मंगलौर के पोर्ट श्रमिकों की हड़ताल के एक साल को याद करते हुये कन्वेंशन का आयोजन

मंगलौर पोर्ट (बंदरगाह) के शिपिंग कंपनी श्रमिकों की एक साल पहले ऐतिहासिक हड़ताल हुई थी जिसको याद करते हुये ऑल इंडिया पोर्ट वर्कर्स फेडरेशन (एआईपीडब्लूएफ) ने 26 जनवरी 2019 को कन्वेंशन का आयोजन किया.

ऐक्टू और एआईपीडब्लूएफ की अगुवाई में कर्नाटक स्थित मंगलौर पोर्ट के शिपिंग कंपनियों के कर्मियों की पिछले साल 29 जनवरी से 6 फरवरी को पहली बार 9 दिनों की हड़ताल हुई थी. हड़ताल के चलते पोर्ट का समस्त काम बंद हो गया था. केंद्रीय न्यूनतम मजदूरी समेत तमाम वैधानिक सुविधाओं से वंचित इन कर्मियों की मजदूरी और अन्य सेवा शर्तों को व्यवस्थित करने की मांग इस हड़ताल द्वारा उठाई गई थी.

विभिन्न शिपिंग कंपनियों द्वारा नियोजित लेकिन पोर्ट अथॉरिटी के लिये काम कर रहे इन श्रमिकों के सवालों को कोई भी यूनियन नहीं उठा रही थी. केवल ऐक्टू ने इनके सवालों को हर स्तर पर उठाया और अंततः हड़ताल के बाद श्रम प्रशासन के हस्तक्षेप के चलते समझौता हुआ जिसे प्रबंधन ने पूरा करने के लिये 60 दिनों का समय मांगा था. मजदूरी में बढ़ोतरी और साथ में ईएसआई, पीएफ, आदि सुविधायें हासिल हुईं लेकिन समान काम का समान वेतन और केंद्रीय न्यूनतम मजदूरी की मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं.  

कन्वेंशन ने संपूर्णता में इन मांगों को हासिल करने के संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया.

एआईपीडब्लूएफ के महासचिव दिवाकर ने कन्वेंशन की अध्यक्षता की और ऐक्टू नेता वी. शंकर, भाकपा-माले के राज्य सचिव क्लिफ्टन डी रोजारियो, एआईपीडब्लूएफ के अध्यक्ष संकरा पांडियन, संयुक्त सचिव एवं तुतीकोरीन पोर्ट के सगायम, आदि ने कन्वेंशन को संबोधित किया.

कन्वेंशन के अगले दिन एआईपीडब्लूएफ की बैठक हुई जिसमें आने वाले दिनों में देशभर के बंदरगाहों के शिपिंग कंपनी श्रमिकों का संघर्ष तेज करने का निर्णय लिया गया. इसकी शुरूआत मार्च माह में तुतीकोरीन में एक कन्वेंशन के आयोजन से होगी जिसमें अन्य बंदरगाहों से भी यूनियन नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा और फेडरेशन के विस्तार और संघर्ष को तमाम प्रमुख बंदरगाहों जैसे कोचिन, गोवा, मुंबई आदि में अंजाम दिया जाएगा.