बिहार में फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट आदेश की प्रति को जलाया गया

मोदी सरकार द्वारा औद्योगिक नियोजन (स्थाई आदेश) अधिनियम 1946 में संशोधन कर फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट का प्रावधान जोड़े जाने व नीतीश सरकार द्वारा औद्योगिक नियोजन नियमावली 1947 में संशोधन कर “फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट“ को बिहार में तत्परता से लागू किए जाने के विरोध में तथा हड़ताली रसोईयों के आंदोलन व मांगो के समर्थन में 29 जनवरी को ऐक्टू के बैनर तले मज़दूरों ने फुलवारी शरीफ, बिहार में प्रदर्शन किया और स्थानीय भगत सिंह चैक पर फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट की प्रति को जलाया. साथ ही मोदी-नीतीश सरकार द्वारा मज़दूर अधिकारों पर कॉरपोरेट-परस्त हमले व ट्रेड यूनियन अधिकारों व श्रम क़ानूनों में 44 श्रम कानून को 4 श्रम कोड में बदल देने समेत मालिक-परस्त बदलावों का पुरज़ोर विरोध किया.

प्रदर्शन का नेतृत्व ऐक्टू राज्य सचिव सह यूनियन अध्यक्ष रणविजय कुमार समेत रामजीत प्रसाद, सूर्यदेव सिंह, भगत कुमार, मुर्तज़ा अली, देव ईश्वर प्रसाद ने किया.

फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट की प्रति जलाने के बाद भगत सिंह चौक पर हुई सभा को ऐक्टू नेता रणविजय कुमार ने मुख्य रूप से सम्बोधित करते हुए कहा कि आज़ादी के समय देश के मज़दूरों को हासिल स्थायी रोजगार के कानूनी अधिकार को एक तरह से पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है. उन्होंने फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट को मज़दूर वर्ग पर मोदी सरकार द्वारा अब तक का सबसे बड़ा हमला बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की. उन्होंने साथ ही बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू) के नेतृत्व में 7 जनवरी से लगभग 2.48 लाख रसोईयों की 15 सूत्री मांगों पर जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल का समर्थन करते हुए नीतीश सरकार से विद्यालय रसोईयों की मांगों को पूरा कर रसोईयों को बंधुआगिरी से मुक्त करने की मांग की.