाँच की. इस हादसे में अभी तक 14 कर्मियों की मौत हो चुकी है तथा गंभीर रूप से घायल हुए 9 कर्मियों का ईलाज चल रहा है जिनमें से 3 कर्मियों की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है.

जाँच टीम ने घटना-स्थल का दौरा किया, कर्मियों से बातचीत की और मृतक व घायल कर्मियों के परिवार वालों से मुलाकात की.

जाँच टीम को बताया गया कि 1800 मिमी. डायामीटर के गैस पाइप लाइन में तय शेड्यूल के अनुसार डी-ब्लाकिंग किया जा रहा था ताकि सभी नई यूनिटों को समान रूप से गैस की सप्लाई की जा सके. कार्य के दौरान गैस पाइप लाइन में गैस प्रवाहित हो रही थी. कार्य लगभग 30 फीट ऊपर चल रहा था. नीचे स्क्रेप व काफी मात्रा में डस्ट पड़ा हुआ था. जाँब का प्लेटफार्म अपेक्षा से बहुत छोटा था और चढ़ने-उतरने के लिए मात्र एक तरफ ही सीढ़ी थी. कार्य को अंजाम देने से पहले अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच कोई ग्रुप-डिस्कशन नहीं किया गया. यू सील का उपयोग नहीं किया गया और न ही वाटर फिल्म सिस्टम को अपनाया गया. फायर फाइटिंग के लिए मौके पर तैनात हाइड्रोलिक प्लेटफार्म के केज को गैस पाइप लाइन के प्लेटफार्म से एकदम टिकाकर रखा गया था. मौके पर पहले से उपस्थित फायरमैन काम के दौरान अचानक आग लगने पर या तो झुलस कर मर चुके थे या जलने व ऊँचाई से गिरने से घायल हो चुके थे, इसलिए फायर फाइटिंग के लिए तत्काल अन्य दमकल गाड़ियों को बुलाना पड़ा जिसकी वजह से तत्काल फायर फाइटिंग में देरी हुई. फायर फाइटिंग के लिए पानी की निरंतर उपलब्धता पहले से सुनिश्चित नहीं थी. अतः देर से फायर फाइटिंग के चलते आग पर तो काबू पा लिया गया किंतु कर्मियों को जलने से बचाया नहीं जा सका. कर्मियों ने बताया कि इस दौरान स्पॉट में उपस्थित अधिकारियों का रवैया भी ठीक नहीं था.

जाँच टीम यह भी महसूस करती है कि सेल चेयरमैन द्वारा भिलाई को तीन महीने के अंदर 1600 करोड़ मुनाफे का लक्ष्य देने से भिलाई प्रबंधन द्वारा उत्पादन निरंतर जारी रखने के दबाव में कार्य के दौरान गैस के प्रवाह को बंद नहीं किया गया और सुरक्षा के अन्य तमाम मापदंडों को दरकिनार कर प्रबंधन ने मनमाने तरीके से डी-ब्लाकिंग कार्य को अंजाम दिया. यही कारण है कि भीषण अग्निकांड में 14 कर्मियों की मौत हो गई. जाँच टीम यह भी महसूस करती है कि सुरक्षा को लेकर पहले ही ग्रुप डिस्कशन किया गया होता और सुरक्षा के तमाम उपायों पर गंभीरता से विचार कर सुरक्षा मानदंडों का पालन किया गया होता तो इस दर्दनाक हादसे को टाला जा सकता था, किंतु प्रबंधन ने पिछली घटनाओं से भी कोई सबक नहीं लिया.

सरकार ने इस मामले में बीएसपी के सीईओ, जीएम सेफ्टी व डीजीएम इंचार्ज, ऊर्जा प्रबंधन विभाग को निलंबित किया है. पुलिस ने कार्यपालक निदेशक (संकार्य), पीके दास; महाप्रबंधक कोकओवन, जीएसवी सुब्रमणियम; महाप्रबंधक सुरक्षा, टी. पंड्याराजा; उपमहाप्रबंधक ऊर्जा प्रबंधन विभाग, नवीन कुमार व अन्य पर धारा 285, 304-।, व 34 के तहत अपराध दर्ज किया है.

ऐक्टू की जाँच टीम मांग करती हैः  

  • कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन कराया जाये तथा कर्मियों की शिकायतों या सुझावों को गंभीरता से लेकर तत्काल कार्यवाही की जाये.
  • दुर्घटना की उच्च स्तरीय जाँच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाये तथा दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाये.
  • सुरक्षित कार्य करने के लिए बेहतर माहौल बनाया जाये.
  • काम का दबाव कम किया जाये तथा प्रशिक्षित कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाये.
  • तमाम श्रम संघों की संयुक्त रूप से सुरक्षा कमेटी बनाई जाये और उनकी शिकायतों व सुझावों को गंभीरता से लिया जाये. ु