झारखंड में पारा शिक्षकों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में राज्यव्यापी प्रतिवाद

विगत 15 नवम्बर 2018 को झारखंड राज्य की स्थापना की अठारहवीं बरसी यानी राजकीय धूमधाम से मनाये जाने वाले ‘स्थापना दिवस’ के अवसर पर राज्य के पारा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर रांची पहुंचे थे. कारण यह था कि मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई थी, जिसने पांच राज्यों का दौरा किया था. इस दौरे के आधार पर भाजपा-शासित दूसरे आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड के पारा शिक्षकों को स्थायी कर वेतनमान देने की बात हुई थी. मुख्यमंत्री को पारा शिक्षकों की सेवा स्थाई करने व वेतनमान की घोषणा करनी थी, परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया. परन्तु सरकार ने दो कोटियों में मात्र 245 रुपये और 354 रुपये बढ़ाने की बात की है, जो कतई न्यायसंगत नहीं है. पारा शिक्षकों को सेवा स्थायी होने तथा उन्नत वेतनमान की बहुत आशा थी. उन्होंने इसका विरोध करते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांगें दुहराईं. मगर मुख्यमंत्री ने पारा शिक्षकों की मांग पर ध्यान नहीं दिया. इस हालात में पारा शिक्षकों ने फैसला लिया कि अगर मुख्यमंत्री मांग नहीं मानें तो उन्हें काला झंडा दिखाया जाएगा. इसी मकसद से करीब 5000 पारा शिक्षक कई तरह के पुलिसिया बैरिकेडों को तोड़ते हुए मुख्यमंत्री के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में पहुंच ही गये, जिसे दुर्ग की तरह अति-सुरक्षित बनाया गया था. पारा-शिक्षक मुख्यमंत्री को काला झंडा, काला कोट, जो कुछ भी काला मिला, यहां तक कि काला जूता भी, कुछ देर तक मुख्यमंत्री रघुबर दास को दिखाते रहे.

इस किस्म के शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रतिवाद पर फासिस्ट मुख्यमंत्री चिढ़ गये और उन्होंने लाठीचार्ज का आदेश प्रशासन को दे दिया. फिर क्या था, भारी तादाद में वहां तैनात पुलिस बल ने निहत्थे पारा शिक्षकों पर लाठी बरसाना शुरू कर दिया. सैकड़ों पारा शिक्षक घायल हो गए और सैकड़ों पारा शिक्षकों को गिरफ्तार कर लिया गया है. लाठीचार्ज इतना बर्बर और भयंकर था कि करीब 2 किलोमीटर तक पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर शिक्षकों को पीटा. लाठीचार्ज के दौरान समाचार संकलित कर रहे रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों की भी जमकर पिटाई की गई, कैमरा छीन लिए गए, फ़ोटो डिलीट कर दिये गये. कई पत्रकार, खासकर छायाकार गंभीर रूप से घायल हो गये, किन्हीं का हाथ टूट गया, किन्ही का माथा फट गया. इसके ऊपर सैकड़ों पारा शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन पारा शिक्षक अड़े रहे और उन्होंने कहा कि अब पारा शिक्षक केस मुकदमा और जेल जाने से भी नहीं डरेंगे. सरकार को जितना मुकदमा करना है करे, इस बार हम अपना अधिकार ले के रहेंगे. ज्ञात हो कि कुछ ही दिन पहले ऐसा ही दमन झारखंड सरकार ने आंदोलनरत मिड-डे मील कर्मियों (रसोइयों) पर ढाया था.

पारा शिक्षकों पर लाठीचार्ज का तीखा प्रतिवाद राज्यभर में हो रहा है. भाकपा-माले और ऐक्टू ने लाठी चार्ज के खिलाफ 16-17 नवम्बर को दो दिवसीय राज्यव्यापी प्रतिवाद कार्यक्रम की घोषणा की. कोडरमा संसदीय क्षेत्र में लगातार कई दिनों तक पारा शिक्षकों के समर्थन में छात्र संगठन आइसा, युवा संगठन इंनौस और महिला संगठन ऐपवा के नेतृत्व में भारी तादाद में छात्र-युवा और महिलाओं को शामिल करते हुए प्रतिवाद कार्यक्रम संगठित किए गये. 16 नवम्बर 2018 को बगोदर में किसान भवन से लेकर समूचे बाजार में प्रतिवाद मार्च निकाला गया और जीटी रोड चौराहे पर तानाशाह भाजपा मुख्यमंत्री रघुवर दास का पुतला फूंका गया. फिर 18 नवम्बर को बगोदर में धारावाहिक प्रतिवाद कार्यक्रम के दौरान एक विधानसभा स्तरीय आक्रोश रैली निकाली गई व सभा की गयी, जिसकी अध्यक्षता सुधीर प्रसाद और संचालन नरेश मंडल ने किया. रैली व सभा में सैकड़ों पारा शिक्षक शामिल थे, जिनका नेतृत्व संघ के जिला अध्यक्ष नारायण महतो कर रहे थे.

16 नवम्बर को जमुआ में मार्च की शक्ल में पूरे बाजार में भ्रमण करते हुए रघुवर सरकार के खिलाफ नारा लगाते हुए जमुआ चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. 16 नवम्बर को ही हजारीबाग जिले के चलकुसा प्रखंड में और गिरीडीह जिला के गांडेय प्रखंड में प्रतिवाद मार्च निकाला गया और पुतला दहन किया गया. 16 नवम्बर को ही गिरीडीह जिले के सरिया और बिरनी में भी प्रतिवाद मार्च निकाले गये व मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया.                                   

लाठी चार्ज के विरोध में 17 नवम्बर को महिला संगठन ऐपवा ने बगोदर में प्रतिवाद मार्च निकालकर सरकार की इस करवाई की निंदा की. 17 नवम्बर को बोकारो में तथा जमुआ के कोदम्बरी चौक पर पारा शिक्षकों पर लाठीचार्ज के खिलाफ प्रतिवाद मार्च निकालकर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. इसी दिन गिरीडीह जिले के तीसरी प्रखंड में बीआरसी भवन से तीसरी चौक तक मार्च कर चौक पर मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री का पुतला दहन किया गया. देवरी प्रखंड के चतरो बाजार में प्रतिवाद मार्च निकालकर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. धनबाद जिले के निरसा प्रखंड के पतलाबाड़ी में, पलामू जिला के पांकी व डाल्टनगंज में मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. झुमरीतिलैया में रसोइया संघ ने पारा शिक्षकों के समर्थन में 17 नवम्बर को प्रतिवाद मार्च निकाला. इसी दिन रांची में आयोजित प्रतिवाद मार्च में एआईपीएफ के नेताओं प्रेमचंद्र मुर्मू, दयामनी बारला, अलोका कुजूर, जेवियर कुजूर, बशीर अहमद, नदीम खान, युगल पाल आदि नेताओं ने लाठीचार्ज की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि जिस तरह से बिरसा मुंडा के साथ अंग्रेजी हुकूमत का बर्ताव था, उसी तरह का फासिस्ट दमन बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माला चढ़ाने वाले भाजपाई मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया. अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी लाठीचार्ज का तीव्र प्रतिवाद करते हुए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. इधर राज्य भर के पारा शिक्षक आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं, तो उनकी लड़ाई के समर्थन में पंचायत के जनप्रतिनिधि से लेकर आम जनता व ग्रामीण भी खड़े हो रहे हैं. सभी शिक्षक संगठनों ने भी पारा शिक्षकों की लड़ाई के साथ एकजुटता जाहिर की है.

18 नवम्बर को बगोदर में भी विधायक और सांसद का एक कार्यक्रम 10 बजे से था. पारा शिक्षक दस बजे से ही काला झंडा, अंडा और टमाटर लेकर इंतजार कर रहे थे, परंतु वो चार बजे तक नहीं आए. पारा शिक्षकों ने तय कर रखा है कि अब विधायक, सांसद और मंत्री सबको क्षेत्र में घुसने नहीं देंगे. जो जहां मिलेगा उसका विरोध वहीं किया जाएगा. 19 नवम्बर को पलामू में एक जनसभा में रघुबर दास ने भाषण देते हुए पारा शिक्षकों को पत्थरबाज, दूसरे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, गुंडा बताते हुए धमकाया और कहा कि उन्हें जेल भेजा जायेगा. उधर पारा शिक्षक संगठनों ने घोषझारखंड में पारा शिक्षकों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के

विरोध में राज्यव्यापी प्रतिवाद

विगत 15 नवम्बर 2018 को झारखंड राज्य की स्थापना की अठारहवीं बरसी यानी राजकीय धूमधाम से मनाये जाने वाले ‘स्थापना दिवस’ के अवसर पर राज्य के पारा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर रांची पहुंचे थे. कारण यह था कि मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई थी, जिसने पांच राज्यों का दौरा किया था. इस दौरे के आधार पर भाजपा-शासित दूसरे आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड के पारा शिक्षकों को स्थायी कर वेतनमान देने की बात हुई थी. मुख्यमंत्री को पारा शिक्षकों की सेवा स्थाई करने व वेतनमान की घोषणा करनी थी, परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया. परन्तु सरकार ने दो कोटियों में मात्र 245 रुपये और 354 रुपये बढ़ाने की बात की है, जो कतई न्यायसंगत नहीं है. पारा शिक्षकों को सेवा स्थायी होने तथा उन्नत वेतनमान की बहुत आशा थी. उन्होंने इसका विरोध करते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांगें दुहराईं. मगर मुख्यमंत्री ने पारा शिक्षकों की मांग पर ध्यान नहीं दिया. इस हालात में पारा शिक्षकों ने फैसला लिया कि अगर मुख्यमंत्री मांग नहीं मानें तो उन्हें काला झंडा दिखाया जाएगा. इसी मकसद से करीब 5000 पारा शिक्षक कई तरह के पुलिसिया बैरिकेडों को तोड़ते हुए मुख्यमंत्री के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में पहुंच ही गये, जिसे दुर्ग की तरह अति-सुरक्षित बनाया गया था. पारा-शिक्षक मुख्यमंत्री को काला झंडा, काला कोट, जो कुछ भी काला मिला, यहां तक कि काला जूता भी, कुछ देर तक मुख्यमंत्री रघुबर दास को दिखाते रहे.

इस किस्म के शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रतिवाद पर फासिस्ट मुख्यमंत्री चिढ़ गये और उन्होंने लाठीचार्ज का आदेश प्रशासन को दे दिया. फिर क्या था, भारी तादाद में वहां तैनात पुलिस बल ने निहत्थे पारा शिक्षकों पर लाठी बरसाना शुरू कर दिया. सैकड़ों पारा शिक्षक घायल हो गए और सैकड़ों पारा शिक्षकों को गिरफ्तार कर लिया गया है. लाठीचार्ज इतना बर्बर और भयंकर था कि करीब 2 किलोमीटर तक पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर शिक्षकों को पीटा. लाठीचार्ज के दौरान समाचार संकलित कर रहे रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों की भी जमकर पिटाई की गई, कैमरा छीन लिए गए, फ़ोटो डिलीट कर दिये गये. कई पत्रकार, खासकर छायाकार गंभीर रूप से घायल हो गये, किन्हीं का हाथ टूट गया, किन्ही का माथा फट गया. इसके ऊपर सैकड़ों पारा शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन पारा शिक्षक अड़े रहे और उन्होंने कहा कि अब पारा शिक्षक केस मुकदमा और जेल जाने से भी नहीं डरेंगे. सरकार को जितना मुकदमा करना है करे, इस बार हम अपना अधिकार ले के रहेंगे. ज्ञात हो कि कुछ ही दिन पहले ऐसा ही दमन झारखंड सरकार ने आंदोलनरत मिड-डे मील कर्मियों (रसोइयों) पर ढाया था.

पारा शिक्षकों पर लाठीचार्ज का तीखा प्रतिवाद राज्यभर में हो रहा है. भाकपा-माले और ऐक्टू ने लाठी चार्ज के खिलाफ 16-17 नवम्बर को दो दिवसीय राज्यव्यापी प्रतिवाद कार्यक्रम की घोषणा की. कोडरमा संसदीय क्षेत्र में लगातार कई दिनों तक पारा शिक्षकों के समर्थन में छात्र संगठन आइसा, युवा संगठन इंनौस और महिला संगठन ऐपवा के नेतृत्व में भारी तादाद में छात्र-युवा और महिलाओं को शामिल करते हुए प्रतिवाद कार्यक्रम संगठित किए गये. 16 नवम्बर 2018 को बगोदर में किसान भवन से लेकर समूचे बाजार में प्रतिवाद मार्च निकाला गया और जीटी रोड चौराहे पर तानाशाह भाजपा मुख्यमंत्री रघुवर दास का पुतला फूंका गया. फिर 18 नवम्बर को बगोदर में धारावाहिक प्रतिवाद कार्यक्रम के दौरान एक विधानसभा स्तरीय आक्रोश रैली निकाली गई व सभा की गयी, जिसकी अध्यक्षता सुधीर प्रसाद और संचालन नरेश मंडल ने किया. रैली व सभा में सैकड़ों पारा शिक्षक शामिल थे, जिनका नेतृत्व संघ के जिला अध्यक्ष नारायण महतो कर रहे थे.

16 नवम्बर को जमुआ में मार्च की शक्ल में पूरे बाजार में भ्रमण करते हुए रघुवर सरकार के खिलाफ नारा लगाते हुए जमुआ चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. 16 नवम्बर को ही हजारीबाग जिले के चलकुसा प्रखंड में और गिरीडीह जिला के गांडेय प्रखंड में प्रतिवाद मार्च निकाला गया और पुतला दहन किया गया. 16 नवम्बर को ही गिरीडीह जिले के सरिया और बिरनी में भी प्रतिवाद मार्च निकाले गये व मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया.                                   

लाठी चार्ज के विरोध में 17 नवम्बर को महिला संगठन ऐपवा ने बगोदर में प्रतिवाद मार्च निकालकर सरकार की इस करवाई की निंदा की. 17 नवम्बर को बोकारो में तथा जमुआ के कोदम्बरी चौक पर पारा शिक्षकों पर लाठीचार्ज के खिलाफ प्रतिवाद मार्च निकालकर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. इसी दिन गिरीडीह जिले के तीसरी प्रखंड में बीआरसी भवन से तीसरी चौक तक मार्च कर चौक पर मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री का पुतला दहन किया गया. देवरी प्रखंड के चतरो बाजार में प्रतिवाद मार्च निकालकर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. धनबाद जिले के निरसा प्रखंड के पतलाबाड़ी में, पलामू जिला के पांकी व डाल्टनगंज में मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. झुमरीतिलैया में रसोइया संघ ने पारा शिक्षकों के समर्थन में 17 नवम्बर को प्रतिवाद मार्च निकाला. इसी दिन रांची में आयोजित प्रतिवाद मार्च में एआईपीएफ के नेताओं प्रेमचंद्र मुर्मू, दयामनी बारला, अलोका कुजूर, जेवियर कुजूर, बशीर अहमद, नदीम खान, युगल पाल आदि नेताओं ने लाठीचार्ज की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि जिस तरह से बिरसा मुंडा के साथ अंग्रेजी हुकूमत का बर्ताव था, उसी तरह का फासिस्ट दमन बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माला चढ़ाने वाले भाजपाई मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया. अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी लाठीचार्ज का तीव्र प्रतिवाद करते हुए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. इधर राज्य भर के पारा शिक्षक आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं, तो उनकी लड़ाई के समर्थन में पंचायत के जनप्रतिनिधि से लेकर आम जनता व ग्रामीण भी खड़े हो रहे हैं. सभी शिक्षक संगठनों ने भी पारा शिक्षकों की लड़ाई के साथ एकजुटता जाहिर की है.

18 नवम्बर को बगोदर में भी विधायक और सांसद का एक कार्यक्रम 10 बजे से था. पारा शिक्षक दस बजे से ही काला झंडा, अंडा और टमाटर लेकर इंतजार कर रहे थे, परंतु वो चार बजे तक नहीं आए. पारा शिक्षकों ने तय कर रखा है कि अब विधायक, सांसद और मंत्री सबको क्षेत्र में घुसने नहीं देंगे. जो जहां मिलेगा उसका विरोध वहीं किया जाएगा. 19 नवम्बर को पलामू में एक जनसभा में रघुबर दास ने भाषण देते हुए पारा शिक्षकों को पत्थरबाज, दूसरे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, गुंडा बताते हुए धमकाया और कहा कि उन्हें जेल भेजा जायेगा. उधर पारा शिक्षक संगठनों ने घोषणा की है कि जब तक पारा शिक्षकों की सेवा के स्थायीकरण और वेतनमान की घोषणा सरकार नहीं करेगी तब तक हमारा आन्दोलन जारी रहेगा. 20 नवम्बर से पारा शिक्षकों ने राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा भी की और इसी दिन सभी जिलों में पारा शिक्षकों ने स्थानीय रूप से जेल भरो अभियान शुरू किया.

पारा शिक्षकों के आहृान के समर्थन में 20 नवंबर को गढ़वा प्रखंड मुख्यालय से रंका मोड़ तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया. 20 नवम्बर 2018 को ही राजधानी रांची में राजभवन के सामने पारा शिक्षकों के समर्थन में धरना दिया गया. धरना को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि पारा शिक्षक नहीं बल्कि सरकार गुंडागर्दी पर उतर आई है. पारा शिक्षकों को बिना शर्त रिहा एवं पत्रकारों, पारा शिक्षकों और रसोइयों पर लाठी चार्ज के दोषियों को दण्डित नहीं किया गया तो विधानसभा में भी सरकार को चैन से बैठने नहीं देंगे. पारा शिक्षकों और रसोइयों की मानदेय में बढ़ोतरी, स्थायीकरण और सामाजिक सुरक्षा की मांग जायज है. सरकार की कार्यसूची में जनता और किसानों के मुद्दे गायब हैं. इधर सुखाड़ और भुखमरी से जनता त्रस्त है, उधर सरकार स्थापना दिवस के नाम पर जश्न मनाने में मशगूल है. ऐसी सरकार के नुमाइन्दों को अब गाँव में घुसने नहीं दिया जायेगा.

धरने को भाकपा-माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, ऐक्टू प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन, भाकपा-माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह, ऐक्टू एवं निर्माण मजदूर यूनियन के नेता भुवनेश्वर केवट, झारखण्ड प्रदेश रसोइया संघ अध्यक्ष अजीत प्रजापति, देवंती बारला, एआईपीएफ के बशीर अहमद, आदि ने संबोधित किया.

20 नवंबर 2018 को पारा शिक्षकों के राज्यव्यापी जेल भरो अभियान के तहत बगोदर में मंझलाडीह स्थित प्रखण्ड संकुल संसाधन केंद्र से लेकर समूचे बाजार में हज़ारो पारा शिक्षकों ने मार्च निकाला और बगोदर थाने में गिरफ्तारी दी. पारा शिक्षकों के जेल भरो कार्यक्रम को आईसा-इनौस और जन प्रतिनिधियों का बगोदर में व्यापक और सक्रिय समर्थन मिला. जन प्रतिनिधियों ने सरकार की बर्बर करवाई की कड़ी निंदा की और पारा शिक्षकों को स्थायी करने और सम्मानजनक वेतन देने की मांग की.

जेल भरो अभियान में पारा शिक्षक संघ के जिला नेताओं समेत हजारों की संख्या में पारा शिक्षक, रसोइया-संयोजिका, विद्यालय प्रबंधन समिति के नेता एवं कार्यकर्ता शामिल रहे.

इसी दिन आइसा-इनौस ने सांसद रविन्द्र राय और बगोदर विधायक नागेंद्र महतो द्वारा पारा शिक्षकों के आंदोलन के प्रति दोहरी नीति अपनाने के खिलाफ बगोदर में किसान भवन से लेकर समूचे बगोदर बाजार में प्रतिवाद मार्च निकाला और जीटी रोड चौराहे पर पुतला फूंका.

- सुखदेव प्रसाद/हेमलाल महतो
 की है कि जब तक पारा शिक्षकों की सेवा के स्थायीकरण और वेतनमान की घोषणा सरकार नहीं करेगी तब तक हमारा आन्दोलन जारी रहेगा. 20 नवम्बर से पारा शिक्षकों ने राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा भी की और इसी दिन सभी जिलों में पारा शिक्षकों ने स्थानीय रूप से जेल भरो अभियान शुरू किया.

पारा शिक्षकों के आहृान के समर्थन में 20 नवंबर को गढ़वा प्रखंड मुख्यालय से रंका मोड़ तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया. 20 नवम्बर 2018 को ही राजधानी रांची में राजभवन के सामने पारा शिक्षकों के समर्थन में धरना दिया गया. धरना को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि पारा शिक्षक नहीं बल्कि सरकार गुंडागर्दी पर उतर आई है. पारा शिक्षकों को बिना शर्त रिहा एवं पत्रकारों, पारा शिक्षकों और रसोइयों पर लाठी चार्ज के दोषियों को दण्डित नहीं किया गया तो विधानसभा में भी सरकार को चैन से बैठने नहीं देंगे. पारा शिक्षकों और रसोइयों की मानदेय में बढ़ोतरी, स्थायीकरण और सामाजिक सुरक्षा की मांग जायज है. सरकार की कार्यसूची में जनता और किसानों के मुद्दे गायब हैं. इधर सुखाड़ और भुखमरी से जनता त्रस्त है, उधर सरकार स्थापना दिवस के नाम पर जश्न मनाने में मशगूल है. ऐसी सरकार के नुमाइन्दों को अब गाँव में घुसने नहीं दिया जायेगा.

धरने को भाकपा-माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, ऐक्टू प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन, भाकपा-माले के पूर्व विधायक विनोद सिंह, ऐक्टू एवं निर्माण मजदूर यूनियन के नेता भुवनेश्वर केवट, झारखण्ड प्रदेश रसोइया संघ अध्यक्ष अजीत प्रजापति, देवंती बारला, एआईपीएफ के बशीर अहमद, आदि ने संबोधित किया.

20 नवंबर 2018 को पारा शिक्षकों के राज्यव्यापी जेल भरो अभियान के तहत बगोदर में मंझलाडीह स्थित प्रखण्ड संकुल संसाधन केंद्र से लेकर समूचे बाजार में हज़ारो पारा शिक्षकों ने मार्च निकाला और बगोदर थाने में गिरफ्तारी दी. पारा शिक्षकों के जेल भरो कार्यक्रम को आईसा-इनौस और जन प्रतिनिधियों का बगोदर में व्यापक और सक्रिय समर्थन मिला. जन प्रतिनिधियों ने सरकार की बर्बर करवाई की कड़ी निंदा की और पारा शिक्षकों को स्थायी करने और सम्मानजनक वेतन देने की मांग की.

जेल भरो अभियान में पारा शिक्षक संघ के जिला नेताओं समेत हजारों की संख्या में पारा शिक्षक, रसोइया-संयोजिका, विद्यालय प्रबंधन समिति के नेता एवं कार्यकर्ता शामिल रहे.

इसी दिन आइसा-इनौस ने सांसद रविन्द्र राय और बगोदर विधायक नागेंद्र महतो द्वारा पारा शिक्षकों के आंदोलन के प्रति दोहरी नीति अपनाने के खिलाफ बगोदर में किसान भवन से लेकर समूचे बगोदर बाजार में प्रतिवाद मार्च निकाला और जीटी रोड चौराहे पर पुतला फूंका.

- सुखदेव प्रसाद/हेमलाल महतो