बंगलौर में सफाई मजदूरों का प्रतिवाद

बंगलौर के सफाई मजदूरों ने ‘‘बीबीएमपी गुटिगे पौरकार्मिकार संघ’’ (संबद्ध ऐक्टू) के बैनर तले 9 जुलाई 2019 को प्रतिवाद संगठित करके कर्नाटक के वन विभाग के एक सहायक वन संरक्षक पीएन हर्षवर्धन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. हर्षवर्धन ने कहा था कि सफाई मजदूरों को यह समझाने के लिये कि कूड़ाघर की कैसी सफाई होनी चाहिये, उन्हें सड़ांधभरे कूड़ाघर के बगल में भोजन करने पर मजबूर किया जायेगा! उन्होंने कहा था कि ‘हमने उनके (सफाई मजदूरों के) लिये भोजन करने की जगह का इंतजाम कर लिया है और वह है कूड़ाघर के मुख्य द्वार के नजदीक, ताकि वे महसूस कर सकें कि यह कितना दुर्गंध देता है. हमने ऐसा इसलिये किया है ताकि पौरकार्मिकों (सफाई मजदूरों) को कूड़ाघर को साफ करके आस-पास को स्वच्छ रखने की अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो सके. 

बंगलौर स्थित वेंगायन झील में रोजाना 30 ट्रक कूड़ा डाला जाता है, जिसमें 20 सफाई मजदूरों को अपने हाथों से बीनकर सूखा कूड़ा और गीला कूड़ा अलग करना पड़ता है. इस कूड़े का अधिकांश हिस्सा, जो केवल मल-सम्बंधी होता है, झील में तैरता रहता है और उससे असहनीय दुर्गंध निकलती है. मजदूरों को, जो अधिकांश दलित महिलाएं हैं, इस सड़ांध भरे कचरे में तैरकर रोजाना कूड़ा बीनना पड़ता है. ये मजदूर उस कूड़े को पैदा नहीं करते - वे पूरे शहर द्वारा उत्पन्न किये गये कूड़े को बीनते हैं. और अब एक वन अधिकारी न सिर्फ उनको इस सड़ांध भरे कूड़े के लिये दोषी ठहराता है, बल्कि उसी दुर्गंध के पास उन्हें भोजन करने को मजबूर करके उन्हें जलील करना और दंड देना चाहता है. 

मजदूरों ने इस दलित-विरोधी अत्याचार के खिलाफ प्रतिवाद करते हुए मांग की कि उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाये. इस प्रतिवाद के चलते उस अधिकारी को अपने बयान से मुकरते हुए सफाई देनी पड़ी कि उसको गलत उद्धृत किया गया है. 

लेकिन वन विभाग ने उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उसका पक्ष लिया. विभाग का प्रतिनिधित्व करने वाली सुश्री दीपिका बाजपेयी ने ट्वीट किया कि हर्षवर्धन का सुझाव सफाई मजदूरों को सबक सिखाने के मकसद से था. उन्होंने लिखा कि अगर मजदूरों को झील के बगल में खाने की ‘अनुमति’ दे दी जाय, तो उन्हें लगेगा कि ‘उनका भी हित झील की सफाई में है.’ उनके ट्वीट में उनके सहकर्मी के प्रस्ताव की ही अनुगूंज है कि मजदूरों को झील बेहतर ढंग से साफ करने के लिये सबक सिखाना चाहिये और इसके लिये उनको झील के बगल में भोजन करना चाहिये.

प्रदर्शन का नेतृत्व ऐक्टू राज्य महासचिव मैत्रेयी कृष्णन ने किया.