निर्माण मजदूरों ने रांची में श्रम भवन का घेराव किया 

श्रम कानूनों में मालिक-परस्त संशोधनों के खिलाफ और दिल्ली में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय श्रमिक कन्वेंशन के समर्थन में 30 सितम्बर 2019 को ऐक्टू से सम्बद्ध झारखण्ड निर्माण मजदूर यूनियन ने रांची स्थित श्रम भवन, डोरंडा पर जोरदार प्रदर्शन किया. सैकड़ों की संख्या में निर्माण मजदूरों ने अपने हाथों में तख्तियां और झंडे लेकर डोरंडा राजेंद्र चैक से मजदूर अधिकार रैली निकाली जो श्रम भवन पहुंच कर सभा में तब्दील हो गयी. रैली व सभा को यूनियन के महासचिव भुनेश्वर केवट और अध्यक्ष भुनेश्वर बेदिया ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि देश में उत्पादन और विकास की मुख्य ताकत मजदूर वर्ग की सिर्फ घोर उपेक्षा ही नही, बल्कि 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर यूनियन बनाने, स्थाई रोजगार, उचित मजदूरी और आवास प्राप्त करने के उसके संवैधानिक अधिकारों को ही समाप्त किया जा रहा है. राज्य की सरकार भी इसी रास्ते पर चल रही हैं. कंपनियों और रियल स्टेट के अकूत मुनाफों के मद्देनजर लगातार श्रम कानूनों में बदलाव किया जा रहा है. कम लागत-ज्यादा मुनाफा की होड़ की वजह से कार्यस्थलों पर दुर्घटनाओं और मजदूरों की मौत आम बात हो गयी है. दुर्घटना और मौत की इन घटनाओं से सरकार और प्रबंधन का कोई लेना देना नहीं होता है. मजदूरों की जान की कीमत पर विकास को कभी भी मंजूर नहीं किया जा सकता. इन हालातों को बदलने के लिए एकताबद्ध मजदूर आंदोलन ही विकल्प है. सभा के उपरांत श्रमायुक्त को 10-सूत्री मांगपत्र सौंपा गया. सभा को किशोर खंडित, रोबिन लोहरा, दिलीप मुंडा, राजदेव महतो, एनामुल हक, आदि ने संबोधित किया. सभा की अध्यक्षता भीम साहू ने की. 

प्रदर्शन ने 8 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय आम हड़ताल के दिन पूरा झारखण्ड ठप करने का आह्वान किया. 

साथ ही, 30 सितंबर को निर्माण मजदूरों की मांगों पर उड़ीसा के कई जिलों, गजपती, खुर्दा, भुवनेश्वर, आदि में और उ.प्र. की राजधानी लखनऊ में 17 सितंबर को प्रदर्शन आयोजित किये गए.