ऐक्टू का 10वां अखिल भारतीय सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न

(ऐक्टू के 10वें अखिल भारतीय सम्मेलन के कुछ समय बाद ही यानी 25 मार्च 2020 से कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन घोषित हो गया जिसके चलते हम श्रमिक सॉलिडैरिटी प्रकाशित नहीं कर पाये और इसके पाठकों तक सम्मेलन की रिपोर्ट नहीं पहुंचा सके. कुछ महान अवसरों के दौरान आयोजित हुए इस सम्मेलन की हम आने वाले अंक में विस्तृत रिपोर्ट और झलकियां, फोटो समेत, प्रस्तुत करने की तैयारियां कर रहे थे, लेकिन दुर्भाग्यवश हम ऐसा नहीं कर सके. हालांकि, सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से आपको रिपोर्ट जरूर मिली होगी. अब इस अंक में हम, इस पत्रिका के प्रकाशन के पुनः शुरू होने के साथ, सम्मेलन की कुछ संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं.)    

भारत में मजदूर वर्ग आंदोलन के ऐतिहासिक सौ वर्ष तथा इसमे उपस्थित क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन ऐक्टू के तीस वर्ष पूरे होने और डब्लूएफटीयू (वल्र्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस) की 75वीं वर्षगांठ के महत्वपूर्ण अवसर पर मजदूर आंदोलनों की धरती पश्चिम बंगाल के उत्तरी चैबीस परगना जिला स्थित नैहाटी शहर में ऐक्टू का 10वां अखिल भारतीय सम्मेलन 2-4 मार्च 2020 को आयोजित हुआ. सम्मेलन स्थल का नाम संतोष कुमारी देवी (1897-1989) नगर रखा गया. वे पहली महिला श्रमिक नेता के बतौर जानी जाती हैं जिन्होंने नैहाटी और आसपास स्थित जूट मिल मजदूरों को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संगठित किया. सभागार को ऐक्टू के संस्थापक महासचिव का. स्वपन मुखर्जी और वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. डीपी बक्शी के नाम समर्पित किया गया तथा मंच को प. बंगाल के वरिष्ठ ऐक्टू नेता एवं पूर्व राज्य महासचिव का. सुदर्शन बोस और ऐक्टू के वरिष्ठतम मजदूर नेता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के जानेमाने मजदूर नेता का. हरी सिंह के नाम समर्पित किया गया था. इस मौके पर शहर के मुख्य मार्ग और सभागार लाल झंडों, बैनरों और गेटों से सजे हुए थे. 

सम्मेलन में कोयला, रेल, डिफेंस, स्टील, स्वास्थ्य, परिवहन, सरकारी कर्मचारी समेत देश के सार्वजनिक एवं सरकारी क्षेत्रों; संगठित क्षेत्र; चाय बागान, जूट, स्कीम, ठेका, निर्माण, सफाई व खेत मजदूरों समेत असंगठित क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों; तथा विभिन्न राज्यों से आए करीब 600 महिला-पुरुष प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सम्मेलन ने 187 सदस्यीय राष्ट्रीय परिषद्, 74 सदस्यीय सेंट्रल वर्किंग कमेटी और 41 पदाधिकरियों का चुनाव किया. वी. शंकर ऐक्टू के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष जबकि राजीव डिमरी पुनः महासचिव चुने गये. 

सम्मेलन की शुरूआत 2 मार्च को सुबह संतोष कुमारी देवी की तस्वीर पर माल्यार्पण और उनकी याद में सभा के आयोजन से हुई. उनके निवास स्थान के निकट हुई इस सभा में ऐक्टू सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. तत्पश्चात्, नैहाटी की सड़कों पर मजदूरों ने जोशिला मार्च निकाला जिसकी अगुवाई ऐक्टू नेताओं, भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य और विदेशी अतिथियों ने की. निवर्तमान अध्यक्ष एन.एन. बनर्जी ने सम्मेलन स्थल पर शहीद वेदी के समक्ष झंडोत्तोलन किया. झंडोत्तोलन के पश्चात सभी शहीद व दिवंगज साथियों कों श्रद्धांजलि देते हुए शहीद वेदी पर पुष्प अर्पित किये गये और तमाम शहीदों तथा हाल में दिल्ली के सांप्रदायिक हमलों में मारे गए लोगों, सीएए-एनआरसी-एनपीआर विरोधी आंदोलनों में मारे गए लोगों, और औद्योगिक दुर्घटनाओं समेत प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों  को दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गयी. 

तत्पश्चात् सम्मेलन का उद्घाटन/खुला सत्र आयोजित हुआ जिसकी शुरूआत स्वागत समिति के अध्यक्ष जयंतो घोषाल के स्वागत संबोधन से हुई, जिसके बाद सत्र को ऐक्टू के निवर्तमान अध्यक्ष एन.एन. बनर्जी ने संबोधित किया. सत्र को भाकपा-माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के अलावा एच. महादेवन, उप महासचिव (वल्र्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस-डब्ल्यूएफटीयू) और विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियन नेताओं ने संबोधित किया जिनमें शामिल थे: अमरजीत कौर, महासचिव (एटक); अनादि साहू, राष्ट्रीय सचिव (सीटू); अशोक घोष, महासचिव (यूटीयूसी); गौतम मोदी, महासचिव (एनटीयूआई); वी. वेलुस्वामी, संगठन सचिव (एलपीएफ); समर सिन्हा, एआईयूटीयूसी; हरिपद बिश्वास, टीयूसीसी, और मास्टर निजाम, इंटक. सभी वक्ताओं ने सम्मेलन की सफलता के लिये शुभकामना व एकजुटता संदेश देते हुए, केंद्र स्थित मोदी सरकार के मजदूरों के अधिकारों और नागरिकता पर हमलों के खिलाफ एकताबद्ध आंदोलनों को तेज करने पर जोर दिया. सत्र का संचालन ऐक्टू के सचिव क्लिफ्टन और अध्यक्षता एन.एन. बनर्जी ने की. 

2 मार्च की शाम से प्रतिनिधि सत्र की शुरूआत हुई जो 4 मार्च की शाम तक चला. इस सत्र में नेपाल और बांग्लादेश के बिरादराना संगठनों के प्रतिनिधियों ने शुभकामना संदेश दिये, जिनमें शामिल थे: लाल बहादुर पाखरिन, उपाध्यक्ष (कोनेप, नेपाल), महबूब बिन सैफ, (बांग्लादेश ट्रेड यूनियन सेंटर); उस्मान अली (समाजतांत्रिक श्रमिक फ्रंट, बांग्लादेश) और महमूद हुसैन (गारमेंट श्रमिक संघति, बांग्लादेश). नेपाल और बांग्लादेश से आए प्रतिनिधियों ने भारत के मजदूर आंदोलनों से एकजुटता व्यक्त करते हुए वैश्विक पूंजीवाद के खिलाफ दक्षिण एशियाई मजदूर आंदोलन की आक्रामक लड़ाई खड़ा करने पर जोर दिया.  

सत्र के दौरान अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर एसोसियशन (आइरला) के सम्मानित अध्यक्ष, वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद और वरिष्ठ कम्युनिस्ट क्रांतिकारी नेता सनतराय चैधरी को

ऐक्टू महासचिव द्वारा सम्मानित किया गया.

सत्र की अध्यक्षता 13-सदस्यीय अध्यक्षमंडल ने की. इस सत्र में निवर्तमान कमेटी के महासचिव राजीव डिमरी ने मसविदा रिपोर्ट प्रस्तुत की और संगठन के संविधान में कुछ संशोधन प्रस्तुत किए जिस पर करीब 60 प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ जीवंत बहस-मुबाहिसा हुई. दो दिनों तक चले व्यापक बहस-मुबाहिसे के बाद मसविदा और साथ ही 22-सूत्री विशेष प्रस्तावों को भी पारित किया गया. 

मसविदा रिपोर्ट में ‘मौजूदा स्थिति और मजदूर वर्ग के कार्यभार’ के माध्यम से मोदी शासन द्वारा श्रम क़ानूनों के कोडीकरण - श्रमिकों व ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले; मजदूर-विरोधी व विभाजनकारी सीएए-एनआरसी-एनपीआर पैकेज; तमाम सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण-निगमीकरण और रेलवे, डिफेंस आदि संवेदनशील सेक्टरों में 100 प्रतिशत एफडीआई; सार्वजनिक बैंकों का विलयन; स्वास्थ्य-शिक्षा-पीएफ-पेंशन फंड में कटौती समेत सामाजिक सुरक्षा का निजीकरण; खनिज-प्राकृतिक संसाधनों की कार्पोरेटी लूट; उद्योगों व बागानों की बंदी-छंटनी व सभी सरकारी योजनाओं समेत सामाजिक क्षेत्रों में एनजीओकरण-आउटसोर्सिंग व संविदाकरण इत्यादि सवालों को उठाया गया और उन पर आंदोलन खड़ा करने की कार्य योजना प्रस्तुत की गयी. साथ ही, देश के युवाओं को रोजगार सुरक्षा गारंटी और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी को 26,000रू. घोषित करने समेत मौजूदा न्यूनतम मजदूरी कानूनों का सख्ती से पालन करने के अलावा देश के आम जन हेतु बिजली-पानी-स्वास्थ्य इत्यादि सभी आवश्यक सुविधाओं को मुफ्त देने के सवालों को भी प्रमुखता देते हुए देश के संविधान-लोकतंत्र-धर्मनिरपेक्षता पर हमला और मनुवादी व कार्पोरेटपरस्त नीतियों-विचारों के खिलाफ प्रतिरोध के वैकल्पिक मॉडल खड़ा करते हुए मौजूदा ट्रेड यूनियन आंदोलन की पारंपरिक अर्थवादी और फैक्ट्री-उद्योग की चारदीवारी तक सीमित रहने की बाधाओं से निजात पाते हुए नया मजदूर आंदोलन खड़ा करने का आहृान किया गया. 

नवनिर्वाचित अध्यक्ष वी. शंकर के समापन वक्तव्य और मजदूर-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी, विभाजनकारी मोदी सरकार के खिलाफ एकताबद्ध आंदोलन तेज करने के आहृान और अंत में ‘कम्युनिस्ट इन्टरनेशनल’ के गान के साथ पूरे जोश-खरोश के माहौल में सम्मेलन संपन्न हुआ.

अंत में, सम्मेलन की सफलता में बिना थके रात-दिन लगे सभी स्वयंसेवकों को सम्मानित किया गया. विभिन्न सत्रों के दौरान ‘‘पश्चिम बंग गण संस्कृति परिषद’’ के कलाकारों व जसम की ओर से अनिल अंशुमन समेत कई प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत जन गीतों ने सम्मेलन को उत्साहवर्धक बनाया. ु