‘उद्योग बचाओ, मजदूर बचाओ’ मंच के आह्वान पर असम में राज्यव्यापी प्रदर्शन 

भाजपा सरकार की मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ असम में 25 नवंबर 2019 के दिन प्रतिवादों का ज्वार आ गया. ये प्रतिवाद कार्यक्रम बिजली, जूट, कागज, पोलिएस्टर, उर्वरक और तेल समेत विभिन्न उद्योगों में कार्यरत ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ‘उद्योग बचाओ, मजदूर बचाओ’ के आह्वान पर हुए थे. असम में भाजपा सरकार के शासन में पिछले दो वर्षों के दौरान कई क्षेत्रों में कल-कारखाने बंद होते जा रहे हैं. अभी हाल ही में, जागीरोड और कछार पेपर मिल बंद कर दिए गए और नामरूप व सिलघट स्थित दो जूट मिल कभी भी बंद हो जा सकती हैं. असम राज्य बिजली बोर्ड, ‘नीपको’ और नुमालीगर रिफाइनरी पर निजीकरण की तलवार लटक रही है.

इन महत्वपूर्ण उद्योगों को बंदी और निजीकरण की चपेट में आने से बचाने और श्रमिकों की आजीविका पर हो रहे हमले को रोकने के लिए विभिन्न ट्रेड यूनियनों और उनके संयुक्त संगठनों ने मिल कर ‘उद्योग बचाओ, मजदूर बचाओ’ नामक संयुक्त मंच बनाया है. इस मंच के गठन में ऐक्टू ने विशेष पहलकदमी ली है. उल्लेखनीय तौर पर, भाजपा शासन में यह पहली बार है कि पूरे राज्य में मजदूरों के प्रतिरोधों की लहर उठ खड़ी हुई और बड़े पैमाने पर आम लोगों का इस सरकार से मोहभंग होता दिख रहा है. 25 नवंबर को इस मंच के आह्वान पर नामरूप, तिनसुकिया, जोरहट, गोलाघाट, बोगाइगांव, धुबुरी, कालीबोड, डिब्रूगढ़ समेत असम के अनेक महत्वपूर्ण औद्योगिक इलाकों में प्रतिवाद आयोजित किए गए. इन प्रतिवाद कार्यक्रमों की कड़ी में 1 दिसंबर को गुवाहाटी में एक श्रमिक कन्वेंशन आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन डा0 हिरेन गोहांई ने किया.