बिहार सरकार द्वारा आशा को हज़ार रुपये मासिक पारिश्रमिक की घोषणा 

संयुक्त आशा आंदोलन की शुरुआती बड़ी जीत

संयुक्त आशा आंदोलन की नेता एवं बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) अध्यक्ष शशि यादव, महासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद व ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार ने बिहार सरकार द्वारा 17 जुलाई को कैबिनेट से बिहार के आशाओं को 1000 रुपया मासिक पारिश्रमिक देने के निर्णय को बिहार में आशाओं के आंदोलन की बड़ी जीत बताया और कहा कि 1000 रुपये की न्यूनतम  मासिक पारिश्रमिक की उपलब्धि नई शुरुआत भर है. उक्त नेताओं ने 38 दिनों के संघर्ष में शहीद होने वाली 9 आशाओं के नाम यह जीत समर्पित की.

उक्त नेताओं ने कहा कि 01 दिसंबर ’18 से 07 जनवरी ’19 तक आशाओं की चट्टानी एकता के बल पर चले जुझारू संघर्ष और इस संघर्ष में 94,249 आशा कार्यकर्ताओं तथा 4,685 आशा फेसिलिटेटरों की चट्टानी एकता और अडिग संघर्ष से 38 दिनों तक चली हड़ताल के बाद मुख्यमंत्री की पहल पर जो समझौता 07 जनवरी ’19 को राज्य सरकार के साथ हुआ था उस समझौते की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने  व लागू करने में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की दिलचस्पी नही थी, इस वजह से इतने विलम्ब से यह निर्णय हुआ है जबकि कायदे से यह फैसला जनवरी ’19 में ही हो जाना चाहिये था. नेताओं ने कहा कि बावजूद इसके संयुक्त आशा आंदोलन व कुर्बानी की यह जीत आगे की लड़ाई के लिए मील का पत्थर साबित होगी.

आशा नेता शशि यादव व अन्य नेताओं ने कहा कि आंध्र की तर्ज़ पर कम से कम 10,000 रुपये की मासिक मानदेय व्यवस्था को देशभर में लागू करने को लेकर उनका संघ अभियान तेज़ करेगा.